उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फूलों की खेती से जुड़े किसानों को बड़ी राहत दी है. उन्होंने 'सभी तरह के फूलों' को विनिर्दिष्ट कृषि उत्पाद की श्रेणी से हटाकर गैर-विनिर्दिष्ट श्रेणी में रखने का फैसला किया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि फूलों की ताजगी बहुत कम समय के लिए होती है और ये जल्दी खराब हो जाते हैं. मंडी तक लाने में समय लगने से फूलों की गुणवत्ता पर असर पड़ता है और किसान सही कीमत मिलने से वंचित रह जाते हैं. ऐसे में किसानों को फूलों की बिक्री मंडी के बाहर करने पर किसी भी प्रकार का मंडी शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए. यह निर्णय खासतौर पर छोटे, सीमांत और फूलों की मौसमी खेती करने वाले किसानों को ताकत देने वाला होगा.
शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई उत्तर प्रदेश राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के संचालक मंडल की 171वीं बैठक में लिए यह फैसला लिया गया है. इस फैसले के बाद अब फूल की खेती करने वाले किसानों को मंडी परिसर से बाहर व्यापार करने पर कोई शुल्क नहीं देना होगा. जबकि मंडी परिसर में उनसे मात्र प्रयोक्ता शुल्क लिया जाएगा.
बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि मंडी परिषद केवल एक संस्थागत निकाय नहीं, बल्कि किसानों के आत्मसम्मान, अधिकार और आर्थिक सशक्तिकरण का सशक्त माध्यम है. उन्होंने दो टूक कहा कि मंडियों की व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए, जहां किसान सुविधाजनक, सुरक्षित और सम्मानजनक ढंग से अपनी उपज को बेच सकें. मुख्यमंत्री ने मंडियों को उत्तरदायी, पारदर्शी और तकनीक-सक्षम बनाते हुए इन्हें राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनाने की आवश्यकता पर बल दिया.
महत्वपूर्ण बैठक में मुख्यमंत्री ने मंडी परिषद की सभी प्रधान कृषि मंडी स्थलों में ‘शबरी कैंटीन’ स्थापित करने का निर्देश भी दिया. उन्होंने कहा कि इन कैंटीनों का मकसद सिर्फ भोजन उपलब्ध कराना नहीं, बल्कि सेवा भावना के साथ सस्ता, स्वास्थ्यवर्धक और स्वादिष्ट भोजन सुनिश्चित करना होना चाहिए. भूमि मंडी परिषद द्वारा निःशुल्क उपलब्ध कराई जाए और संचालन गैर-सरकारी या स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा किया जाए. मुख्यमंत्री ने साफ कहा है कि इस योजना का मूल भाव 'सेवा' हो, ‘व्यापार’ नहीं. इससे मंडियों में आने वाले किसानों, मजदूरों और विजिटर्स को बड़ी राहत मिलेगी.
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि प्रदेश में आवश्यकता के अनुसार नई मंडियों की स्थापना की जाए और इसके लिए पीपीपी मॉडल पर संभावनाएं तलाश कर योजनाएं बनाई जाएं. साथ ही, लखनऊ के विकल्प खंड, गोमतीनगर में एग्रीमॉल के निर्माण कार्य को तेजी से पूर्ण करने के निर्देश दिए गए. उन्होंने कहा कि अनावश्यक देरी पर जिम्मेदारों पर नियमानुसार दंडात्मक कार्रवाई की जाए. बैठक में अवगत कराया गया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में मंडी परिषद की कुल आय 1994.55 करोड़ रुपये रही है जो कि 2023-24 की तुलना में 16.2 प्रतिशत ज्यादा है. यह परिषद की आर्थिक स्थिति में सुधार का स्पष्ट संकेत है.
मीटिंग में यह भी अवगत कराया गया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में मंडी एवं उपमंडी स्थलों के निर्माण, उन्नयन और जीर्णोद्धार हेतु 195.30 करोड़ रुपये की योजनाएं स्वीकृत की गई हैं. इसके अतिरिक्त 242.27 करोड़ रुपये की लागत से नए संपर्क मार्गों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है. मुख्यमंत्री ने कहा कि मंडी परिषद के पास लगभग 20,000 किलोमीटर लंबी सड़कें हैं. किसानों की सुविधा सुनिश्चित करते हुए मंडी परिषद द्वारा नई सड़कों का निर्माण एफडीआर तकनीक से कराया जाए. उन्होंने निर्देश दिया कि सभी मंडियों में पेयजल, सड़क, शौचालय, विश्रामगृह, विद्युत जैसी मूलभूत सुविधाएं समयबद्ध ढंग से सुनिश्चित की जाएं.
बैठक में अवगत कराया गया कि प्रदेश में 10 नए मंडी एवं उपमंडी स्थलों की स्थापना की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है जिनमें से चार पूरी तरह बनकर तैयार हो गए हैं. जबकि शेष छह पर निर्माण कार्य तीव्र गति से चल रहा है. बैठक में कृषि शिक्षा से जुड़े छात्रों के हित में बैठक में एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया. तय हुआ कि अब प्रयागराज स्थित प्रो. राजेन्द्र सिंह (रज्जू भइया) विश्वविद्यालय के कृषि फैकल्टी के छात्र भी ‘मुख्यमंत्री कृषक छात्रवृत्ति योजना’ के अंतर्गत लाभान्वित होंगे. वर्तमान में यह योजना प्रदेश के 09 विश्वविद्यालयों और 60 महाविद्यालयों में संचालित है.
बैठक में यह भी फैसला किया गया है कि आम की गुणवत्ता और उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से प्री-हार्वेस्ट मैनेजमेंट के अंतर्गत किसानों को मैंगो प्रोटेक्टिव बैग्स और इंसेक्ट फ्लाई ट्रैप्स जैसी सामग्री निःशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी. यह पहल किसानों को कीटों से फसल की रक्षा और बाजार में गुणवत्ता पूर्ण आम पहुंचाने में मदद करेगी. मुख्यमंत्री ने बैठक में जोर देते हुए कहा कि मंडी परिषद को केवल व्यवस्थागत सुधारों तक सीमित नहीं रखा जा सकता, बल्कि इसे किसानों के हितों की सुरक्षा और कृषि अर्थव्यवस्था को गति देने वाले एक नए मॉडल में परिवर्तित करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार इस परिवर्तन के लिए पूरी प्रतिबद्धता और संवेदनशीलता के साथ कार्य कर रही है.
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