Parliament Special Session: क‍िसानों को समर्प‍ित हो संसद का व‍िशेष सत्र, खेती पर जारी हो श्वेत पत्र

Parliament Special Session: क‍िसानों को समर्प‍ित हो संसद का व‍िशेष सत्र, खेती पर जारी हो श्वेत पत्र

1970 में एक तोला सोने की कीमत 225 रुपये और गेहूं का दाम 76 रुपये था. मतलब तीन क्व‍िंटल गेहूं बेचकर एक तोला सोना खरीदा जा सकता था, लेक‍िन आज के हालात क‍िसी से छ‍िपे नहीं है.

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Parliament Special Session: क‍िसानों को समर्प‍ित हो संसद का व‍िशेष सत्र, खेती पर जारी हो श्वेत पत्रअल नीनो संकट के इस साल में क‍िसानों की मुश्क‍िलें सूखे ने बढ़ाई हुई हैं. फोटो क‍िसान तक-16:9

संसद के माॅनसून सत्र की फाइलें अभी ठीक से अलमारी में रखी भी नहीं गई हैं, लेक‍िन इससे पहले ही नरेंद्र मोदी सरकार ने संसद का 5 द‍िवसीय व‍िशेष सत्र आयोज‍ित करने की घोषणा कर दी है, ज‍िसके ल‍िए 18 स‍ितंबर से 22 स‍ितंबर तक का द‍िन न‍िर्धार‍ित क‍िया है. चुनावी साल से पहले संसद के व‍िशेष सत्र के प्रायोजन को लेकर इन द‍िनों राजनीत‍िक-सामाज‍िक सरगर्म‍ियां परवान पर हैं.बेशक संसद सत्र का एजेंडा अभी तक सावर्जन‍िक नहीं हुआ है, लेक‍िन इसके संभाव‍ित एजेंडे ने देश को चाय पर चर्चा के ल‍िए एक नया व‍िषय दे द‍िया है. इस बीच कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोन‍िया गांधी ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र ल‍िखकर संसद के व‍िशेष सत्र में 8 मुद्दों पर बात करने की बात की हैं, ज‍िसमें एक व‍िषय के तौर पर क‍िसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP पर क‍िए गए वायदे के अनुरूप चर्चा की मांग की है. 

अल नीनो संकट के इस साल में क‍िसानों की मुश्क‍िलें सूखे ने बढ़ाई हुई हैं. इस बीच आयोजित हो संसद के व‍िशेष सत्र में MSP पर चर्चा के प्रस्ताव का स्वागत क‍िया जा सकता है, लेक‍िन आजादी के बाद से उभरते भारत के सफर में खेती-क‍िसानी की जो हालात बने हैं, उसमें ये बेहद जरूरी जान पड़ता है क‍ि संसद का एक पूरा व‍िशेष समर्प‍ित क‍िसानों पर आयोज‍ित हो, ज‍िसमें खेती-क‍िसानी से जुड़े सभी मुद्दों पर श्वेत पत्र जारी क‍िया जाए. 

आजादी के बाद से सापेक्ष मूल्य नीत‍ि क‍िसानों के व‍िपर‍ित

क‍िसानों की दुर्दशा पर संसद का व‍िशेष सत्र बुलाने और उसमें खेती-क‍िसानी से जुड़े मुद्दे पर श्वेत पत्र लाने की मांग करते हुए बीजेपी क‍िसान सेल के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नरेश स‍िरोही कहते हैं क‍ि आजादी के बाद से देश की सापेक्ष मूल्य नीत‍ि क‍िसानों के व‍िपर‍ित रही है. इस वजह से क‍िसानों की मुश्क‍िलें बढ़ी हुई हैं. वह कहते हैं क‍ि अगर सरकार MSP गारंटी कर भी दे तो इसके बाद भी क‍िसानों को न्याय नहीं म‍िलने वाला है. इसके पीछे की वजह ये है क‍ि आजादी के बाद से साक्षेप मूल्य नीत‍ि क‍िसानों के वि‍पर‍ित रही है.

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 इसे ठीक करने की जरूरत है. अन्य उत्पादों के दाम ज‍िस तरीके से बढ़ते हैं, उस तरीके से क‍िसानों के उत्पादों के दाम नहीं बढ़ते हैं, जबक‍ि क‍िसान भी उपभोक्ता है. स‍िरोही कहते हैं क‍ि क‍िसानों के मुद्दे पर एक व‍िशेष सत्र आयोज‍ित क‍िया जाए, ज‍िसमें क‍िसानों पर ईमानदारी से बात की जाए और क‍िसानों की स्थ‍ित‍ि में आमूल-चूल पर‍िवर्तन लाया जाए. 

हर सात साल में आधी हो जाती है क‍िसानों की आय

देश की सापेक्ष मूल्य नीत‍ि को क‍िसानों की दुर्दशा का असली व‍िलेन बताते हुए बीजेपी क‍िसान सेल के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नरेश स‍िरोही कहते हैं क‍ि जनसंघ की सरकार बनने के बाद 1977 में कृष‍ि न‍ीति‍ बननी शुरू हुई. कृष‍ि राज्य मंत्री भानु प्रताप स‍िंह के समय वह कृष‍ि नीति‍ बननी शुरू हुई और चतुरंग म‍िश्र के समय तक उसमें काम चलता रहा है, लेक‍िन वह कभी संसद में पेश नहीं हुई. उसमें ये स्पष्ट ल‍िखा हुआ है क‍ि देश की सापेक्ष मूल्य नीति‍ क‍िसानों के व‍िपर‍ित है. उसमें ल‍िखा गया है क‍ि कृष‍ि उत्पाद के दाम अन्य उत्पादों की तुलना में 15 फीसदी कम रहते हैं. नतीजा ये होता है क‍ि हर 7 साल बाद क‍िसानों की वास्त‍व‍ित इनकम आधी हो जाती है. स‍िरोही उदाहरण के सहारे से समझाते हुए कहते हैं क‍ि 1970 में एक तोला सोने की कीमत 225 रुपये और गेहूं का दाम 76 रुपये था. मतलब तीन क्व‍िंटल गेहूं बेचकर एक तोला सोना खरीदा जा सकता था, लेक‍िन आज के हालात क‍िसी से छ‍िपे नहीं है.

वह आगे कहते हैं क‍ि मौजूदा समय में क‍िसानों की आलू की लागत भी 10 से 15 रुपये क‍िलो पहुंचती है, लेक‍िन बाजार में आलू के दाम 5 रुपये क‍िलो म‍िलते हैं. व‍िशेषज्ञ कहते हैं क‍ि आधारभूत ढांचा ठीक हो तो हालात सुधर जाएं, लेक‍िन आगरा में सबसे अध‍िक कोल्ड स्टोरेज हैं और उसके बाद भी वहां के क‍िसानों की मुश्क‍िलें ज्यादा है.

19 करोड़ पर‍िवाराें की आजी‍व‍िका पर हो बात         

क‍िसानों पर संसद का व‍िशेष सत्र और खेती-क‍िसानी के मुद्दे पर श्वेत पत्र लाने की वकालते करते हुए   बीजेपी क‍िसान सेल के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नरेश स‍िरोही कहते हैं क‍ि कृष‍ि व्यवस्था कैसी हो, कृष‍ि उत्पादन के तौर तरीकों पर चर्चा संसद में होनी चाह‍िए. वह आगे कहते हैं क‍ि कृष‍ि उत्पादन में 14 करोड़ क‍िसान पर‍िवार लगे हुए हैं और 5 करोड़ छोटे व्यापारी भी इसमें शाम‍िल हैं. इनकी आजीव‍िका कैसे सुन‍िश्च‍ित हो. क‍िसान को लाभकारी मूल्य कैसे मि‍ले और व्यापार‍ियों को सम्मान जनक लाभ म‍िले. इसके ल‍िए आमूल-चूल बदलाव की जरूरत है. इसके तौर तरीके तय होने चाह‍िए. इसके ल‍िए क‍िसानों पर संसद व‍िशेष सत्र बेहद ही जरूरी है. 

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