भीषण गर्मी आने से पहले ही जलसंकट ने लोगों की और किसानों की परेशानी बढ़ानी शुरू कर दी है. पंजाब-हरियाणा का भूजल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है तो कर्नाटक वर्तमान में भीषण जलसंकट से गुजर रहा है. जबकि, असम समेत देश के अन्य राज्यों में वॉटर स्टोरेज तेजी से घट रहा है. जल संकट से खेती प्रभावित होने की आशंका जताई गई है, जिससे वैश्विक स्तर पर फूड प्रोडक्शन सिस्टम पर असर दिखेगा. 2023 में मौसम की भीषण गर्मी ने वैश्विक स्तर पर खेती के उत्पादन को प्रभावित किया है, जिससे विश्व में खाने की कमी से जूझ रहे लोगों की संख्या 149 मिलियन से बढ़कर 330 मिलियन (30 करोड़) हो गई है.
कर्नाटक राज्य के 240 में से 223 तहसील सूखा घोषित कर दिए गए हैं. जल संकट इस कदर है कि पीने के पानी के अन्य इस्तेमाल पर लगे बैन के बाद से अब तक 22 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है जबकि एक लाख से अधिक का जुर्माना लगाया गया है. बेंगलुरु वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड (बीडब्ल्यूएसएसबी) ने मार्च के दूसरे हफ्ते में शहर में पीने के पानी का इस्तेमाल वाहन धोने, बागवानी, कंस्ट्रक्शन और अन्य काम के लिए करने पर प्रतिबंध लगा दिया था. रिपोर्ट के मुताबिक, पीने के पानी का अन्य कामों के लिए इस्तेमाल करने पर बेंगलुरु के 22 परिवारों पर पांच-पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है. इस तरह से अब तक कुल 1.1 लाख रुपये का जुर्माना इकट्ठा किया गया है.
भारत दुनिया में भूजल का सबसे बड़ा यूजर है, जो यूएसए और चीन के कुल उपयोग से भी अधिक है. भारत का उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र देश की बढ़ती 1.4 अरब आबादी के लिए रोटी की टोकरी के रूप में काम करता है, जिसमें पंजाब और हरियाणा राज्य 50 प्रतिशत उत्पादन करते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है पंजाब में 78 प्रतिशत कुओं का तेज दोहन हुआ है और पूरे उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में 2025 तक गंभीर रूप से कम भूजल उपलब्धता का अनुभव होने का अनुमान है. यूएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में इंडो-गंगेटिक बेसिन के कुछ क्षेत्र पहले ही भूजल की कमी के चरम बिंदु को पार कर चुके हैं.
भारत में लगभग 70 प्रतिशत भूजल निकासी का उपयोग खेती के लिए किया जाता है. जब भूजल स्रोत पर्याप्त नहीं होते हैं तो इसका असर सूखे के तौर पर कृषि घाटे के रूप में दिखने लगता है. वहीं, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु सहित कई राज्यों में पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष जलाशयों के पानी भंडार में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. जबकि, पर्यावरण में बदलाव के चलते यह चुनौती और भी बदतर हो रही है. इससे फसल उत्पादन पर विपरीत असर पड़ने की आशंका ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. उपज में गिरावट का असर खाद्य सामग्री की आपूर्ति में कमी के रूप में देखी जा रही है. इसके चलते विश्व में खाने की कमी से जूझ रहे लोगों की संख्या 149 मिलियन से बढ़कर 330 मिलियन हो गई है.
यूएन की विश्व मौसम संगठन (डब्ल्यूएमओ) की रिपोर्ट के अनुसार बदलते मौसम से जलवायु परिवर्तन से जुड़े सभी पैरामीटर पर चेतावनी मिल रही है. डब्ल्यूएमओ विश्व के लिए रेड अलर्ट जारी कर रहा है. जलवायु परिवर्तन के चलते साल 2023 में मौसम ने जमकर कहर ढाया है. रिपोर्ट कहती है वर्ष 2023 में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, धरती के तापमान, समुद्री की सतह पर बढ़ती गर्मी, समुद्री जलस्तर में बढ़ोत्तरी के साथ अंटार्कटिक क्षेत्र में बर्फ और ग्लेशियरों के पिघलने के नए रिकॉर्ड बने हैं.
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