Sugar MSP, इथेनॉल पॉलिसी को लेकर फिर मुखर हुआ ISMA, बैठक में सरकार के सामने रखी ये मांगें

Sugar MSP, इथेनॉल पॉलिसी को लेकर फिर मुखर हुआ ISMA, बैठक में सरकार के सामने रखी ये मांगें

ISMA ने सरकार से चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य बढ़ाने की मांग की है. संगठन का कहना है कि मौजूदा बाजार भाव उत्पादन लागत से नीचे है, जिससे चीनी मिलों की हालत बिगड़ रही है और गन्ना किसानों को समय पर भुगतान नहीं मिल पा रहा है.

Advertisement
Sugar MSP, इथेनॉल पॉलिसी को लेकर फिर मुखर हुआ ISMA, बैठक में सरकार के सामने रखी ये मांगेंचीनी का एमएसपी बढ़ाने की मांग

नई दिल्ली में आज इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन यानी ISMA की सालाना आम बैठक हुई, जिसमें संगठन के पदाधिकारियों के साथ सरकार के बड़े अधिकारी और मंत्री भी शामिल हुए. ISMA ने सरकार से चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य यानी MSP बढ़ाने की मांग की है. संगठन ने कहा कि मौजूदा हालात में चीनी की कीमत इतनी कम हो गई है कि उससे लागत भी नहीं निकल पा रही है. ऐसे में अगर जल्द दाम नहीं बढ़े तो चीनी मिलों के साथ-साथ गन्ना किसानों को भी नुकसान झेलना पड़ सकता है.

चीनी के बाजार भाव में आई गिरावट: ISMA

बैठक के बाद जारी बयान में ISMA ने साफ कहा कि वह केंद्र सरकार और दूसरे साझेदारों के साथ मिलकर काम करना चाहता है, ताकि चीनी और बायो-एनर्जी सेक्टर को लंबे समय के लिए मजबूत बनाया जा सके. ISMA ने बताया कि पिछले कुछ समय से चीनी के बाजार भाव में गिरावट आई है. फिलहाल चीनी की कीमत उत्पादन लागत से नीचे चल रही है. इसका सीधा असर चीनी मिलों की आर्थिक सेहत पर पड़ रहा है.

जब मिलों के पास पैसे नहीं होते तो सबसे ज्यादा दिक्कत किसानों को होती है, क्योंकि उन्हें गन्ने का भुगतान समय पर नहीं मिल पाता. इसी वजह से संगठन ने सरकार से मांग की है कि चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य जल्द से जल्द बढ़ाया जाए, ताकि मिलें आर्थिक रूप से संभल सकें और किसानों को समय पर भुगतान हो सके.

'भविष्य को ध्यान में रखकर काम करना जरूरी'

ISMA के अध्यक्ष गौतम गोयल ने कहा कि भारतीय चीनी और बायो-एनर्जी उद्योग एक अहम मोड़ पर खड़ा है. उन्होंने कहा कि आज की आर्थिक चुनौतियों से निपटना जरूरी है, लेकिन साथ ही भविष्य को ध्यान में रखकर काम करना भी उतना ही जरूरी है. उन्‍होंने कहा कि तकनीक, टिकाऊ खेती और अलग-अलग उत्पादों की ओर बढ़ना ही इस सेक्टर को आगे ले जाएगा. ISMA सरकार के साथ मिलकर ऐसे कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे उद्योग और किसानों दोनों को लंबे समय में फायदा हो.

बैठक में इथेनॉल को लेकर भी चर्चा हुई. ISMA ने कहा कि 2025-26 के लिए इथेनॉल खरीद मूल्य बढ़ाया जाना चाहिए. संगठन का तर्क है कि पिछले तीन साल से इथेनॉल के दाम नहीं बढ़े हैं, जबकि उत्पादन लागत लगातार बढ़ रही है. इससे इथेनॉल बनाने वाली कंपनियों पर दबाव बढ़ रहा है. ISMA ने यह भी कहा कि गन्ने से इथेनॉल बनाने वाले सभी उत्पादकों के लिए नियम बराबर होने चाहिए, खासकर निजी कंपनियों के लिए.

फ्लेक्स फ्यूल गाड़‍ियों को लेकर की ये डिमांड

एथेनॉल की खपत बढ़ाने के लिए ISMA ने फ्लेक्स फ्यूल से चलने वाली गाड़ियों पर टैक्स कम करने की मांग भी की. संगठन का मानना है कि ऐसी गाड़ियां देश में बनने वाले इथेनॉल के बेहतर इस्तेमाल का सबसे अच्छा तरीका हैं. इसके अलावा बैठक में डीजल में आइसो-ब्यूटेनॉल मिलाने जैसे नए विकल्पों पर भी बात हुई, जिसे भविष्य में एक नए मौके के तौर पर देखा जा रहा है.

ISMA के उपाध्यक्ष नीरज शिरगांवकर ने कहा कि एथेनॉल अब भारत की ऊर्जा नीति का एक मजबूत स्तंभ बन चुका है. उन्होंने बताया कि अगर समय रहते इथेनॉल के दामों में बदलाव नहीं किया गया और E20 के बाद की नीति साफ नहीं हुई तो निवेश पर असर पड़ सकता है. इससे देश के नेट जीरो लक्ष्य को हासिल करने की रफ्तार भी धीमी पड़ सकती है.

ISMA ने चीनी उत्‍पादन को लेकर ये अनुमान

चीनी उत्पादन को लेकर ISMA ने अपने अनुमान की भी जानकारी दी. नवंबर 2025 में जारी पहले अनुमान के मुताबिक, 2025-26 सीजन में देश में कुल 343.5 लाख टन चीनी उत्पादन का आकलन किया गया है. यह अनुमान पूरे देश की सैटेलाइट तस्वीरों और खेतों के आकलन के आधार पर लगाया गया था. इसके बाद महाराष्ट्र और कर्नाटक से नवंबर के आखिर और दिसंबर की शुरुआत में नई तस्वीरें सामने आईं. इनमें फसल की हालत पिछले साल के मुकाबले बेहतर दिखी. ISMA के अनुसार, इन राज्यों में उत्पादन करीब 28 प्रतिशत ज्यादा रहने की संभावना है. इसके बावजूद संगठन ने अपने कुल उत्पादन अनुमान को 343.5 लाख टन पर ही बरकरार रखा है.

ISMA के महानिदेशक दीपक बल्लानी ने कहा कि आने वाला साल नई क्षमताएं विकसित करने पर केंद्रित रहेगा. इसमें बेहतर गन्ना किस्मों पर काम, मिलों का डिजिटलीकरण और बायो-आधारित उत्पादों की ओर बढ़ना शामिल है. उन्होंने कहा कि यह आत्मनिर्भर और विकसित भारत के लक्ष्य से जुड़ा हुआ है, जिससे देश की आत्मनिर्भरता, पर्यावरण संरक्षण और किसान समृद्धि को मजबूती मिलेगी. इस बैठक में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव संजीव चोपड़ा जैसे कई वरिष्ठ सरकारी अधिकारी भी मौजूद रहे. (एएनआई)

POST A COMMENT