टमाटर और प्याज की महंगाई से परेशान उपभोक्ताओं को चावल की कीमतों में उछाल का भी सामना करना पड़ रहा है. गैर बासमती चावल के निर्यात पर लगा बैन हटाने और एमईपी 10 फीसदी घटाने से विदेशी बाजार में भारतीय चावल की मांग में तेज उछाल दर्ज किया गया है. इसके नतीजे में घरेलू बाजार में चावल के दाम में भी उछाल देखा जा रहा है. केंद्र के फैसले के बाद से अब तक चावल का दाम 15 फीसदी तक बढ़ गया है.
केंद्र सरकार ने बीते माह 28 तारीख को गैर बासमती चावल पर निर्यात रोक हटा दी है और उबले चावल पर मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस घटाकर 10 फीसदी कर दिया है. इसकी वजह से भारतीय चावल की वैश्विक मांग में उछाल देखा जा रहा है. हालांकि, इसका असर घरेलू बाजार में चावल की कीमतों में 10 फीसदी से 15 फीसदी तक के उछाल के रूप में देखा जा रहा है. जबकि, भारतीय चावल की विदेशी बाजारों में पहुंच बढ़ने से वैश्विक स्तर पर चावल का दाम 15 फीसदी तक खिसककर नीचे आ गया है.
रिपोर्ट के अनुसार थाईलैंड के चावल की एक खास किस्म 800 डॉलर प्रति टन पर बिक रही थी. लेकिन, भारतीय चावल की पहुंच बढ़ने से पिछले कुछ दिनों में ही थाई किस्म के चावल का दाम गिरकर 710 डॉलर प्रति टन पर आ गया है. भारत के चावल निर्यात खोलने से अकेले थाईलैंड ही नहीं, बल्कि वियतनाम और फिलीपींस से वैश्विक बाजारों में आपूर्ति किए जाने वाले चावल की कीमतें नीचे की ओर जा रही है.
अफ्रीका समेत छोटे देशों को सर्वाधिक निर्यात होने वाला सबसे आम चावल स्वर्णा की कीमतें 35 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 41 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई हैं. पिछले एक सप्ताह में सभी प्रकार के गैर बासमती चावल की कीमतों में 10 फीसदी से 15 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. बता दें कि 2023-24 में भारत का चावल निर्यात कुल 10.42 अरब डॉलर रहा, जो पिछले वित्तीय वर्ष से 6.5 फीसदी कम है. यह गिरावट केंद्र सरकार के निर्यात रोक लगाने से आई थी. वैश्विक चावल बाजार में भारत की हिस्सेदारी 45 फीसदी है. भारत सबसे ज्यादा चावल ईरान, सऊदी अरब, चीन, बेनिन और संयुक्त अरब अमीरात को करता है.
चावल पर निर्यात रोक हटने के बाद वैश्विक मांग में इजाफा दर्ज किया गया है. इसके चलते घरेलू स्तर पर चावल की कीमतें बढ़ने लगी हैं, जो त्योहारी सीजन के दौरान उपभोक्ताओं को परेशान करेंगी. हालांकि, नई फसल आने तक चावल की घरेलू कीमतें स्थिर बनी रहने की संभावना है. इसके अलावा खाद्य तेलों के दाम में भी दबाव बना हुआ है. जबकि, सब्जियों की कीमतें पहले से ही अधिक चल रही हैं.
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