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कश्‍मीर-क्रिकेट ही नहीं...बासमती चावल पर भी भारत-पाक के बीच तकरार, महक-स्‍वाद के कारोबार पर वर्चस्‍व की जंग

कश्‍मीर-क्रिकेट ही नहीं...बासमती चावल पर भी भारत-पाक के बीच तकरार, महक-स्‍वाद के कारोबार पर वर्चस्‍व की जंग

कश्‍मीर, क्रिकेट से लेकर बासमती चावल को लेकर भी भारत-पाकिस्‍तान के बीच जंग का माहौल रहता है. जिसका अल्‍टीमेट लक्ष्‍य महक और स्‍वाद के ग्‍लोबल कारोबार पर वर्चस्‍व कायम करना है.

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आजादी के वक्‍त भारत और पाकिस्‍तान के बीच बासमती का भी बंटवारा हुआ था आजादी के वक्‍त भारत और पाकिस्‍तान के बीच बासमती का भी बंटवारा हुआ था

भारत-पाकिस्‍तान का नाम एक साथ आते ही अमूमन अधिकांश लोगों के मन में सबसे पहला भाव जंंग यानी संघर्ष का आता है. चाहे वह कश्‍मीर को लेकर मैदान-ए- बॉर्डर पर हो या खेल को लेकर मैदान-ए-क्रिकेट में हो, लेकिन भारत और पाकिस्‍तान के बीच जंग के कई और मोर्चे भी हैं. जी हां... आप सही सुन रहे हैं कश्‍मीर, क्रिकेट से लेकर बासमती चावल को लेकर भी भारत-पाकिस्‍तान के बीच जंग का माहौल रहता है. जिसका अल्‍टीमेट लक्ष्‍य महक और स्‍वाद के ग्‍लोबल कारोबार पर वर्चस्‍व कायम करना है.

इसी कड़ी में बात करते हैं बासमती चावल को लेकर भारत और पाकिस्‍तान के बीच होती रही जंग की....जिसकी पिच इंटरनेशनल एग्री डिप्‍लोमेसी के इर्द-गिर्द तैयार होती रही है. 

पहले बासमती और सामान्‍य या खुशबू वाले चावल का फर्क 

बासमती धान यानी चावल और भारत-पाकिस्‍तान के बीच की इस कहानी को समझने से पहले बासमती चावल और सामान्‍य या खुशबू वाले चावल का फर्क समझते हैं. असल में दुनिया के कई देशों में धान की खेती होती है.

धान को उनके गुणों के आधार पर कई वर्गों में बांटा जा सकता है, जिसमें सामान्‍य धान, बासमती धान और खुशबू वाले धान को भी अलग-अलग श्रेणी में रखा जाता है, इसमें बासमती धान भी खुशबू वाला धान है, लेकिन बासमती और खुशबू वाले धान की पहचान अलग-अलग है. एक विशेष क्षेत्र में पैदा होने वाले खुशबू वाले धान को बासमती धान के तौर पहचाना जाता है.

सीधे तौर पर कहें तो हिमालय की तलहटी वाले कुछ विशेष क्षेत्रों में पैदा होने वाले खुशबू वाले धान की पहचान बासमती धान के तौर पर होती है, जबकि देश के दूसरे क्षेत्रों में पैदा होने वाले खुशबू वाले चावल को अन्‍य नाामों से पहचाना जाता है. सीधी सी बात है कि हर खुशबू वाला धान यानी चावल बासमती नहीं हो सकता है और बासमती की अपनी खुशबू और स्‍वाद की वजह से दुनिया में बादशाहत है.

भारत-पाक के बीच बासमती का भी हुआ था बंंटवारा 

बासमती चावल को लेकर भारत और पाकिस्‍तान मौजूदा वक्‍त में आमने-सामने हैं, जिसके तहत भारत के शीर्ष कृषि संस्‍थान IARI ने पाकिस्‍तान पर संरक्षित बासमती धान की किस्‍मों की चोरी का आरोप लगाया है, लेकिन बासमती को लेकर ये विवाद भारत और पाकिस्‍तान के बीच नया नहीं है.

असल में अंग्रेजी सल्‍तनत में बासमती चावल संयुक्‍त भारत की पहचान हुआ करता था. उसका मुख्‍य कारण ये था कि आजादी से पहले ही भारत और पाकिस्‍तान के हिमालयी की तलहटी वाले क्षेत्रों में पैदा होने वाले खुशबू वाले चावल को बासमती के तौर पर पहचान मिली हुई है,लेकिन आजादी के वक्‍त, जब भारत और पाकिस्‍तान का बंटवारा हुआ, उस दौरान बासमती चावल का भी बंटवारा हुआ था. मसलन, बासमती की सल्‍तनत भी भारत और पाकिस्‍तान के बीच बंट गई. और यहीं से शुरू होती है बासमती को लेकर भारत और पाक के बीच जंग की कहानी...
 

भारत-पाक के बीच बासमती को जीआई टैग 

असल में बासमती एक जीआई यानी भागौलिक संकेतक उत्‍पाद है. दुनिया के कई देश इस खुशबू वाले चावल यानी बासमती की पहचान जीआई टैग के आधार पर करती है. इसको लेकर एपीडा में बासमती चावल के नोडल अध‍िकारी डॉ र‍ितेश शर्मा कहते हैं क‍ि पाकिस्‍तान शासित पंजाब प्रांत के 14 जिलों और भारत के 7 राज्‍यों में पैदा होने वाले खुशबुदार चावल को बासमती चावल का जीआई टैग मिला हुआ है.

भारत के 7 राज्‍यों की बात करें तो इसमें पंजाब, हर‍ियाणा, ह‍िमाचल, उत्तराखंड, द‍िल्ली, जम्मू के 3 ज‍िले और वेस्टर्न यूपी के 30 ज‍िलों में होने वाले खुशबुदार चावल को बासमती जीआई टैग म‍िला हुआ है. दुनिया के इन क्षेत्रों में पैदा होने वाले खुशबुदार चावल को ही बासमती चावल के तौर पर पहचाना जाता है. 

इंटरनेशनल जीआई टैग को लेकर जंग 

बासमती चावल की इंटरनेशनल जीआई टैग को लेकर भारत और पाकिस्‍तान के बीच जंग होती रही है. भारत ने 2019 में जीआई टैग को लेकर ऑस्‍ट्रेलिया के समक्ष आवेदन किया था, लेकिन बीते साल ऑस्‍ट्रेलिया ने भारत के बासमती को जीआई टैग देने से मना कर दिया था. जिसके पीछे पाकिस्‍तान की लॉबिंग समझी जाती रही है. 

ऑस्‍ट्रेलिया का तर्क था कि बासमती भारत के साथ ही पाकिस्‍तान में भी पैदा होता है. इस वजह से जीआई टैग नहीं दिया जा सकता है. इसको लेकर एपीडा ने ऑस्‍ट्रेलिया न्‍यायालय का दरवाजा खटखटाया था. 

बासमती का ग्‍लोबल राइस मार्केट पर दखल  

असल में बासमती चावल का ग्‍लोबल मार्केट में बड़ा दखल है. ये ही वजह है कि भारत और पाकिस्‍तान दोनों ही बासमती चावल के इस ग्‍लोबल मार्केट पर अपना दखल रखना चाहते हैं. आंकड़ों के अनुसार साल 2023 में बासमती चावल के ग्‍लोबल मार्केट की कीमत 12180 डॉलर आंकी गई है, 2030 तक जिसकी 21700 डॉलर तक पहुंचने की उम्‍मीद है.

इस वजह से भारत और पाकिस्‍तान दोनों ही इस मार्केट का दोहन करना चाहते हैं. क्‍योंकि दुनिया में सिर्फ भारत और पाकिस्‍तान में ही बासमती धान की खेती होती है. ऐसे में पाकिस्‍तान अक्‍सर भारत के बासमती चावल को मात देने की कोशिश में लगा रहता है, लेकिन इसके बावजूद भी भारत ने बासमती चावल के मार्केट पर अपना वर्चस्‍व बनाया हुआ है. बीते साल भारत ने बासमती चावल एक्‍सपोर्ट पर बैन लगा दिया था, इस वजह से पाकिस्‍तान दुनिया के देशों में जगह बनाने में लगा हुआ है.