किसी भी दुधारु पशु के लिए जितना जरूरी सूखा और दानेदार चारा होता है, उतना ही जरूरी हरा चारा भी होता है. यानी दुधारु पशु को सालभर हरा चारा देना बेहद जरूरी होता है. तभी पशु पौष्टिक दूध भी देगा और उसकी ग्रोथ भी होगी. खासतौर पर ऐसे पशुओं के लिए हरा चारा जरूरी हो जाता है जो फार्म पर रखकर पाले जाते हैं. जिन्हें खुले मैदान में चरने का मौका नहीं मिलता है. लेकिन हरा चारा पूरे साल कैसे मिलेगा, क्योंकि किसी भी चारे की फसल कटने पर वो बाजार में एक-दो महीने तक तो उपलब्ध रहता है, लेकिन फिर उसकी कमी होने लगती है. इसी कमी को पूरा करने के लिए केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा ने हरा चारा स्टोर करने के कुछ साइंटीफिक तरीकों पर रिसर्च की है.
सीआईआरजी के डायरेक्टर मनीष कुमार चेटली का कहना है कि हमारे संस्थान में बकरे और बकरियों के चारे को लेकर खासा काम चल रहा है. क्योंकि जब बकरे का मीट एक्सपोर्ट होता है तो उससे पहले हैदराबाद की एक लैब में मीट की जांच होती है. जांच में यह देखा जाता है कि मीट में किसी तरह के नुकसानदायक पेस्टिसाइड तो नहीं है. और यह सिर्फ बकरे के मीट ही नहीं बीफ के मामले में भी ऐसा ही होता है. रिर्पोट पॉजिटिव आने पर मीट के कंसाइनमेंट को रोक दिया जाता है. इससे कारोबारी को बड़ा नुकसान होता है.
सीआईआरजी के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. अरविंद कुमार ने किसान तक को बताया कि हरा चारा स्टोर करने के लिए हमेशा पतले तने वाली फसल का चुनाव करें. क्योंकि पतले तने वाली फसल जल्दी सूखेगी. कई बार ज्यादा लम्बे वक्त तक सुखाने के चलते भी चारे में फंगस की शिकायत आने लगती है. जिस चारे को स्टोर करना है उसे पकने से कुछ दिन पहले ही काट लें. इसके बाद उसे धूप में सूखने के लिए रख दें. हालांकि, चारे को सुखाने के लिए कभी भी उसे जमीन पर डालकर न सुखाएं.
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चारा सुखाने के लिए जमीन से कुछ ऊंचाई पर जाली वगैरह रखकर उसके ऊपर चारे को डाल दें. इसे लटका कर भी सुखाया जा सकता है. क्योंकि जमीन पर डालने से चारे पर मिट्टी लगने का खतरा रहेगा जो फंगस आदि की वजह बन सकती है. जब चारे में 15 से 18 फीसद के आसपास नमी रह जाए, यानी चारे का तना टूटने लगे तो उसे सूखी जगह पर रख दें. इस बात का ख्याल रहे कि अगर चारे में नमी ज्यादा रह गई तो उसमे फंगस आदि लग जाएंगे और चारा खराब हो जाएगा. इतना ही नहीं इस खराब चारे को गलती से भी पशु ने खा लिया तो वो बीमार हो जाएगा.
डॉ. अरविंद कुमार ने बताया कि बरसीम, ओट और चरी पतले तने वाली चारे की फसल हैं. इन्हें आसानी से सुखाकर स्टोर किया जा सकता है. लेकिन किसी भी चारे की फसल को स्टोर करते वक्त इस बात का भी खास ख्याल रखें कि स्टोर किए जा रहे चारे की मात्रा उतनी ही हो कि चारे की आने वाली नई फसल तक स्टोर किया गया चारा खत्म हो जाए.
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