बिहार की धरती पर उपजने वाले पोषण से भरपूर मखाने की मांग देश सहित विदेशों में भी बड़ी तेजी से बढ़ती जा रही है. मखाना अपनी बेहतर क्वालिटी और गुणों के लिए जाना जाता है. वहीं बात करें इसकी खेती की तो ये जितना ही स्वास्थ्यवर्धक होता है, इसकी खेती उतनी ही कठिन होती है. नर्सरी से लेकर हार्वेस्टिंग तक इसकी खेती में किसानों को काफी मेहनत करनी पड़ती है.
ऐसे में क्या आपको पता है कि मखाने की खेती का एक पूरा शेड्यूल है जिसमें हर महीने का खास तरह का कृषि कार्य है. इसे आप मखाना डायरी भी कह सकते हैं जिसमें जनवरी से दिसंबर तक खेती के लिए क्या-क्या करना होता है, वो सारी बातें बताई गई हैं. ऐसे में आइए पढ़ते हैं मखाना डायरी.
जनवरी: जनवरी का महीना मखाना की खेती के लिए बेस्ट माना जाता है. इस महीने में मखाने के बीज की बुआई की जाती है.
फरवरी: फरवरी के महीने में मखाने का बीज अंकुरित होने लगता है.
मार्च: मार्च में मखाने के पौधे पानी के ऊपरी सतह पर निकल आते हैं.
अप्रैल: अप्रैल के महीने में मखाने के पौधे में फूल खिलने लगते हैं.
मई: मई में फूल निकलने के बाद फल पूरी तरह से विकसित हो जाता है.
जून: जून के महीने में तालाब या खेत से ताजा बीज एकत्र किए जाने लगते हैं.
जुलाई: कई किसान जुलाई के महीने में भी इसकी बुवाई करते हैं.
अगस्त: अगस्त में मखाने की फसल तैयार हो जाती है.
सितंबर: सितंबर महीने से मखाने की कटाई शुरू हो जाती है.
अक्टूबर: अक्टूबर के महीने में किसान इसकी प्रोसेसिंग में लग जाते हैं.
नवंबर: नवंबर के महीने में किसान इसकी नर्सरी लगाने लगते हैं.
दिसंबर: दिसंबर में किसान आगामी सीजन के लिए खेत की तैयारी करना शुरू कर देते हैं.
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अगर आप भी मखाने की बुवाई करना चाहते हैं तो आप खेती करने के लिए 30 से 90 किलो स्वस्थ मखाना बीज को तालाब में दिसंबर या जनवरी के महीने में हाथों से छिड़क दें. बीज छिड़कने के 35 से 40 दिन बाद पानी में बीज उगना शुरू हो जाता है. वहीं फरवरी या मार्च में मखाने के पौधे पानी के ऊपरी सतह पर निकल आते हैं. इस अवस्था में पौधों से पौधों के बीच की दूरी 1 मीटर करने के लिए अतिरिक्त पौधों को निकाल दिया जाता है, ताकि आपकी फसल अच्छे से ग्रोथ कर सके.
देश में मखाने की 90 फीसदी खेती अकेले बिहार में की जाती है क्योंकि यहां की जलवायु इसके लिए सबसे उपयुक्त है. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश, असम, मेघालय और उड़ीसा में भी इसकी खेती की जाती है. वहीं अकेले बिहार के मिथिला क्षेत्र यानी दरभंगा, मधुबनी और समस्तीपुर जैसे जिलों में लोग मखाने की खेती अधिक मात्रा में करते हैं. यहां के मखाने की बेहतरीन क्वालिटी को देखते हुए इसे जीआई टैग भी मिल चुका है. आज यहां का मखाना मिथिला मखाना के नाम से जाना जाता है.
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