Soil Testing: मिट्टी की जांच से पहले इन 5 बातों का रखें ध्यान, वरना हो जाएगा नुकसान

Soil Testing: मिट्टी की जांच से पहले इन 5 बातों का रखें ध्यान, वरना हो जाएगा नुकसान

Soil Sampling Tips: मिट्टी परीक्षण खेती में एक जरूरी कदम है. लेकिन अगर नमूना लेने से लेकर जांच करवाने तक की प्रक्रिया में लापरवाही हुई, तो नुकसान हो सकता है. इसलिए नीचे दी गई 5 बातों का ध्यान रखें और खेती को बनाएं ज्यादा लाभदायक.

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मिट्टी की जांच से पहले इन 5 बातों का रखें ध्यान, वरना हो जाएगा नुकसानऐसे करें मिट्टी की जांच (Soil Testing)

Soil Testing: मिट्टी हमारी खेती का आधार है. अच्छी फसल के लिए यह जरूरी है कि हम जानें कि हमारी मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्व मौजूद हैं और किनकी कमी है. मिट्टी परीक्षण (Soil Testing) करके हम अपनी जमीन की उर्वरता को समझ सकते हैं और उसी अनुसार खाद, उर्वरक और फसल का चुनाव कर सकते हैं. लेकिन मिट्टी की जांच करवाने से पहले कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है, वरना फायदा होने की जगह नुकसान हो सकता है.

1. मिट्टी जांच का सही समय

मिट्टी परीक्षण का सबसे अच्छा समय रबी फसल की कटाई के बाद या खरीफ फसल की बुवाई से पहले होता है. इस समय खेत खाली रहते हैं और जांच का सही नतीजा मिलता है. अगर आप फसल की बुवाई के समय या बीच में मिट्टी की जांच कराते हैं, तो परिणाम सटीक नहीं आएंगे.

2. सही तरीके से लें मिट्टी का नमूना

  • मिट्टी का नमूना लेने की प्रक्रिया बहुत ही सावधानी से करनी चाहिए.
  • एक हेक्टेयर खेत से लगभग 15 स्थानों से 15 सें.मी. गहराई तक मिट्टी निकालें.
  • खुरपी या मिट्टी काटने वाले औजार से V आकारमें गड्ढा बनाएं.
  • वहां से बीच की मिट्टी निकालें और सभी नमूनों को अच्छी तरह मिलाएं.

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3. इन जगहों से मिट्टी का नमूना ना लें

कुछ जगहों से मिट्टी लेने से आपका परिणाम गलत हो सकते हैं. इसलिए ध्यान रहे कि आप इन जगहों से मिट्टी न लें.

  • खेत के किनारों से
  • खाद या गोबर डाले गए स्थान से
  • छायादार स्थान से
  • पानी की नालियों या सिंचाई पाइप के पास से

ऐसी जगहों से मिट्टी की स्थिति सामान्य खेत से अलग होती है, जिससे सैंपल गलत हो सकता है.

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4. मिट्टी को कैसे भेजें लैब में

सभी नमूनों को मिलाकर लगभग 500 ग्राम मिट्टी लें और किसी सूती कपड़े या कागज की थैली में भरें. थैली पर पूरा विवरण जैसे-

  • किसान का नाम
  • खेत का क्षेत्रफल
  • गांव और जिले का नाम
  • पिछली फसल का नाम
  • सिंचाई की व्यवस्था

पूरी जानकारी जरूर लिखें और नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या प्रयोगशाला में भेजें.

5. मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड जरूर बनवाएं

जांच के बाद मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card) बनवाना न भूलें. इससे आपको जानकारी मिलेगी कि आपकी मिट्टी में कौन से पोषक तत्व कम हैं और किनका संतुलन ठीक है. इसके आधार पर आप उर्वरकों और खाद का सही उपयोग कर सकते हैं और लागत में कमी व उत्पादन में बढ़ोतरी कर सकते हैं.

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