मई का आधा महीना बीत चुका है. ऐसे में देश के लगभग सभी राज्यों में किसान धान की खेती की तैयारी में लग गए हैं. धान खरीफ सीजन की मुख्य फसल है. वहीं, मई की शुरुआत में कई राज्यों के किसान धान का बिचड़ा डालने लगे हैं. ऐसे में किसान कई ऐसी किस्मों की खेती करते हैं, जो अपनी सुगंधों और स्वाद के लिए फेमस होती हैं. वहीं, बात अगर स्वाद और सुगंध की हो तो उसमें बासमती धान काफी लोकप्रिय है. ऐसे में अगर आप भी बासमती धान की अगेती किस्मों की खेती करना चाहते हैं तो हम आपको पांच ऐसे ही किस्मों के बारे में बताएंगे जिसकी खेती जून के महीने में कर सकते हैं. आइए जानते हैं कौन सी हैं वो पांच किस्में और क्या है उनकी खासियत.
बासमती धान की कुछ अगेती किस्में हैं जो किसानों तक आसानी से पहुंचाई जा सकती हैं, उनमें पूसा बासमती 1121, पूसा बासमती 1847, पूसा बासमती 1885, पूसा बासमती 18864 और स्वर्ण शुष्क शामिल हैं. इन किस्मों को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) द्वारा विकसित किया गया है और ये जीवाणु झुलसा और झोंका रोग के प्रति प्रतिरोधी हैं. ऐसे में किसान जल्द ही इन किस्मों की नर्सरी तैयार कर लें.
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पूसा बासमती 1121: यह बासमती धान की एक अगेती किस्म है, जो 140-145 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. यह सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है और इसका दाना लंबा और पतला होता है.
पूसा बासमती 1847: ये बासमती की एक खास किस्म है, जिसकी खेती अगेती किस्मों के तौर पर की जा सकती है. वहीं ये किस्म जीवाणु झुलसा और झोंका रोग के लिए प्रतिरोधी है. साथ ही ये किस्म 120 दिनों में पककर तैयार हो जाती है.
पूसा बासमती 1885: ये किस्म अपनी सुगंध और स्वाद के लिए जानी जाती है. यह भी एक अगेती किस्म है जो जीवाणु झुलसा और झोंका रोग के लिए प्रतिरोधी है. इस किस्म की खेती कम सिंचाई वाली जगहों पर भी कर सकते हैं.
पूसा बासमती 18864: ये बासमती धान की एक संकर किस्म है. इस किस्म को पूसा बासमती 6 को अपग्रेड करके बनाया गया है. साथ ही ये किस्म जीवाणु झुलसा और झोंका रोग के लिए प्रतिरोधी है.
स्वर्ण शुष्क: ये बासमती धान की एक खास किस्म है. इस किस्म को कम पानी वाले क्षेत्रों के लिए बेस्ट माना जाता है. साथ ही ये कम अवधि में तैयार होने वाली किस्म है जो 110-115 दिनों में पककर तैयार हो जाती है.
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