KRIBHCO ने बताया बायोफर्टिलाइजर और बायोस्टिमुलेंट में ये बड़ा अंतर, आप भी जान लें

KRIBHCO ने बताया बायोफर्टिलाइजर और बायोस्टिमुलेंट में ये बड़ा अंतर, आप भी जान लें

Kribhco: आप स्वस्थ फसल से अधिक उपज चाहते हैं तो उसमें बायोफर्टिलाइजर और बायोस्टिमुलेंट का इस्तेमाल कर सकते हैं. ये दोनों उर्वरक के प्रकार हैं जो पूरी तरह से प्राकृतिक हैं और पौधों की कई तरह से रक्षा करते हैं. यहां तक कि सूखा और अत्यधिक तापमान से भी बचाव करते हैं.

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KRIBHCO ने बताया बायोफर्टिलाइजर और बायोस्टिमुलेंट में ये बड़ा अंतर, आप भी जान लेंकृभको का बायोफर्टिलाइजर बहुत असरदार

क्या आप बायोफर्टिलाइजर और बायोस्टिमुलेंट के बीच उलझन में हैं? तो आइए इसे सरल और आसान भाषा में जान लेते हैं. इसे लेकर सहकारी संगठन कृभको (KRIBHCO) ने इन दोनों में बड़ा अंतर बताया है. कृभको के मुताबिक, बायोफर्टिलाइजर मिट्टी में लाभकारी सूक्ष्मजीवों को जोड़ते हैं. वे प्राकृतिक पोषक तत्वों, विशेष रूप से नाइट्रोजन और फास्फोरस को अवशोषित करने में सहायता करते हैं. 

दूसरी ओर, बायोस्टिमुलेंट पौधों की वृद्धि और लचीलापन बढ़ाते हैं. वे फसलों को सूखे, गर्मी या कीटों जैसे तनाव को सहन करने में मदद करते हैं. कृभको के विश्वसनीय समाधानों के साथ, किसान मिट्टी के स्वास्थ्य और फसल की सेहत में सुधार कर सकते हैं. इससे स्वस्थ मिट्टी, मजबूत फसलें और बेहतर पैदावार मिलेगी.

बायोफर्टिलाइजर और बायोस्टिमुलेंट में अंतर

बायोफर्टिलाइजर और बायोस्टिमुलेंट के बीच और भी बड़ा अंतर जान लेते हैं. बायोफर्टिलाइजर में जीवित, लाभकारी सूक्ष्मजीवों होते हैं, जो फसल और मिट्टी में प्राकृतिक पोषक तत्वों की आपूर्ति (नाइट्रोजन, फास्फोरस) को बढ़ाते हैं. इससे मिट्टी के स्वास्थ्य और उर्वरता में सुधार होता है. इसलिए अगर आप मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ाना चाहते हैं तो बायोफर्टिलाइजर का इस्तेमाल जरूर करें. इसके अलावा मिट्टी और फसल की सेहत सुधारना है तो आपको खेतों में बायोफर्टिलाइजर का ही प्रयोग करना चाहिए. ध्यान रहे कि केमिकल फर्टिलाइजर से भले ही अधिक उपज मिल जाए, लेकिन मिट्टी और आपकी सेहत की इसमें कोई गारंटी नहीं होगी.

इन तत्वों से बनता है बायोस्टिमुलेंट

बायोस्टिमुलेंट के तत्वों की बात करें तो यह पूरी तरह से प्राकृतिक चीजों से बनता है. इसे बनाने के लिए प्राकृतिक स्रोत जैसे समुद्री घास और अमिनो एसिड का प्रयोग होता है. समुद्री घास के तत्वों से इसे बनाया जाता है जिससे यह पूरी तरह से प्राकृतिक होता है. इस वजह से पौधों की ग्रोथ जल्दी और बहुत ही मजबूती के साथ होती है. बायोस्टिमुलेंट का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि यह फसलों को सूखा, अत्यधिक तापमान और बीमारियों को लेकर प्रतिरोधी बनाता है. सूखा और तापमान की समस्या अब आम बात हो गई है क्योंकि जलवायु परिवर्तन का असर सबसे अधिक देखने को मिल रहा है. इस स्थिति में किसान अगर खेतों में बायोस्टिमुलेंट का प्रयोग करें तो वे मौसम की विपरीत परिस्थितियों में भी अच्छी उपज ले सकते हैं.

KRIBHCO Rhizosuper भी असरदार

कृभको ने एक और बड़ी जानकारी दी है. उसने बताया है कि जब खेत में फसल की समान बढ़त नहीं हो तो उसका समाधान KRIBHCO Rhizosuper है. इसका कारण है मिट्टी और जलवायु में अंतर. इसलिए किसान KRIBHCO Rhizosuper का प्रयोग कर सकते हैं, जिसमें अनेक माइकोराइजा प्रजातियां सम्मिलित हैं, जो हर प्रकार की मिट्टी और जलवायु में प्रभावी ढंग से काम करता है. यह पूरे खेत में एक समान पोषण और वृद्धि सुनिश्चित करता है, जिससे फसलों की असमान बढ़त की समस्या को कम किया जा सकता है. यह सामान्य माइकोराइजा उत्पादों की तुलना में अधिक व्यापक रूप से काम करता है. कुछ ही दिनों में खेत के हर कोने में बेहतर और संतुलित विकास स्पष्ट रूप से नजर आने लगता है.

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