भारत में, सर्दी और खांसी के इलाज के लिए तुलसी की हरी पत्तियों का उपयोग हमेशा से किया जाता रहा है. वहीं, तुलसी उन औषधीय पौधों में से एक है जो किसी भी भारतीय घर में आसानी से पाया जा सकता है. तुलसी हर घर में उपलब्ध होने का एक अन्य कारण वास्तु लाभ भी है. इसके अलावा, अगर आप औषधीय पौधे की खेती कर कम पूंजी में अच्छी कमाई करना चाहते हैं, तो आप तुलसी की खेती कर सकते हैं. तुलसी की खेती शुरु करने के लिए आपको बहुत अधिक पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं होती है. आप कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए भी इस खेती की शुरुआत कर सकते हैं. बुआई के तीन महीने बाद ही तुलसी की फसल तैयार हो जाती है. दवा मार्केट में मौजूद कई आयुर्वेदिक कंपनियां, जैसे- डाबर, वैद्यनाथ और पतंजलि आदि तुलसी की कॉन्ट्रैक्ट पर भी खेती कराती हैं.
अगर तुलसी के औषधीय फायदों की बात करें, तो आयुर्वेद में इसे खास महत्व दिया गया है. इसके सेवन से छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी बीमारियां दूर हो सकती हैं. आयुर्वेद के मुताबिक, तुलसी की पत्तियों में एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल, एंटी-फंगल जैसे गुण पाए जाते हैं. इससे शरीर की कई समस्याएं खत्म हो जाती है. ऐसे में आइए विस्तार से जानते हैं तुलसी के पत्तों के फायदे के बारे में-
एंटीऑक्सीडेंट और महत्वपूर्ण पोषक तत्वों से भरपूर तुलसी को इम्यून सिस्टम को मजबूत करने, तनाव के स्तर को कम करने समेत कई स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है. एनआईएच के अनुसार, अपने स्वास्थ्य और ताकत को बेहतर बनाने के लिए तुलसी की चाय पीने या अपनी दैनिक जीवन में 5-6 पत्तियों को शामिल करने का प्रयास करें.
तुलसी में प्रचुर मात्रा में विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो फ्लू, अस्थमा, बुखार और सामान्य सर्दी जैसी सामान्य बीमारियों के इलाज में सहायता करते हैं. तुलसी के पत्तों को चबाना या तुलसी के साथ उबाला हुआ पानी पीना सर्दी और गले की खराश के लक्षणों को कम करने में प्रभावी है. इसके अलावा, तुलसी के पत्तों के फायदों में कुछ कैंसर पैदा करने वाली और एचआईवी पैदा करने वाली कोशिकाओं की वृद्धि को कम करना भी शामिल है.
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हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करने वाली तुलसी की पत्तियां खाने से व्यक्ति के स्वास्थ्य पर काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. पवित्र तुलसी सिरदर्द, चिंता, डिप्रेशन, अनिद्रा और हाई ब्लड प्रेशर के लिए एक प्रभावी उपचार है.
पौधे की एंटीवायरल, एंटीफंगल, जीवाणुरोधी और एंटीफंगल विशेषताओं के कारण, तुलसी का उपयोग सदियों से घावों और इन्फेक्शन के इलाज के लिए किया जाता रहा है. इसके अतिरिक्त, इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो सूजन को कम करने और घाव भरने में तेजी लाने में सहायता करते हैं.
ताजी तुलसी की पत्तियां त्वचा की कई समस्याओं, जैसे- दाद या कीड़े के काटने, को ठीक करने का एक सरल और प्रभावी तरीका है. प्रभावित जगह पर तुलसी के पत्तों का रस लगाएं. पवित्र तुलसी में प्राकृतिक सूजन रोधी और दर्द निवारक गुण होते हैं.
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जिन लोगों को टाइप 2 डायबिटीज है उनके लिए तुलसी की पत्तियां कई फायदे पहुंचाती हैं. वहीं, तुलसी डायबिटीज के लेवल को नियंत्रित करने के साथ ही इसके नकारात्मक प्रभावों को कम करती है. यानी तुलसी का सेवन करने से मेटाबॉलिज्म बढ़ेगा और शरीर को कार्बोहाइड्रेट और लिपिड के प्रोसेसिंग में मदद मिलती है.
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