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Halal Certification: दूध को भी मिलता है हलाल सर्टिफिकेट, जानें क्या होता है तरीका

Halal Certification: दूध को भी मिलता है हलाल सर्टिफिकेट, जानें क्या होता है तरीका

मीट का हलाल सर्टिफिकेट इस बात पर बनता है कि बकरे या भैंस को किस तरीके से काटा गया है. मतलब झटके से या आराम से. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दूध का भी हलाल सर्टिफिकेट होता है. जानें कैसे बनता है दूध का हलाल सर्टिफिकेट

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दूध को भी मिलता है हलाल सर्टिफिकेट दूध को भी मिलता है हलाल सर्टिफिकेट

हम सब जानते हैं कि बहुत सारे देशों में भारत से हलाल सर्टिफिकेट पर मीट एक्सपोर्ट किया जाता है, लेकिन कुछ ऐसे भी देश हैं जो दूध भी अपनी शर्तों पर यानि हलाल सर्टिफिकेट देखकर ही खरीदते हैं. हालांकि सुनने में बड़ा अजीब लगता है कि दूध में क्या हलाल और क्या हराम. आपको बता दें कि दूध को भी हलाल सर्टिफिकेट दिया जाता है. दूध देने वाली संस्था की एक टीम पहले पूरी तरह से अपने मानकों पर उस डेयरी प्लांट का मुआयना करती है जिसे सर्टिफिकेट दिया जाना है. 

फिर दूध देने वाले पशु से लेकर दूध स्टोर करने और ट्रांसपोर्ट करने की पूरी प्रक्रिया जानी जाती है. वहीं दूध सप्ला्ई करने वाली डेयरी को हर साल हलाल सर्टिफिकेट को रिन्यू भी कराना होता है. मौजूदा वक्त में हरियाणा की डेयरी दो देशों में मुर्रा भैंस के हलाल दूध की सप्लाई दे रही है. डेयरी के अधिकारियों का कहना है कि हलाल सर्टिफिकेट देखने के बाद ही दोनों देशों की कंपनी ने सौदे पर साइन किए थे. 

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दूध को ऐसे मिलता है हलाल सर्टिफिकेट 

हरियाण की वीटा डेयरी के जनरल मैनेजर (प्रोडक्शन) चरण जीत सिंह ने किसान तक को बताया कि इंडोनेशिया और मलेशिया की कई कंपनी हमसे दूध खरीदती हैं. लेकिन इस सौदे पर आखिरी मुहर तभी लगी थी जब हमने उन्हें हलाल दूध का सर्टिफिकेट दिखा दिया था. वैसे तो देश में हलाल सर्टिफिकेट देने वाली कई संस्थाएं हैं, लेकिन हमने दिल्ली की एक संस्था से इसके लिए संपर्क किया था. उस संस्थान की एक टीम ने हमारी डेयरी का कई बार दौरा किया. 

सबसे पहले वो यह देखते हैं कि दूध कहां से आ रहा है, उस पशु को खाने में क्या-क्या दिया जा रहा है. उसके बाद डेयरी में जब दूध आ जाता है तो उसे कई दिन तक रखने के लिए उसमें कोई केमिकल तो नहीं मिलाए जा रहे हैं. कई दिन की जांच के दौरान टीम के सदस्य इस बात की तस्दी्क करते हैं कि गाय या भैंस ने जैसा दूध दिया है वैसा ही कंपनी को सप्लाई किया जा रहा है. दूध की यह खासियत है कि उसे बिना किसी केमिकल की मदद से कई दिन तक रखा भी जा सकता है और ट्रांसपोर्ट कर एक जगह से दूसरी जगह भेजा भी जा सकता है. 

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इंडोनेशिया-मलेशिया और इंग्लैंड खरीद रहे हैं दूध 

चरण जीत सिंह ने बताया कि इस वक्त हम सोनीपत में इंडोनेशिया और मलेशिया की कंपनी के कर्मचारियों को दूध की सप्लाई दे रहे हैं. उसके बाद वो अपने हिसाब से उस दूध को विदेश भेजते हैं. दूध में बिना किसी केमिकल इस्तेमाल किए भी उसे कई दिनों तक रखा जा सकता है. ताकत बढ़ाने के लिए हरियाणा की मुर्रा भैंस का दूध सिर्फ इंडोनेशिया और मलेशिया को ही नहीं इंग्लैंड की कंपनी को भी पंसद आ रहा है. यही वजह है कि इंग्लैंड की भी एक दवा बनाने वाली कंपनी वीटा डेयरी से हर रोज करीब 15 हजार लीटर दूध की खरीद कर रही है.