महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में किसानों की आत्महत्या: कर्ज़, बारिश और टूटी उम्मीदों की दर्दनाक कहानी

महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में किसानों की आत्महत्या: कर्ज़, बारिश और टूटी उम्मीदों की दर्दनाक कहानी

नांदेड़, महाराष्ट्र में भारी बारिश और कर्ज़ के बोझ से दो किसानों ने आत्महत्या की. जानिए कैसे फसल बर्बादी, बैंक नोटिस और साहूकारी कर्ज़ ने उनकी ज़िंदगी छीन ली.

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महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में किसानों की आत्महत्या: कर्ज़, बारिश और टूटी उम्मीदों की दर्दनाक कहानीकिसानों की आत्महत्या के पीछे की सच्चाई

महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र, खासकर नांदेड़ जिले में इस साल हुई भारी बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों की ज़िंदगी पर गहरा असर डाला है. लगभग 6 लाख 50 हजार हेक्टेयर खेती बर्बाद हो चुकी है, जिसमें सोयाबीन, कपास, हल्दी, मूंग, उड़द, गन्ना और ज्वार जैसी फसलें शामिल हैं.

“बळी राजा” के गांव में टूटी उम्मीदें

कोंढा गांव, जिसे "बळी राजा" यानी किसान का गांव कहा जाता है, वहां 48 वर्षीय किसान निवृत्ति कदम ने कर्ज़ और फसल बर्बादी से परेशान होकर आत्महत्या कर ली.

परिवार की हालत:

  • सिर्फ 1 एकड़ ज़मीन थी
  • सोयाबीन की फसल पूरी तरह बर्बाद
  • बैंक और बचत समूह से कर्ज़ लिया था, जिसमें एक गाय भी खरीदी गई थी
  • गाय भी बाढ़ में बह गई
  • लगातार बैंक की नोटिसें मिल रही थीं

पिता का निधन भी बेटे के बाद

निवृत्ति कदम के आत्महत्या करने के 12 घंटे के भीतर उनके पिता सखाराम कदम की भी मौत हो गई. “मेरे पति और ससुर दोनों चले गए. बैंक की नोटिसें, मरी हुई गाय और बेरोजगार बेटे... सब कुछ मिलकर मेरे पति को तोड़ गया.” निवृत्ति कदम के बेटे अर्जुन का कहना है- “अगर कर्ज़माफी हुई होती तो शायद पिताजी और दादा आज ज़िंदा होते. हम त्योहार मना पाते. सरकार से अपील है कि किसानों को राहत दी जाए.”

क्या है गांव वालों की मांग?

गांव के बुजुर्ग बालाजी कदम ने कहा- “चुनाव से पहले सरकार ने कर्ज़माफी का वादा किया था. अब वादा निभाने का समय है. 8,500 रुपये प्रति हेक्टेयर कोई समाधान नहीं. कम से कम 50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर मुआवजा दिया जाए.” एक और आत्महत्या- येलेगांव के युवा किसान की दर्दनाक कहानी

अर्धापुर तहसील के येलेगांव निवासी परमेश्वर नारायण कपाटे (उम्र 24) ने भी आत्महत्या कर ली. डेढ़ एकड़ ज़मीन और दूध व्यवसाय के सहारे परिवार का गुजारा कर रहे थे.

सुसाइड नोट में लिखा

"बाढ़ में सारी फसल चली गई. बैंक और साहूकारी कर्ज़ के बोझ से तंग आ चुका हूं. मैं सोचता रहता था, यह कर्ज़ कैसे चुकाऊं? अब आत्महत्या कर रहा हूं."

क्या है परिवार की हालत?

  • परिवार में माता-पिता, दो भाई, बहन और भाई के बच्चे
  • घर का सारा बोझ परमेश्वर पर
  • भैंस भी बाढ़ में बह गई जिसकी कीमत एक लाख थी
  • खेती के साथ दूध बेचकर ही घर चलता था

मां रेखाबाई और भाई दिगंबर का दुख

"हमने कभी नहीं सोचा था कि वह इतना बड़ा कदम उठाएगा. वह चुपचाप चिंता में डूबा रहता था." “गांव के अधिकतर किसानों की फसल बर्बाद हो गई. सरकार को तुरंत मुआवजा देना चाहिए ताकि और कोई किसान ऐसा कदम न उठाए.”

प्रशासन की प्रतिक्रिया

नांदेड़ जिल्हा कलेक्टर राहुल कर्डिले ने बताया:

  • 93 सर्कलों में से 83 सर्कल बाढ़ से प्रभावित
  • 6.5 लाख हेक्टेयर खेती बर्बाद
  • दीपावली से पहले मुआवजा देने का प्रयास
  • किसी भी किसान के बैंक खाते से पैसे नहीं काटे जाएंगे
  • किसानों से आत्महत्या जैसे कदम न उठाने की अपील

एक गंभीर चेतावनी

नांदेड़ जिले की ये घटनाएं सिर्फ खबर नहीं हैं, बल्कि समाज और सरकार के लिए एक गहरी चेतावनी हैं. किसानों को सिर्फ वादों की नहीं, समय पर राहत और समर्थन की जरूरत है. (कुंवरचंद मंडले नांदेड़ का इनपुट)

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