एक तरफ बाढ़ का सामना करता महाराष्ट्र और मुआवजे की आस लगाए किसानों की खबर के बीच एक अजब स्थिति पैदा हो गई है. यहां पर पिछले काफी समय से कृषि अधिकारियों को लैपटॉप दिया जाए या टैबलेट, इसी पर रस्साकशी जारी थी. खैर अब यह मामला सुलझ गया है. महाराष्ट्र के कृषि मंत्री दत्तात्रेय भारणे ने मंगलवार को निर्देश दिया कि राज्य के 13,000 से ज्यादा कृषि विभाग के कर्मचारियों को लैपटॉप दिए जाएं. उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों के उस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया जिसमें उन्हें टैबलेट दिए जाने का प्रस्ताव था.
यह निर्णय मंत्री के कार्यालय में हुई एक बैठक में लिया गया, जब कृषि कर्मचारी संघ के प्रतिनिधियों ने लैपटॉप की जगह टैबलेट देने के कदम का कड़ा विरोध किया. अधिकारियों का तर्क था कि टैबलेट सस्ते, हल्के और खेतों में इस्तेमाल के लिए ज्यादा सुविधाजनक होंगे, जिसमें तस्वीरें अपलोड करना भी शामिल है. राज्य के कृषि विभाग के प्रधान सचिव विकासचंद्र रस्तोगी ने बैठक में एक प्रस्तुति दी, जिसमें सुझाव दिया गया कि टैबलेट ज्यादा फायदेमंद होंगे. यूनियन लीडर्स ने इस बात पर आपत्ति जताई कि महाडीबीटी, पोखरा, क्रॉपएसएपी, महाकृषि, महाविस्तर, एलएपी ऐप और एफएफएस ऐप जैसी कई ऑफिशियल ऐप्लीकेशन और स्कीम के साथ ही प्रोजेक्ट रिपोर्ट, लैपटॉप के बिना सही से नहीं की जा सकती है.
पूर्व कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे के कार्यकाल में विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने लैपटॉप की जगह टैबलेट देने की दिशा में कदम बढ़ाया था. भरणे ने अब कोकाटे के फैसले को पलटते हुए लैपटॉप डिस्ट्रीब्यूट करने का ऑर्डर दिया है. अधिकारियों के अनुसार, इस वितरण में 10,620 सहायक कृषि अधिकारी, 1,770 उप कृषि अधिकारी और 885 ब्लॉक कृषि अधिकारी, यानी कुल 13,275 कर्मचारी शामिल होंगे. इस योजना का पर करीब 79.65 करोड़ रुपये खर्च होंगे जिसमें हर लैपटॉप की लागत 60,000 रुपये मानी गई है. भरणे ने कहा, 'कर्मचारियों को उनके काम के लिए सुविधाजनक उपकरण दिए जाने चाहिए. यूनियन ने सही कहा है कि विभागीय कार्यों के लिए लैपटॉप ज्यादा कारगर हैं. इसलिए, लैपटॉप उपलब्ध कराए जाएंगे.'
यह फैसला ऐसे समय में लिया गया जब राज्य में मॉनसून की भारी बारिश के चलते बाढ़ की स्थिति है. कई गांवों में खेत पानी में डूबे हुए हैं और किसानों को मुआवजे का इंतजार है. मुआवजे की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और किसानों से एप्स के जरिये डेटा अपलोड करने को कहा गया है. एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार अकेले मराठवाड़ा में करीब 15.78 लाख किसान सीधे प्रभावित हुए हैं. डिवीजनल कमिश्नर कार्यालय की रिपोर्ट के मुताबिक, 1 जून 2025 से 9 सितंबर 2025 तक मराठवाड़ा में औसतन 606.3 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य से करीब 8.7 प्रतिशत ज्यादा है. क्षेत्र में आठ जिले- छत्रपति संभाजीनगर, जालना, बीड़, लातूर, नांदेड़, धाराशिव, हिंगोली और परभणी शामिल हैं.
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