महाराष्ट्र में ऐसे समय में जब बारिश से चौपट हुई फसलों के बाद किसान मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं, राज्य की सरकार में मंत्री छगन भुजबल ने फंड की कमी को लेकर बड़ा सच सामने ला दिया है. राज्य की सत्तारूढ़ महायुती गठबंधन सरकार में पहली बार किसी मंत्री ने यह स्वीकार किया है कि मुख्यमंत्री ‘माझी लाडकी बहिण योजना’ की वजह से महाराष्ट्र की दूसरी योजनाएं प्रभावित हो रही हैं. एनसीपी नेता भुजबल के पास खाद्य व नागरिक आपूर्ति मंत्रालय है, उन्होंने सोमवार को यह बड़ा बयान दिया है.
माझी लाडकी बहिण योजना के तहत योग्य महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपये की आर्थिक सहायता सीधे उनके बैंक अकाउंट में दी जाती है. भुजबल ने कहा कि राज्य सरकार के करीब सभी विभाग फंड क्रंच से जूझ रहे हैं. भुजबल का यह बयान तब आया जब वह अपने विभाग की ‘आनंदाचा शिधा योजना’ के बंद होने की खबरों के बारे में मीडिया के सामने बोल रहे थे. उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि माझी लाडकी बहिण योजना पर हो रहा भारी खर्च ‘आनंदाचा शिधा’ की कार्यान्वयन प्रक्रिया को प्रभावित कर रहा है. इस योजना पर करीब 40,000 से 45,000 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. जब इतनी बड़ी राशि का आवंटन किया जाएगा तो इसका असर बाकी योजनाओं पर पड़ेगा. इसके अलावा, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए मुआवजा पैकेज भी देना है, इसलिए कुछ चीजें इस साल नहीं की जा सकेंगी.'
भुजबल ने आगे कहा कि वह इस योजना के भविष्य पर टिप्पणी नहीं कर सकते, लेकिन एक बात साफ है कि सभी विभाग आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं. उन्होंने बताया कि सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) और अन्य विभागों के पास 84,000 करोड़ रुपये का लंबित भुगतान है. भुजबल ने बताया, 'हमने कैबिनेट में चर्चा की कि ठेकेदारों को काम तो सौंप दिया गया है लेकिन वो तब तक काम नहीं कर रहे जब तक बकाया भुगतान नहीं होता. अगर हम इस तरह से (लाडकी बहिण योजना के तहत) पैसे बांटते रहेंगे, तो आर्थिक संकट और बढ़ जाएगा.'
‘आनंदाचा शिधा योजना’ को साल 2022 में दिवाली के दौरान शुरू किया गया था. इसके तहत राशन कार्डधारकों को मात्र 100 रुपये में चार जरूरी खाद्य वस्तुएं दी जाती हैं. यह योजना 2023 और 2024 में भी त्योहारों के दौरान चलाई गई. हर बार इस योजना पर 500 करोड़ रुपये खर्च हुए और औसतन 1.6 करोड़ लाभार्थियों को इसका फायदा मिलता है. भुजबल ने यह भी स्वीकार किया कि उनके विभाग की एक और योजना ‘शिव भोज थाली’ भी बंद होने के कगार पर है. उन्होंने बताया, 'हां, यह सच है. आमतौर पर हमें दो लाख लोगों को भोजन कराने के लिए 140 करोड़ रुपये की जरूरत होती है लेकिन हमें सिर्फ 70 करोड़ रुपये मिले हैं. मुझे नहीं लगता कि हालात इससे बेहतर होंगे.'
चुनाव वर्ष साल 2023 में घोषित की गईं कई लोकलुभावन योजनाओं ने महाराष्ट्र की आर्थिक स्थिति को गंभीर तौर पर प्रभावित किया है. राज्य का राजस्व खर्च 87,341 करोड़ रुपये बढ़ा है, जबकि पूंजीगत व्यय मात्र 385 करोड़ रुपये बढ़ा है. साल 2025-26 के बजट के अनुसार, राज्य का कुल राजस्व घाटा 45,890 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष (2024-25) के 20,050 करोड़ रुपये के मुकाबले दोगुना है. वहीं, राजकोषीय घाटा बढ़कर 1,36,234 करोड़ रुपये हो गया है.
चुनाव से पहले राज्य सरकार ने कई योजनाएं शुरू की थीं, जैसे माझी लाडकी बहिण योजना, अन्नपूर्णा योजना, लड़कियों के लिए मुफ्त व्यावसायिक शिक्षा, तीर्थ दर्शन योजना और किसानों के बिजली बिल माफी योजना. महायुती सरकार ने अपने चुनावी वादे में लाडकी बहिण योजना की राशि 1,500 रुपये से बढ़ाकर 2,100 रुपये प्रति माह करने की घोषणा की थी, लेकिन राज्य की बिगड़ती वित्तीय स्थिति के कारण अभी तक यह वादा पूरा नहीं किया जा सका है.
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