बाजार में टमाटर के रेट अभी ऐसे बढ़े हैं कि उसकी तुलना पेट्रोल-डीजल के दाम से होने लगी है. बढ़े रेट का असर देखिए कि किलो में टमाटर खरीदने वाले लोग अभी पाव में काम चला रहे हैं. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि 20-30 रुपये का टमाटर अभी 150 रुपये किलो पर पहुंच गया है. और ये हाल किसी गली-कूचे का नहीं बल्कि पूरे देश का है. देश के कोने-कोने से यही आवाज आ रही है कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो टमाटर ने लोगों का चेहरा लाल कर दिया. आखिर ऐसा क्या हुआ जो टमाटर थाली से गायब हो गया. आपने इसके बार में यही सुना होगा कि अचानक हुई बारिश ने पैदावार को चौपट कर दिया. लेकिन हम आपको इससे आगे की भी एक वजह बता रहे हैं. जरा गौर कीजिए.
महाराष्ट्र और कर्नाटक में बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती होती है. यहां के किसानों की शिकायत है कि बारिश ने खेती को चौपट तो किया ही, दो वायरस के हमले से भी पैदावार नष्ट हुई है. महाराष्ट्र के किसानों का कहना है कि टमाटर की फसल पर सीएमवी यानी कि कुकंबर मोजैक वायरस का हमला हुआ है. दूसरी ओर कर्नाटक के किसान बता रहे हैं कि उनकी फसल पर टोमैटो मोजैक वायरस का अटैक हुआ है जिससे खड़ी फसल खेतों में मारी गई है. इससे पूरी सप्लाई चेने प्रभावित हुई और देखते-देखते दाम आसमान छूने लगे.
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इसमें एक चौंकाने वाली बात ये निकल कर सामने आई है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक के किसान पिछले तीन साल से वायरस के अटैक की शिकायत कर रहे थे. उन्होंने इस खतरे को पहले ही भांप लिया था और इस मुद्दे को उठाया भी था. लेकिन इस बार मामला कुछ ज्यादा बिगड़ गया और फसल पर वायरस का हमला पूरी तरह से पसर गया. पहले जहां फसल का नुकसान आंशिक तौर पर देखा गया तो इस बार यह नुकसान बड़े पैमाने पर सामने आया है.
सीएमवी और टीओएमवी दोनों एक तरह के वायरस हैं और फसलों को समान ढंग से नुकसान पहुंचाते हैं. हालांकि इनका कुनबा अलग-अलग है और अलग-अलग तरह से फैलते हैं. टीओएमवी यानी कि टोमौटे मोजैक वायरस टोबैको मोजैक वायरस (TMV) परिवार का है और यह टमाटर, तंबाकू, काली मिर्च और कुछ सजावटी पौधों पर अटैक करता है.
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दूसरी ओर, सीएमवी वायरस का दायरा भी बहुत बड़ा है जो एक साथ कई फसलों पर हमला बोलता है. सीएमवी यानी कि कुकंबर मोजैक वायरस खीरा, तरबूज, टमाटर, गाजर, सलाद, सेलेरी, कद्दू, तोरई, सीताफल और कुछ सजावटी पौधों को भारी नुकसान पहुंचाता है.
'इंडियन एक्सप्रेस' की एक रिपोर्ट में कहा गया है, दोनों वायरस संक्रमति या रोगजनित बीज, पौध, कृषि यंत्र और यहां तक कि नर्सरी में काम करने वाले लोगों के हाथों से फैलते हैं. अगर खेत में काम करने वाले लोग हाथों को ठीक से सैनिटाइज करके खेत में न जाएं तो ये दोनों वायरस फसल पर अटैक कर सकते हैं. कहा जाता है कि शुरू में कुछ पौधों पर लगे ये वायरस देखते-देखते पूरे खेत को अपनी चपेट में ले सकते हैं.
सीएमवी वायरस पौधों पर कीट या एफिड्स के माध्यम से फैलते हैं. अभी जिस तरह का मौसम हो रहा है, उसमें सीएमवी वायरस सबसे तेजी से फैलता है. अधिक तापमान और लगातार हो रही बारिश से एफिड कीट तेजी से बढ़ते हैं. महाराष्ट्र में अभी यही स्थिति देखी जा रही है. देर से बोई गई रबी की फसल (जनवरी-फरवरी की फसल) पर अचानक बारिश और तापमान का असर हुआ जिससे सीएमवी वायरस का अटैक बढ़ गया. इससे टमाटर की फसल सबसे अधिक प्रभावित हुई है.
सीएमवी और टीओएमवी वायरस का अटैक होने पर पौधे का हिस्सा पीला और गहरा हरा हो जाता है. पत्तियों फटने लगती हैं. नई पत्तियां मुड़ने लगती हैं और नए फलों पर दाग आ जाता है. नए पौधे बौने हो जाते हैं और फलों के लगने में देरी आती है.
इन दोनों वायरस से फसलों को बचाने का यही उपाय है कि पौधों को नर्सरी से खेत में रोपाई करने से पहले पूरा एहतियात बरतें. बीज लगा रहे हैं तो उसका उपचार जरूर करें. अगर कोई पौधा संक्रमित दिख रहा है तो उसे खेत से निकाल दें, वर्ना पूरा खेत प्रभावित हो सकता है. अगर फसल पर एफिड कीट का अटैक है तो उसे मारने के लिए कीटनाशक का छिड़काव करें.
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