Naksha Intiative: आपकी जमीन की डिजिटल पहचान बनेगा 'नक्शा', जानिए क्‍या है केंद्र की नई पहल

Naksha Intiative: आपकी जमीन की डिजिटल पहचान बनेगा 'नक्शा', जानिए क्‍या है केंद्र की नई पहल

ग्रामीण विकास मंत्रालय का “नक्शा” कार्यक्रम देश में डिजिटल भूमि रिकॉर्ड की दिशा में बड़ा कदम है. ड्रोन और जीआईएस तकनीक से बने सटीक भू-अभिलेख नागरिकों को स्वामित्व का भरोसा, पारदर्शिता और आसान लेन-देन की सुविधा देंगे, जिससे भूमि विवाद घटेंगे.

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Naksha Intiative: आपकी जमीन की डिजिटल पहचान बनेगा 'नक्शा', जानिए क्‍या है केंद्र की नई पहलकेंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान (फाइल फोटो)

भारत अब अपनी भूमि को नई पहचान देने जा रहा है. केंद्रीय ग्रामीण विकास और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भूमि ही भारत के समावेशी और विकसित भविष्य की आधारशिला है. इसी सोच के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 'नक्शा' नामक महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम शुरू किया है. इसका उद्देश्य देश में विश्वसनीय भू-अभिलेख तैयार करना और नागरिकों को उनकी संपत्ति पर कानूनी सुरक्षा और डिजिटल सशक्तिकरण प्रदान करना है. “नक्शा” यानी राष्ट्रीय शहरी निवास-स्थल भू-स्थानिक ज्ञान-आधारित भूमि सर्वेक्षण कार्यक्रम. 

यह पहल भारत में भूमि प्रबंधन और रिकॉर्ड प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव लाने जा रही है. दशकों से देश में भूमि से जुड़े रिकॉर्ड अधूरे, अस्पष्ट और विवादास्पद रहे हैं. ऐसे में संपत्ति खरीदने, उत्तराधिकार पाने या बैंक से ऋण लेने में आम नागरिक को भारी परेशानी होती थी. अब “नक्शा” इन चुनौतियों को खत्म करने की दिशा में बड़ा कदम है.

हर नागरिक को मिलेगा ‘योरप्रो कार्ड’

इस कार्यक्रम के तहत ड्रोन सर्वेक्षण, जीएनएसएस मैप‍िंग और जीआईएस तकनीक की मदद से सटीक डिजिटल भू-रिकॉर्ड तैयार किए जा रहे हैं. हर नागरिक को मिलेगा ‘योरप्रो कार्ड’, जो उनकी संपत्ति का डिजिटल स्वामित्व प्रमाण है. इसके साथ लोगों को अब कागज़ी दस्तावेज़ों या बिचौलियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. इससे संपत्ति के लेन-देन, लोन हासिल करने, उत्तराधिकार और विवाद निपटान की प्रक्रिया पारदर्शी और तेज होगी.

डिजिटलीकरण सुशासन की दिशा में बड़ा कदम

नक्शा कार्यक्रम स्थानीय निकायों और नगरपालिकाओं को भी सशक्त बना रहा है. सटीक भू-स्थानिक डेटा की मदद से शहरी नियोजन, कर निर्धारण और अवसंरचना निर्माण में पारदर्शिता बढ़ रही है. नागरिक ऑनलाइन अपने क्षेत्र के मानचित्र देख सकते हैं, आपत्तियां दर्ज कर सकते हैं और स्वामित्व की पुष्टि कर सकते हैं. हाथों से लिखे पुराने रजिस्टरों की जगह अब इंटरैक्टिव डिजिटल मानचित्रों ने ले ली है, जो सुशासन की दिशा में एक बड़ा कदम है.

बाढ़-भूकंप जैसी आप‍दाओं में भी काम आएगा 'नक्‍शा'

नक्शा सिर्फ प्रशासनिक सुधार नहीं, बल्कि आपदा प्रबंधन और शहरी नीति-निर्माण का भी अहम उपकरण बन रहा है. इससे बाढ़, भूकंप या आग जैसी आपदाओं के समय प्रभावित क्षेत्रों की सटीक पहचान और राहत वितरण में पारदर्शिता संभव होगी. मुआवजा सीधे सही लाभार्थियों तक पहुंच सकेगा. इससे आपदा के बाद पुनर्वास और पुनर्निर्माण कार्य तेजी से हो सकेंगे.

यह कार्यक्रम एनआरआई, दिव्यांगजन और वरिष्ठ नागरिकों जैसे समूहों के लिए भी वरदान साबित हो रहा है. अब वे कहीं से भी अपनी संपत्ति के रिकॉर्ड ऑनलाइन देख व सत्यापित कर सकते हैं, जिससे धोखाधड़ी और अतिक्रमण की संभावना घटेगी.

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि “नक्शा” केवल तकनीकी नवाचार नहीं, बल्कि यह नागरिक सशक्तिकरण और समानता की दिशा में एक बड़ा कदम है. यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री मोदी के “विकसित भारत” के सपने को साकार करने की दिशा में भूमि प्रशासन की पारदर्शी और डिजिटल व्यवस्था का मजबूत आधार बनेगा. 

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