Stubble Burning: पंजाब में पराली जलाने के 351 नए मामले, 3200 के पार पहुंचा आंकड़ा

Stubble Burning: पंजाब में पराली जलाने के 351 नए मामले, 3200 के पार पहुंचा आंकड़ा

पंजाब में पराली जलाने के मामलों में फिर बढ़ोतरी दर्ज की गई है. 15 सितंबर से अब तक कुल 3,284 घटनाएं सामने आईं, जिनमें सबसे ज्यादा संगरूर, तरनतारन और फिरोजपुर में हुईं. राज्य में 1,092 FIR दर्ज और 71.80 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है.

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Stubble Burning: पंजाब में पराली जलाने के 351 नए मामले, 3200 के पार पहुंचा आंकड़ापराली जलाने के मामलों में बढ़ोतरी (फाइल फोटो)

पंजाब में पराली जलाने के मामलों में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है. गुरुवार को राज्य में 351 नई घटनाएं दर्ज की गईं. इसके साथ ही 15 सितंबर से अब तक कुल पराली जलाने के मामलों की संख्या 3,284 तक पहुंच गई है. यह जानकारी पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) के आधिकारिक आंकड़ों में सामने आई है. सबसे ज्यादा पराली जलाने के मामले संगरूर जिले से दर्ज किए गए हैं. यहां अब तक कुल 557 घटनाएं रिपोर्ट हुई हैं. इसके बाद तरनतारन में 537, फिरोजपुर में 325, अमृतसर में 279, बठिंडा में 228, पटियाला में 189 और मोगा में 165 मामलों की पुष्टि हुई है.

29 अक्‍टूबर के बाद तेजी से बढ़े मामले

आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में पराली जलाने की घटनाओं में तेजी आई है. 29 अक्टूबर तक जहां 1,216 मामले दर्ज किए गए थे, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 3,284 हो गई है यानी एक सप्ताह में 2,068 नए मामले बढ़े हैं. हर साल की तरह इस बार भी पराली जलाने की घटनाओं को लेकर दिल्ली-एनसीआर के बढ़ते प्रदूषण के लिए पंजाब और हरियाणा के किसानों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. दरअसल, अक्टूबर-नवंबर में धान की कटाई के बाद गेहूं की बुवाई के लिए समय बहुत कम होता है. ऐसे में किसान अपने खेतों से जल्दी फसल अवशेष हटाने के लिए पराली में आग लगा देते हैं.

91 प्रतिशत धान कटाई पूरी

पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, इस साल राज्य में धान की खेती का कुल रकबा 31.72 लाख हेक्टेयर है. इनमें से 6 नवंबर तक करीब 91.16 प्रतिशत क्षेत्र की कटाई हो चुकी है. वहीं, पराली जलाने के मामलों में पर्यावरण मुआवजे के रूप में 1,367 मामलों में कुल 71.80 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है, जिनमें से 37.40 लाख रुपये की वसूली हो चुकी है.

1092 मामलों में एफआईआर दर्ज

राज्य सरकार ने अब तक पराली जलाने के मामलों में 1,092 एफआईआर दर्ज की हैं. ये मामले भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 223 के तहत दर्ज किए गए हैं, जो लोकसेवक द्वारा जारी आदेश की अवहेलना से संबंधित है. इसके अलावा 1,328 किसानों की जमीन के रिकॉर्ड में ‘रेड एंट्री’ भी की गई है. रेड एंट्री का मतलब है कि ऐसे किसान न तो अपनी जमीन पर कोई लोन ले सकते हैं और न ही उसे बेच सकते हैं.

दिलचस्प बात यह है कि रूपनगर जिले में अब तक पराली जलाने की कोई घटना दर्ज नहीं की गई है. जबकि पठानकोट में 1, एसबीएस नगर में 11 और होशियारपुर में 15 मामले रिपोर्ट हुए हैं. बता दें कि पंजाब में साल 2024 में कुल 10,909 पराली जलाने के मामले सामने आए थे. यह 2023 के 36,663 मामलों की तुलना में करीब 70 प्रतिशत की गिरावट दर्शाता है.

वहीं, 2022 में 49,922, 2021 में 71,304, 2020 में 76,590, 2019 में 55,210 और 2018 में 50,590 घटनाएं दर्ज की गई थीं. इनमें संगरूर, मानसा, बठिंडा और अमृतसर जैसे जिलों में हर साल बड़ी संख्या में पराली जलाने के मामले सामने आते हैं. (पीटीआई)

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