पुणे के किसानों ने ठुकराया करोड़ों का मुआवजा महाराष्ट्र के पुणे में पुरंदर एयरपोर्ट के किसानों से जो जमीन ली गई थी अब जल्द ही उसका मुआवजा उन्हें दिया जाएग. किसानों ने हालांकि उस मुआवजे की राशि को स्वीकार करने से मना कर दिया है. उनका कहना है कि यह मुआवजा बेहद कम है और उन्हें इसके बदले में और मुआवजा चाहिण्. पुणे के अधिकारियों के सामने पिछले दिनों यह मांग तब रखी गई जब उन्होंने सात गांवों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की. किसानों ने अभी यह नहीं बताया है कि उन्हें कितनी रकम चाहिए लेकिन उन्होंने बातचीत पर जोर दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार पुणे के जिला कलेक्टर जितेंद्र डूडी ने बताया है कि सरकार को उम्मीद है कि पुरंदर एयरपोर्ट के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए नवंबर के अंत तक मुआवजे का वितरण शुरू हो जाएगा. इसके लिए किसानों को प्रति एकड़ एक करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया गया है. इसके अलावा, घरों, बोरवेल, पाइपलाइनों, वृक्षारोपण और ऐसी ही बाकी सुविधाओं के लिए उनके मूल्य का दोगुना मुआवजा दिया जाएगा. यह प्रस्ताव पिछले हफ्ते पुरंदर के सात गांवों के प्रतिनिधियों के सामने रखा गया था जिन्होंने ज्यादा मुआवजे की मांग की थी.
मुंजावाड़ी के उपसरपंच तुषार झुरांगे के हवाले से अखबार ने लिखा, 'एक करोड़ रुपये प्रति एकड़ की दर किसी भी किसान को मंजूरी नहीं है. समृद्धि महामार्ग या पालकी मार्ग जैसे प्रोजेक्ट्स की तुलना में यह बहुत कम है. हमने कलेक्टर को कोई संख्या नहीं दी है लेकिन उनसे कहा है कि वो गांवों में आकर हमारे साथ मीटिंग करें जिसके बाद हम कोई संख्या तय करेंगे. जिला कलेक्टरेट ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि सरकार ने रेडी रेकनर (आरआर) दर का चार गुना प्रस्ताव दिया है, जबकि किसानों की मांग है कि आरआर दर का पांच गुना दिया जाए.
डूडी ने एक बयान में कहा, 'सरकार की तरफ से 17 मार्च 2025 को जारी नोटिफिकेशन के अनुसार भूमि अधिग्रहण, पुनर्वासन एवं पुनर्व्यवस्थापन अधिनियम 2013 के अनुसार सही मुआवजा, पारदर्शिता और किसानों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनकी मांगों पर सकारात्मक विचार कर उन्हें सरकारी नियमों के अनुसार मुआवजा दिलाने के प्रयास किए जाएंगे.' एयरपोर्ट के निर्माण के लिए सात गांवों एखतपुर, खानवाड़ी, कुंभारवालान, मुंजावाड़ी, परगांव, उदाचिवाड़ी और वनपुरी की जमीन अधिग्रहित की जा रही है.
अब तक, सरकार ने किसानों को अधिग्रहीत भूमि के 10 फीसदी क्षेत्रफल के लिए MIDC क्षेत्र में औद्योगिक/व्यावसायिक/आवासीय या मिश्रित उद्देश्यों के लिए विकसित भूखंड (न्यूनतम 100 वर्ग मीटर) देने की पेशकश की है. अगर घर अधिग्रहित किया जा रहा है तो एयरोसिटी में 250 वर्ग मीटर का आवासीय भूखंड; अधिग्रहण के दौरान अगर कोई परिवार भूमिहीन हो जाता है, तो उसे 750 दिनों की न्यूनतम कृषि मजदूरी के बराबर नकद राशि और जो छोटे भूमिधारक बन जाते हैं, उन्हें 500 दिनों की न्यूनतम कृषि मजदूरी के बराबर मुआवजा मिलेगा. वहीं जिन परिवारों के घर अधिग्रहित किए जाएंगे, उन्हें 40,000 रुपये की माइग्रेशन ग्रांट और बाकी लाभ दिए जाएंगे.
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