वैज्ञानिकों और कीट वैज्ञानिकों के अनुसार, रात के दौरान तापमान में उतार-चढ़ाव और उच्च ह्यूमिड ने पूर्वी पुणे के कुछ इलाकों में आए "मच्छर बवंडर" में अपना योगदान दिया है. आईएमडी के आंकड़ों से पता चला है कि जहां पाषाण और शिवाजीनगर जैसे कुछ क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान कम है, वहीं खराड़ी, मुंडवा और केशवनगर जैसे अन्य क्षेत्रों में रात का तापमान 18 से 21 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज किया जा रहा है. जिस वजह से इन इलाकों में मच्छरों का बवंडर देखने को मिल रहा है.
एक शहर के कीटविज्ञानी के अनुसार, तापमान और आर्द्रता अनुकूल होने पर अधिकांश कीट अधिक प्रजनन करते हैं. कुछ जगहों पर पहले से ही पानी जमा है, इसलिए वहां सही मात्रा में गर्मी और नमी के होने से मच्छरों की आबादी और उनकी प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलेगी. राज्य के एक स्वास्थ्य अधिकारी के अनुसार, सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में देखे गए मच्छरों के झुंड इन कीड़ों के बीच एक सामान्य व्यवहार में दिखे, जहां नर मादाओं को लुभाने के लिए नृत्य करते हैं. मौसम की परवाह किए बिना, साल के एक बड़े हिस्से में अपने उच्च तापमान और आर्द्रता के स्तर के कारण पुणे साल भर मच्छरों के प्रजनन का स्थान बन गया है.
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आईएमडी के एक वैज्ञानिक के अनुसार, हाल ही में सर्दी हल्की रही है, जिसमें काफी नमी और गर्म रातें हैं. साथ ही आपको बता दें कि ये परिस्थितियां मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों के लिए अनुकूल होती हैं.
दरअसल, हाल ही में एक हेल्थ बुलेटिन में महाराष्ट्र में डेंगू और मलेरिया के संचरण के लिए तापमान सीमा के संबंध में चेतावनी जारी की गई है. जिसमें न्यूनतम तापमान 16-19 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम 33-39 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है. पुणे के कुछ हिस्सों में हाल ही में इस प्रकार के तापमान का अनुभव हो रहा है. वहीं एक अध्ययन के अनुसार, तापमान में उतार-चढ़ाव वाले वातावरण में मच्छरों का प्रजनन अधिक अनुकूल पाया गया.
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