पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद जहां पूरा देश आहत हुआ था. उसके बाद भारत की सेना ने ऑपरेशन सिंदूर कर जबाबी कार्यवाही की थी, जिसके बाद देश गौरवान्वित हुआ जिसको लेकर देश में अलग-अलग तरह से सेना के सम्मान में स्वागत किया गया. इसी के मद्देनजर देश की बहुचर्चित पंतनगर यूनिवर्सिटी ने कुछ ऐसा कर दिखाया है जो चर्चा का विषय बन गया है. दरअसल, यहां के वैज्ञानिकों ने यूनिवर्सिटी में शोधकर आम की नई प्रजाति तैयार की है, जिसका नाम ऑपरेशन "सिंदूर" के नाम पर रखकर सेना को समर्पित किया. पंतनगर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के द्वारा नई दिल्ली में शोध किए गए आम की प्रदर्शनी लगाई गई थी, जिसमें तीनों सेनाओं के अध्यक्ष सहित सेना के प्रमुख भी मौजूद रहे थे.
आपको बता दे कि उत्तराखंड के जनपद उधम सिंह नगर के पंतनगर में स्थित बहूचर्चित यूनिवर्सिटी जीबी पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में डॉ अशोक कुमार सिंह के नेतृत्व में वैज्ञानिकों के टीम ने रिसर्च कर आम की एक नई प्रजाति को विकसित किया है. यह आम की प्रजाति सबसे अलग है, जिसके चलते विगत तीन दिन पहले दिल्ली एयरफोर्स मेस में मैंगो फेस्टिवल का आयोजन किया गया, जिसमें CDS और एयरचीफ मार्शल समेत कई रक्षा अधिकारियों ने आमों का स्वाद चखा और पंतनगर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर बी चौहान और डॉक्टर अशोक कुमार सिंह को आमों की तारीफ की और शुभकामनाएं दी. शोध की हुई आम की इस प्रजाति को दिल्ली के एग्जीविशन कार्यक्रम में इसका नाम दिया गया. इस आम की किस्म को ऑपरेशन सिंदूर के नाम पर रखकर देश की सेवा को समर्पित कर दिया गया. यह आम सबसे अलग इसलिए है, क्योंकि आमों की फसल जो पूरी तरफ से समाप्त हो जाती है, लेकिन ये आम सितंबर महीने के पहले सप्ताह में पक कर तैयार हो जाएगा और लोगों को इस आम का स्वाद चखने मिल जाएगा.
जीबी पंत प्रौद्योगिकी कृषि विद्यालय के वाइस चांसलर डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने बताया कि आम की प्रजातियां विकसित करने में लगातार काम किया जा रहा है, इस साल हमने विगत 6 जुलाई को दिल्ली में आमों की प्रदर्शनी लगाई थी. प्रदर्शनी में आर्मी और एयरफोर्स के ऑफिसर लोग को इनवाइट किया गया था. आम की प्रदर्शनी में करीब हमने 45 किस्म के आम की प्रजातियां का प्रदर्शन किया, जिसमें उनका हमने सभी को स्वाद भी चखाया. इन्हीं प्रजातियों में एक प्रजाति आम की विकसित की जिसका नाम हमने " सिंदूर " रखा है. ऑपरेशन सिंदूर में हमारे सैनिको को सम्मान देते हुए इसका नाम " सिंदूर " रखा गया है. यह वैरायटी सितंबर के महीने में पक कर लोगों के बीच उपलब्ध होगी. वहीं, दूसरी वैरायटी में अंतर यह है कि दूसरी वैरायटी जब समाप्त हो जाती है तब यह वैरायटी आपको उपलब्ध होगी. सबसे बड़ी बात यह होगी कि हमारे किसानों को इसका सीधा फायदा पहुंचेगा और किसानों की आय दोगुनी होगी.
पंतनगर विश्वविद्यालय में आम पर रिसर्च चल रहा है, जिसमें वैज्ञानिकों की टीम ने यहां के एरिया में सर्वे करके एक आम की खोज की है जिसका नाम हम लोगों ने अभी पंतनगर मैंगो श्रिलिंग सिलेक्शन वन रखा है. इस आम की मैच्योरिटी बहुत लेट होती है. दरअसल, ये आम अगस्त के लास्ट वीक में और सितंबर के फर्स्ट वीक में तैयार होता है, जबकि अन्य आम अगस्त के फर्स्ट वीक तक खत्म हो जाएंगे तब यह आम बाजार में उपलब्ध होगा. हमारे किसानों का इसका अच्छा पैसा मिल सकता है. इसकी जो शुगर और एसिड (अम्ल और शर्करा) उसमें मिश्रण बहुत अच्छा है. यह स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. इस आम का वजन लगभग 200 से 250 ग्राम तक विकसित हो जाता है. ये आम पकने के बाद पीले रंग का हो जाता है.
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