मराठवाड़ा क्षेत्र इस साल की मॉनसून बारिश से बुरी तरह प्रभावित हुआ है. यहां अब तक कम से कम 50 लोगों की मौत हो चुकी है और 5.62 लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि पर खड़ी फसलें बर्बाद हो गई हैं. एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, इस आपदा से लगभग 15.78 लाख किसान सीधे प्रभावित हुए हैं. डिवीजनल कमिश्नर कार्यालय की रिपोर्ट के मुताबिक, 1 जून 2025 से 9 सितंबर 2025 तक मराठवाड़ा में औसतन 606.3 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य से करीब 8.7 प्रतिशत ज्यादा है. क्षेत्र में आठ जिले- छत्रपति संभाजीनगर, जालना, बीड़, लातूर, नांदेड़, धाराशिव, हिंगोली और परभणी शामिल हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, नांदेड़ जिला सबसे अधिक प्रभावित रहा, जहां बीते महीने बाढ़ जैसी स्थिति बनी थी. यहां सामान्य से 21.2 प्रतिशत ज्यादा बारिश दर्ज की गई. मौतों के मामलों में भी नांदेड़ सबसे आगे रहा, जहां 18 लोगों ने जान गंवाई. इसके बाद छत्रपति संभाजीनगर में 11, बीड़ और हिंगोली में 6-6, परभणी में 5 और जालना में 3 लोगों की जान गई.
मराठवाड़ा में जनहानि के अलावा पशुधन और मकानों को भी भारी नुकसान पहुंचा है. क्षेत्र में 1,049 पशुओं की मौत हुई है और 3,388 मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं. वहीं, फसल नुकसान का सबसे बड़ा असर नांदेड़ जिले में दिखा, जहां 2.62 लाख हेक्टेयर जमीन पर लगी फसलें बर्बाद हो गईं.
हिंगोली जिले में भी 1.24 लाख हेक्टेयर जमीन पर खड़ी फसल बारिश की मार से नहीं बच पाई. प्रशासन द्वारा अब तक फसल नुकसान का 45 प्रतिशत सर्वे पूरा कर लिया गया है. अधिकारियों का कहना है कि सर्वे पूरा होने के बाद प्रभावित किसानों को मुआवजे और राहत की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
इससे पहले राज्य के कृषि मंत्री दत्तात्रेय भरणे ने शुक्रवार को बताया कि पिछले कुछ दिनों में 29 जिलों में 14.44 लाख हेक्टेयर फसलों को भारी बारिश से बहुत नुकसान हुआ है. सीजन में सबसे ज्यादा नुकसान 15 से 20 अगस्त के बीच दर्ज किया गया. इस दौरान राज्य में मॉनसून की गतिविध चरम पर थीं.
इस दौरान 191 तहसीलों (तालुकाओं) में अतिरिक्त बारिश दर्ज की गई, जिसके चलते 654 राजस्व मंडलों में खरीफ की फसलों को नुकसान हुआ और 12 जिलों में 10,000 हेक्टेयर से ज्यादा फसलें तबाह हो गईं. राज्यभर में सोयाबीन, कपास, मक्का, उड़द, तुअर, मूंग के अलावा सब्जियां, फल, बाजरा, गन्ना, प्याज, ज्वार और हल्दीकी फसल को नुकसान पहुंचा है.
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