किसी भी कृषि आधारित देश में मौसम को ध्यान में रखते हुए खेती-बाड़ी की जाती है. खास कर बात अगर भारत और पड़ोसी देशों की करें तो यहां पर कृषि मौसम का योगदान सफल खेती में सबसे अधिक माना जाता है. सही समय पर अगर सही ढंग से बुवाई की जाए तो फसल की पैदावार और उपज दोनों बेहतर मिलती है. ऐसे में कृषि मौसम को मुख्यतः तीन भागों में बांटा गया है. रबी खरीफ और जायद. इस मौसम को ध्यान में रखते हुए आज भी भारत और पड़ोसी देशों के अलावा कई जगहों पर खेती की जाती है.
हालांकि यह भी सच है कि बढ़ती तकनीक की वजह से अब यह निर्भरता भी धीरे-धीरे कम होती जा रही है. लेकिन फिर भी किसानों के लिए और खास कर आने वाली पीढ़ी के लिए यह समझना बहुत जरूरी है कि आखिर इन मौसम यानि रबी और खरीफ का खास कर क्या मतलब है और कृषि व्यवस्था में क्या योगदान है.
रबी और खरीफ शब्द का इस्तेमाल सबसे अधिक भारत में ही किया जाता है लेकिन, आपको यह जानकार हैरानी होगी कि यह शब्द हिन्दू शब्दकोश का है ही नहीं. यह दोनों शब्द अरबी भाषा के हैं और इन शब्दों का इस्तेमाल भारत में मुगलकालीन समय से किया जाता आ रहा है. अरबी भाषा में रबी का अर्थ होता है बसंत का मौसम और खरीफ का अर्थ होता है पतझड़ का मौसम. हालांकि अर्थ के हिसाब से इनमें थोड़ी विभिन्नता है लेकिन इनकी उत्पत्ति यही से हुई है.
भारत, पाकिस्तान और नेपाल कभी एक ही राष्ट्र हुआ करते थे लेकिन, बटवारे के बाद यह तीन अलग-अलग देशों में विभाजित हो गए. जिस वजह से यहां खेती करने के तौर तरीके और परंपराएं बिल्कुल एक जैसी रह गयी. भारत में रबी और खरीफ फसलों के बारे में आपने खूब सुना होगा. प्राचीन काल में इसका तात्पर्य उन फसलों कि कटाई और मौसम के आधार पर था. ऐसा इसलिए था क्योंकि किसान उनकी कटाई का समय भूल ना जाए. रबी की फसल का अर्थ है बसंत के मौसम में काटी जाने वाली फसलें और खरीफ की फसल का मतलब है, पतझड़ में काटी जाने वाली फसलें. इस तरह पहले के समय में लोग फसल की कटाई का समय निर्धारित करते थे ताकि फसल की बुवाई से लेकर कटाई तक समय पर की जा सके. हालांकि अब इन मौसम में एक मौसम और जुड़ गया है जिसे हम जायद का मौसम कहते हैं. यह मौसम रबी और खरीफ के बीच का मौसम होता है.
गेहूँ, जौ,आलू, चना, मसूर, अलसी, मटर व सरसों रबी की प्रमुख फसलें मानी जाती हैं.
तरबूज, खीरा,खरबूजा ककड़ी, मूंग, उड़द, सूरजमुखी इत्यादि.
धान (चावल), मक्का, ज्वार, बाजरा, मूँग, मूँगफली, गन्ना, सोयाबीन, उडद, तुअर, कुल्थी, जूट, सन, कपास आदि.
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