हमने कभी न कभी नेट जीरो के बारे में जरूर सुना होगा. वायुमंडल में बदलाव और ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण वायुमंडल में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड है, जिसके कारण ये सभी घटनाएं एक के बाद एक हो रही हैं. लेकिन अब सवाल ये उठता है कि नेट जीरो क्या है और ये किस पर निर्भर करता है. इतना ही नहीं नेट जीरो से जुड़े और भी कई सवाल हैं जिन पर आज हम इस आर्टिकल में बात करेंगे और जानेंगे कि वायुमंडल में मौजूद प्रदूषण यानी कार्बन डाइऑक्साइड को कैसे कम किया जाए ताकि हम जल्द से जल्द नेट ज़ीरो हासिल कर सकें.
साल 2021 में पीएम नरेंद्र मोदी जब ब्रिटेन के दौरे पर थे तब उन्होंने भारत को 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन बनाने की घोषणा की थी. तब देश के अधिकांश लोगों को नेट जीरो के बारे में पता चला था. ऐसे में आइए सबसे पहले जानते हैं नेट जीरो है क्या.
हम सभी ने नेट जीरो शब्द सुना है, लेकिन वास्तव में इसका क्या मतलब है? सीधे शब्दों में कहें तो, नेट जीरो का मतलब उत्पादित ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) की मात्रा और वायुमंडल से निकाली गई मात्रा के बीच संतुलन बनाना है. इसे उत्सर्जन (emissions) में कमी और उत्सर्जन निष्कासन (emissions removal) के ताल मेल के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है. इसको अगर एक सरल उदाहरण से समझें तो हम रोज दिन सुबह से लेकर शाम तक कई प्रकार का खाना खाते हैं ताकि खुद को जीवित और सेहतमंद रख सकें. ऐसे में अगर हम सिर्फ खाए जाएं और किसी भी प्रकार का व्यायाम, योग या एक्सरसाइज ना करें तो हमारे शरीर के अंदर फैट का लेयर जमा होने लगता है. जिस वजह से ना सिर्फ मोटापा बल्कि अन्य बीमारियां भी घर बनाने लगती है.
इसलिए लोग सेहतमंद रहने के लिए खाना के साथ योग या अन्य एक्सरसाइज भी करते हैं. ठीक उसी प्रकार वातावरण में भी बैलेन्स बनाए रखने कि जरूरत होती है. अगर हम लगातार वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं तो इसका नकारात्मक असर होता है. इसलिए जरूरी है कि हम वातावरण में जितना कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ रहे हैं उतना ही वापस हम धरती के अंदर भी डालें. यानी छोड़े गए कार्बन को एब्जॉर्ब कर लें. इसी बैलेन्स को नेट जीरो प्रोसेस कहते हैं.
किसी भी देश के लिए यह जरूरी है कि वो जितना कार्बन वातावरण में छोड़ रहा है. उतना ही कार्बन उसे एब्जॉर्ब भी करना होगा. तभी जाकर कोई भी देश नेट जीरो एमिशन का लक्ष्य हासिल कर सकता है. उदाहरण के लिए, पौधे हवा से कार्बन डाइऑक्साइड लेकर अपना भोजन बनाते हैं. यदि किसी देश में अधिक कार्बन उत्पन्न हो रहा है तो उसे उतनी ही संख्या में पेड़-पौधे लगाने होंगे. तभी जाकर कोई भी देश इस लक्ष्य को हासिल कर सकता है.
नेट जीरो एमिशन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए जरूरी है कि हम जरूरी मात्रा में पेड़ लगाएं ताकि कार्बन उत्सर्जन को रोका जा सके और नेट जीरो के लक्ष्य को हासिल किया जा सके. ऐसे में कई कंपनी इस दिशा में काम करती नजर आ रही है. जो किसानों को पेड़ लगाने के लिए पैसे दे रही है. लेकिन इसके लिए भी कुछ गाइड लाइन तय कि गई है.
गाइडलाइन इस लिए तय की गई है ताकि किसान पेड़ लगाने वक्त वातावरण को प्रदूषित ना करें. यानी अगर कोई किसान पेड़ लगा रहा है तो उसमें सिंचाई की प्रक्रिया प्राकृतिक तरीके से यानी बारिश के माध्यम से हो. पेड़ लगाने समय या बाद में भी खाद न इस्तेमाल न हो. साथ यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि आगे चल कर उस पेड़ को जलाया ना जाए. तब जाकर हम नेट जीरो के लक्ष्य को हासिल कर सकते है.
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