देश के लगभग सभी राज्यों में बारिश ने दोबारा कहर मचाना शुरू कर दिया है. जिससे आमजन के साथ ही किसानों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा. कहीं खेत में पड़ी फसल तो कहीं मंडी में रखें अनाज बारिश की वजह से खराब हो रहे हैं. ऐसा ही मामला आया है पंजाब के लुधियाना से जहां बारिश ने लुधियाना के अरोड़ा पैलेस के पास गिल रोड स्थित अनाज मंडी में बुनियादी ढांचे की गहरी खामियां एक बार फिर उजागर कर दी है. दरअसल, मंडी में पर्याप्त शेड की सुविधा न होने के कारण बारिश में किसानों की फसल भीग गई.
किसानों ने कहा कि उनकी परेशानी इसलिए और बढ़ गई है क्योंकि मंडी के सीमित शेड में पहले से ही अनाज नहीं, बल्कि सीमेंट की बोरियों से लदे ट्रक भरे हैं. इन ट्रकों की मौजूदगी ने किसानों को हैरान कर दिया और उन्होंने सवाल उठाया कि अनाज की सुरक्षा के लिए बनी जगह में गैर-कृषि सामान क्यों रखा जा रहा है. कई किसानों ने पूछा कि इन ट्रकों को यहां खड़े होने की इजाज़त किसने दी?
एक किसान गुरदेव सिंह ने कहा कि रविवार यानी 5 अक्टूबर को सुबह-सुबह बारिश से हम परेशान हो गए. किसानों ने अपनी फसल को भीगने से बचाने के लिए जल्दी से अपनी उपज को तिरपाल से ढकने की कोशिश की, लेकिन यह कोई पक्का उपाय नहीं है. शेड या तो बहुत कम हैं या उनका सही इस्तेमाल नहीं हो रहा है. मंडी में मौजूद एक अन्य किसान टेक सिंह ने कहा कि हम वर्षों से उचित शेड की मांग कर रहे हैं. लेकन आज की स्थिति दर्शाती है कि इसकी कितनी सख्त ज़रूरत है. उपज उठाने की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे अनाज खुले में पड़े हैं. यह अस्वीकार्य है.
एक मंडी कर्मचारी ने बताया कि जब अचानक बारिश होती है, तो हम अनाज को ढकने के लिए दौड़ पड़ते हैं. लेकिन बारिश से फसलों को सुरक्षित रखना नामुमकिन है. पानी जमा होने से भी उपज को नुकसान पहुंचता है. विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि नमी के संपर्क में आने से फफूंद, रंग उड़ना और फफूंद की वृद्धि हो सकती है. ऐसे में मंडी में उचित व्यवस्था न होने से फसलों में नमी बढ़ जाती है और किसानों को सही दाम नहीं मिलता है.
मंडी बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि धान की कटाई तेज हो रही है और किसानों को उचित भंडारण पर ध्यान देना चाहिए. हम यह तय कर रहे हैं कि बेची गई उपज का उठाव हो, लेकिन प्रगतिशील उठाव के तहत उपज का उचित भंडारण किया जाना चाहिए ताकि उसमें नमी की मात्रा बनी रहे. इस घटना ने अनाज मंडियों के आधुनिकीकरण और बेहतर योजना बनाने की मांग को फिर से तेज कर दिया है.
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