भारत में पहली बार होगा चावल सम्मेलन, 30 अक्टूबर से 2 दिन चलेगा BIRC 2025

भारत में पहली बार होगा चावल सम्मेलन, 30 अक्टूबर से 2 दिन चलेगा BIRC 2025

नई दिल्ली में 30 अक्टूबर से 2 दिन का भारत इंटरनेशनल राइस कॉन्फ्रेंस (BIRC) 2025 होगा, जिसमें 5,000 से ज्यादा किसान और 1,000 सहकारी समितियां हिस्सा लेंगी. यह वैश्विक सम्मेलन चावल निर्यात और कृषि क्षेत्र को नई दिशा देगा.

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भारत में पहली बार होगा चावल सम्मेलन, 30 अक्टूबर से 2 दिन चलेगा BIRC 2025Global Rice Conference 2025

 दिल्ली के भारत मंडपम में 30 अक्टूबर से 2 दिन तक आयोजित होने जा रहा भारत इंटरनेशनल राइस कॉन्फ्रेंस (BIRC) 2025 एक महत्वपूर्ण वैश्विक आयोजन है. इस सम्मेलन में 5,000 से ज्यादा किसान और 1,000 से अधिक सहकारी संस्थाएं हिस्सा लेंगी. इस आयोजन का आयोजन इंडियन राइस एक्सपोर्टर्स फेडरेशन (IREF) द्वारा किया जा रहा है, जो कि एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (APEDA) के साथ मिलकर काम कर रहा है. APEDA भारत के कृषि और प्रोसेस्ड फूड एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने वाली एक प्रमुख संस्था है.

मुख्य प्रायोजक और सहयोगी

इस सम्मेलन के मुख्य प्रायोजक हैं:

  • कृषक भारती कोऑपरेटिव लिमिटेड (Kribhco)
  • नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (NCEL)
  • नेशनल कोऑपरेटिव ऑर्गेनिक्स लिमिटेड (NOCL)
  • भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (BBSSL)

Kribhco ने इस आयोजन को सिल्वर स्पॉन्सर के रूप में समर्थन दिया है. राजेश पहरिया जैन, जो Kribhco एग्री बिजनेस लिमिटेड में चीफ मैनेजर हैं, ने बताया कि Kribhco अफ्रीकी देशों को चावल निर्यात में अहम भूमिका निभा रहा है.

चावल के निर्यात में भारत की भूमिका

राजेश पहरिया जैन के अनुसार, Kribhco ने इस साल 1 अप्रैल से 30 सितंबर के बीच अफ्रीकी देशों जैसे बेनिन, टोगो, बुर्किना फासो, सेनेगल, कोटे डी' आइवर, लाइबेरिया और सिएरा लियोन को 1.36 लाख टन चावल निर्यात किया है.

चावल से जुड़े सभी हितधारकों का मंच

BIRC 2025 अब तक का सबसे बड़ा चावल प्रदर्शन और सम्मेलन होगा. इसमें चावल के निर्यातक, आयातक, शोध एवं तकनीकी संगठन, स्टार्टअप्स और किसान उत्पादक संगठन (FPOs) शामिल होंगे. यह सम्मेलन भारत की खाद्य निर्यात क्षमता और स्थिरता को बढ़ावा देने का एक मजबूत मंच साबित होगा.

भारत के कृषि और चावल निर्यात क्षेत्र के लिए BIRC 2025 एक बड़ी उपलब्धि है. यह न केवल किसानों और सहकारी समितियों को एक साथ लाएगा, बल्कि भारत की वैश्विक खाद्य निर्यात प्रतिबद्धता को भी मजबूत करेगा.

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