देश के कई राज्यों में धान की खेती में किसान जुट गए हैं. दरअसल, धान खरीफ सीजन की मुख्य फसल है. धान की खेती करने वाले ज्यादातर किसान इस उम्मीद में खेती करते हैं कि उन्हें अन्य फसलों के मुकाबले इससे बेहतर उत्पादन और अधिक मुनाफा मिले. लेकिन धान की खेती करने वालों के लिए एक चिंता वाली बात ये रहती है कि इसे तैयार करने के लिए ज्यादा पानी की जरूरत होती है. ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों ने धान की एक ऐसी किस्म तैयार की है, जो बिना पानी के भी 20 से 25 दिनों तक जिंदा रह सकती है. ये किस्म किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. बता दें कि ये किस्म पहाड़ी इलाकों में अच्छी उपज देती है. ऐसे में आइए जानते हैं कौन सी है वो किस्म और क्या है उसकी खासियत.
देश के कई राज्यों में सिंचाई की कमी और सुखाड़ की स्थिति को देखते हुए झारखंड के बिरसा कृषि विश्वविद्यालय ने धान की सूखा रोधी किस्म तैयार की है. यह बीज पहाड़ी और कम पानी यानी सुखाड़ वाले इलाकों के लिए बेहद उपयोगी है. सूखे की स्थिति में भी धान की यह किस्म बिना पानी के 20 से 25 दिनों तक जिंदा रह सकती है, जबकि अन्य धान की कई ऐसी किस्में हैं जो पानी की कमी से मुरझा जाती हैं या मर जाती हैं. कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो इस धान की किस्म से एक एकड़ में 16 क्विंटल और एक हेक्टेयर में 40 क्विंटल तक धान की उपज मिल सकती है. वहीं, इस किस्म में सूखा सहने की क्षमता बहुत अधिक है. ये किस्म रोपाई के 100 से 110 दिनों में तैयार हो जाती है.
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बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश सहित देश के कई ऐसे राज्य हैं, जहां सुखाड़ जैसी स्थिति वाले इलाके हैं. ऐसे में जो भी किसान कम पानी में अच्छी उपज देने वाली किस्म की तलाश कर रहे हैं वो IR-64 डीआरटी-1 धान की नर्सरी लगाने के लिए खेत की तैयारी शुरू कर दें. साथ ही ध्यान रखें कि बीज लगाने से पहले नर्सरी में एक मीटर के आकार में 20 ग्राम फ्यूराडान का भुरकाव करके ही बीज डालें. फ्यूराडान के प्रयोग से मिट्टी में दीमक और मिट्टी के अन्य कीटों के प्रकोप से बचाया जा सकता है.
बात करें धान की इस खास किस्म की खेती की तो मॉनसून के आगमन के बाद या जून के पहले हफ्ते के बीच इस धान का बिचड़ा डाल देना सही रहता है. वहीं. इसे प्रति एकड़ में 16 किलो और एक हेक्टेयर में 40 किलो बीज डालें. साथ ही बिचड़ा तैयार होने के 21 दिनों के बाद खेतों में इसकी रोपाई की जानी चाहिए. इसके अलावा वैज्ञानिकों का मानना है कि बिचड़े से निकले दो-दो पौधों को एक साथ रोपने की सलाह देते हैं. साथ ही रोपाई के बाद इस किस्म के लिए संतुलित मात्रा में खाद देनी चाहिए.
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