खाद्य वस्तुओं की महंगी कीमत से परेशान उपभोक्ताओं को राहत मिलने वाली है. दरअसल, आलू की कीमतों में गिरावट आने का अनुमान जताया गया है, क्योंकि दिल्ली समेत आलू की जरूरत वाले दूसरे राज्यों को पश्चिम बंगाल से हर हफ्ते 2 लाख टन की आलू खेप मिलने वाली है. इससे बाजार में आलू के स्टॉक से दबाव हटेगा और आपूर्ति में इजाफा होगा, जो कीमतों को नीचे लाने में मदद करेगा.
दिल्ली एनसीआर के बाजारों में बीते कई सप्ताह से आलू की कीमत 40 रुपये से 50 रुपये प्रति किलो के आसपास चल रही है. दिल्ली को आलू भेजने वाले प्रमुख राज्यों में उत्तर प्रदेश और हिमाचल में जनवरी-फरवरी में बेमौसम बारिश के चलते आलू फसल पर बुरा असर पड़ा था, जिसके नतीजे में उत्पादन प्रभावित हुआ. जबकि, गर्मियों के महीनों में अप्रैल से आलू की खपत में बढ़ोत्तरी भी दर्ज की गई, लेकिन कोल्ड स्टोरेज में स्टॉक किए जाने से जून से आलू के दाम में उछाल देखा गया है.
एजेंसी के अनुसार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को दूसरे राज्यों को एक सप्ताह में 2 लाख टन तक आलू निर्यात करने की अनुमति दे दी. बुधवार से आपूर्ति शुरू की जाएगी. बता दें कि जून में आलू की कीमतों में उछाल के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने दूसरे राज्यों को आलू निर्यात पर रोक लगा दी थी. इस निर्णय से नाराज आलू व्यापारियों ने उस महीने कुछ दिनों तक हड़ताल भी की थी.
कृषि मार्केटिंग मंत्री बेचाराम मन्ना ने पीटीआई को बताया कि उत्तर बंगाल से एक लाख मीट्रिक टन और दक्षिण बंगाल से एक लाख मीट्रिक टन आलू निर्यात किया जाएगा. हालांकि, जिन राज्यों को आलू की जरूरत है उन्हें मांग उठानी होगी. कृषि मार्केटिंग मंत्री ने कहा कि एक सप्ताह के बाद निर्यात से राज्य में आलू की कीमत पर पड़ने वाले असर की समीक्षा की जाएगी, उसके बाद आगे के लिए सप्लाई तय की जाएगी.
प्रगतिशील आलू व्यापारी संघ के सचिव ने बैठक के बाद कहा कि मुख्यमंत्री ने बुधवार से पड़ोसी राज्यों को निर्यात शुरू करने पर सहमति जताई है, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि आलू की कीमत मौजूदा स्तर से ऊपर नहीं बढ़नी चाहिए. सरकारी स्टोर सफल पर आलू 30 रुपये प्रति किलो कीमत पर बिक रही है.
व्यापारियों और कोल्ड स्टोरेज अधिकारियों ने सरकार से किसानों को संभावित नुकसान से बचाने के लिए निर्यात की अनुमति देने का आग्रह किया था, जिसके बाद निर्यात शुरू करने का फैसला लिया गया है. कृषि मार्केटिंग मंत्री ने कहा कि सरकार व्यापारियों पर कड़ी निगरानी रख रही है, क्योंकि ऊंची कीमतों से किसानों को कोई लाभ नहीं हो रहा है, जिन्होंने अपनी उपज 14 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेची थी. लेकिन, कारोबारी कम से कम 25-30 रुपये प्रति किलो आलू बेच रहे हैं.
दिल्ली, ओडिशा, त्रिपुरा समेत कई राज्यों को आलू की जरूरत है. इन राज्यों ने स्थानीय स्तर पर कीमतों को नीचे लाने के लिए प्रमुख आलू उत्पादक राज्यों से संपर्क करते रहे हैं. वहीं, अब ताजा फैसले के बाद पश्चिम बंगाल से इन राज्यों को आलू मिलने का रास्ता साफ हो गया है. ऐसे में माना जा रहा है कि अगले कुछ सप्ताह दिल्ली में आलू की कीमत में गिरावट देखने को मिल सकती है. जबकि, त्रिपुरा और ओडिशा समेत अन्य राज्यों में कीमतों में नरमी देखी जा सकती है.
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