खेती से किस्मत बदल रहे किसानहरियाणा के यमुनानगर जिले में कई प्रगतिशील आधुनिक तकनीक की मदद से खेती करके अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन रहे हैं. प्रगतिशील किसान प्राकृतिक खेती, सीधे बीज वाली धान की खेती और अन्य नए तकनीकों का उपयोग करके फसलें उगा रहे है. वे न केवल इससे ज़्यादा मुनाफ़ा कमा रहे हैं, बल्कि पानी और पर्यावरण की बचत में भी मदद कर रहे हैं. यमुनानगर की चांदपुर कॉलोनी के किसान सतवंत सिंह और डॉ. बेअंत सिंह, दोनों भाइयों ने सीधी बुवाई (डीएसआर) विधि से धान की फसल उगा कर जिले में नाम कमाया है. वे पिछले छह वर्षों से जिले के बम्भोली गांव में अपने खेतों में डीएसआर तकनीक से 50 एकड़ खेत में धान की फसल उगा रहे हैं. इसके आलाव जिले के कई किसान प्राकृतिक खेती खेती करके अपनी सफलता की कहानियां लिख रहे हैं.
किसान सतवंत सिंह ने कहा कि डीएसआर धान की फसल उगाने के लिए एक अच्छी तकनीक है. इससे पानी की बचत होती है. उन्होंने कहा कि भोजन हमारी ज़रूरत है, लेकिन हमें पानी भी बचाना होगा. अगर पानी बचेगा, तो इंसान भी बचेगा. सतवंत सिंहआगे बताया उन्होंने 2020 के लॉकडाउन में मजदूरों की कमी के कारण पुरानी रोपाई विधि से धान उगाने के बजाय डीएसआर विधि से धान उगाना शुरू किया. वहीं, उनसे प्रेरणा लेकर इस वर्ष यमुनानगर जिले में 869 किसानों ने डीएसआर विधि से 2,755 एकड़ में धान उगाया है.
जिले के साढौरा खंड के अंतर्गत आने वाले लहरपुर गांव के किसान ज्ञान चंद पिछले चार वर्षों से अपनी साढ़े चार एकड़ जमीन पर प्राकृतिक खेती से फसलें और सब्जियां उगा रहे हैं. उन्होंने बताया कि वे बिना किसी रसायन का प्रयोग किए प्राकृतिक खेती से धान, गन्ना, मक्का, हल्दी समेत सभी फसलें और सब्जियां उगा रहे हैं. किसान ज्ञान चंद ने बताया कि प्राकृतिक खेती एक रसायन मुक्त खेती है. इस तकनीक के तहत, किसान फसलों और सब्जियों को उगाने के लिए मल्चिंग, गौ-आधारित मिश्रण और अन्य तकनीकों का उपयोग करते हैं. खेती की यह विधि उत्पादन लागत को कम करने और मिट्टी की सेहत में सुधार करने में मदद करती है.
ज्ञानचंद की तरह, मुंडा खेड़ा गांव के भरत सिंह और बेगमपुर गांव के भूषण शास्त्री समेत कई किसान प्राकृतिक खेती के तरीके अपना रहे हैं. जानकारी के अनुसार, राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार किसानों को सालाना 4,000 रुपये प्रति एकड़ की आर्थिक मदद और एक देशी गाय खरीदने पर 30,000 रुपये की सब्सिडी दे रही है. बांडी गांव के किसान राहुल बालियान और बहादुरपुर गांव के राजिंदर कुमार उन किसानों में से हैं जो खेती की नई तकनीक अपनाकर इस क्षेत्र में गन्ने की फसल की बेहतर पैदावार प्राप्त कर रहे हैं. पिछले तीन वर्षों में किसान राहुल बालियान ने 1,350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और किसान राजिंदर कुमार ने 1,280 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की औसत उपज हासिल की है.
किसान राहुल बालियान ने बताया कि अब इलाके के किसान खेती की तकनीक सीखने के लिए हमारे खेतों पर आते हैं. हाल ही में हमें नवीनतम तकनीकों के इस्तेमाल से गन्ने का उत्पादन बढ़ाने और उच्च उपज प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर द्वारा सम्मानित किया गया है.
सरस्वती शुगर मिल्स (एसएसएम) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (प्रशासन) डीपी सिंह ने कहा कि दोनों किसान सरस्वती शुगर मिल्स के प्रगतिशील किसान हैं. उन्होंने पंक्तियों के बीच ज्यादा दूरी रखने की विधि और गन्ने से जुड़े सभी काम मशीनों से करके ज्यादा पैदावार हासिल की है. उन्होंने कहा कि सरस्वती चीनी मिल क्षेत्र में कई अन्य किसान भी गन्ने की फसलों की बेहतर पैदावार की मिसाल कायम कर रहे हैं. सरस्वती चीनी मिल्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एस.के. सचदेवा ने कहा कि क्षेत्र के प्रगतिशील किसानों को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित करना राज्य और सरस्वती चीनी मिल्स के लिए गर्व की बात है.
यमुनानगर के कृषि उपनिदेशक डॉ. आदित्य प्रताप डबास ने बताया कि उनका विभाग किसानों को प्राकृतिक खेती, डीएसआर तकनीक और अन्य नई तकनीकों को अपनाने के लिए शिक्षित करने का प्रयास कर रहा है, ताकि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना उनकी आय में वृद्धि हो सके. डॉ. आदित्य प्रताप डबास ने कहा कि मैं सभी सफल किसानों को बधाई देता हूं और अन्य किसानों से भी खेती की इन तकनीकों को अपनाने का आग्रह करता हूं.
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