आपने कभी ना कभी पेड़ से पका हुआ सीताफल तोड़कर खाया ही होगा. ये खाने में बेहज लजीज़ और मीठा होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सीताफल से कई तरह की खाने की चीजें भी बनाई जा सकती हैं. मसलन सीताफल की टॉफी, आईसक्रीम, जैम, सीताफल का ज्यूस और सीताफल का पाउडर. इसके अलावा सीताफल का पल्प भी बाजार में आजकल बिकने लगा है. राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में सीताफल एक्सीलेंस सेंटर है.
इस सेंटर में सीताफल की उन्नत खेती, नई किस्मों का विकास जैसे काम किए जाते हैं. सेंटर यहां आने वाले किसानों को सीताफल के उत्पाद बनना भी सिखाता है.
सीताफल की टॉफी बनाने के लिए इसका एक किलो पल्प लेकर उसमें दो किलो शक्कर और एक किलो लिक्विड ग्लूकोज मिलाते हैं. इस मिश्रण को करीब 15 मिनट तक इसकी गोली बनने तक उबालना है. फिर इसे ठंडा होने पर अलग-अलग तरह के सांचों में ढाल कर टॉफी बनाई जा सकती है. इसके अलावा सीताफल की आईसक्रीम बनाने के लिए 3-4 कप सीताफल पल्प, आधा कप फ्रेश क्रीम, एक कप दूध पाउडर, एक तिहाई शक्कर और एक चम्मच वनीला एसेंस से आईसक्रीम बनाई जा सकती है.
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चित्तौड़गढ़ स्थित सीताफल एक्सीलेंस सेंटर में सीताफल का जैम बनाने की ट्रेनिंग भी किसानों और महिलाओं की दी जाती है. टॉफी और आईसक्रीम के अलावा सीताफल का जैम भी बनाया जा सकता है. इसके लिए सीताफल के पल्प को निकालकर मिक्सर में लुगदी बना लें. इसके बाद एक स्टील के बर्तन में एक किलो पल्प लेकर उसमें स्वाद के अनुसार चीनी मिला लें. फिर इसे धीमी आंच पर पकाएं और धीरे-धीरे चम्मच से हिलाते रहें.
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इसके बाद एक गिलास में थोड़ा सा पानी लेकर इसमे दो ग्राम साइट्रिक एसिड घोल लें और इसे जैम में मिला लें. इसके बाद इस मिश्रण को तार पड़ने तक पकाते रहें. पूरी तरह पकने पर इसे ठंडा होने दें और कांच के जार में ठंडी जगह पर रख दें.
इन सबके अलावा सीताफल का ज्यूस भी सेंटर में बनाने की ट्रेनिंग दी जाती है. ज्यूस बनाने के लिए सीताफल के पल्प की मात्रा से एक प्रतिशत पेक्टीनोज मिला लें. इसके बाद इसे 50 डिग्री पर दो-तीन घंटे तक पकने दें. पकने के बाद इसे मलमल के कपड़े में छान लें. छानने के बाद इसमें 250-500 मिलीग्राम प्रति लीटर की दर से पोटेशियम मेटाबाइटसल्फाइट मिलाकर रख लें. इसके बाद इसे बोतल में भरकर अगले 10 महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है.
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