चीनी और इथेनॉल के न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) में बढ़ोत्तरी नहीं किए जाने से कई चीनी मिलों पर बंद होने का संकट गहरा गया है. शुगर इंडस्ट्री चीनी के एमएसपी पर 6 साल से बढ़ोत्तरी की मांग कर रहे हैं. नाराज शुगर मिल्स एसोसिएशन ने केंद्र सरकार को चेताया है कि अगर जल्द ही दोनों प्रोडक्ट के लिए एमएसपी में बढ़ोत्तरी नहीं की जाती है तो नए पेराई सीजन में बड़ी संख्या में चीनी मिलें बंद रह सकती हैं. कहा गया कि सरकार ने गन्ना के एफआरपी में बढ़ोत्तरी की है, जिससे मिलों पर वित्तीय बोझ बढ़ता जा रहा है.
वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (WISMA) ने चेतावनी जारी की है कि अगर सरकार चीनी और इथेनॉल के न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) को बढ़ाने पर फैसला नहीं लेती है तो कई चीनी मिलें इस सीजन में पेराई शुरू नहीं कर पाएंगी. WISMA के प्रतिनिधित्व में केंद्र सरकार को इस संबंध में चिट्ठी सौंपी गई है, जिसमें चीनी के MSP में न्यूनतम 7 रुपये प्रति क्विंटल और इथेनॉल की कीमतों में 5 से 7 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की मांग की गई है. सरकार से आग्रह किया गया है कि पेराई सीजन में दिक्कतों और गन्ना किसानों के लिए नुकसान से बचने के लिए 15 नवंबर तक यह मांग पूरी कर दी जाए.
बीते सप्ताह केंद्र की समीक्षा बैठक में चीनी के एमएसपी बढ़ोत्तरी को फिर से टाल दिया गया है. इस पर WISMA ने चिंता जताते हुए कहा कि MSP बढ़ाने पर रोक लगाने का सरकार का फैसला इंडस्ट्री की स्थिरता के लिए झटका है. गन्ने के लिए उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) में वार्षिक बढ़ोतरी के बावजूद चीनी का MSP 2019 से बदलाव नहीं गया है. इससे मिलें गंभीर वित्तीय बोझ से जूझ रही हैं. WISMA के अनुसार कर्ज का बोझ उद्योग और गन्ना किसानों दोनों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है, जिससे लंबी अवधि के लिए आर्थिक नतीजे विपरीत होने का संकट है.
WISMA ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था में शुगर इंडस्ट्री की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि इसे दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता और किसानों और मजदूरों के लिए आजीविका का मुख्य सोर्स बताया. कहा कि इसके बावजूद इंडस्ट्री को केंद्र या राज्य सरकारों से बहुत कम समर्थन मिलता है. प्रोत्साहन और एमएसपी एडजस्ट करने की अपील कई बार अनसुनी कर दी गई हैं. गन्ने के लिए एफआरपी हर साल बढ़ता है इसलिए इंडस्ट्री का कहना है कि मिलों को वित्तीय रूप से मजबूत बनाए रखने और यह एफआरपी का भुगतान करने में सक्षम बनाए रखने के लिए चीनी के एमएसपी में समान बढ़ोत्तरी की उम्मीद सही है.
केंद्र सरकार एफआरपी तय करने के लिए हर साल कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) से परामर्श करती है. शुगर इंडस्ट्री से जुड़े लोगों, किसानों से इनपुट पर विचार करती है. फिर भी सरकार का ध्यान केवल FRP बढ़ाने और मिलों से एकमुश्त भुगतान लागू करने पर रहा है. जबकि चीनी के लिए MSP में बढ़ोत्तरी के लिए इंडस्ट्री की मांगों को अनदेखा किया गया है. WISMA ने चेतावनी दी है कि इस नीति के भयंकर परिणाम हो सकते हैं, जिससे इंडस्ट्री बंद हो सकती है. WISMA ने कहा कि अगर सरकार इन मांगों को नहीं मानती है तो आगामी पेराई सीजन खतरे में पड़ जाएगा, जिससे इंडस्ट्री और केंद्र सरकार का इथेनॉल ब्लेंडिंग कार्यक्रम खतरे में पड़ जाएगा और गन्ना किसानों को समय पर भुगतान नहीं मिल पाएगा.
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