क्या आप भी ड्रिप सिंचाई सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं? अगर करते हैं तो आपको पता होगा कि इसे लगाने का खर्च क्या है. आप जरूर महसूस करते होंगे कि नलकूप या पंप चलाने की तुलना में यह सिस्टम कितना महंगा है. आप इन बातों से वाकिफ होंगे. लेकिन कुछ किसान ऐसे भी हैं जो खेत में ड्रिप सिस्टम लगाना तो चाहते हैं, लेकिन उन्हें थोड़ी झिझक है क्योंकि इसके खर्च का उन्हें अंदाजा नहीं है. हम ऐसे किसानों के लिए बताने जा रहे हैं कि ड्रिप में कितने औजार लगते हैं जिनकी वजह से यह पूरा सिस्टम महंगा हो जाता है.
पहले जानिए ड्रिप के बारे में. यह सिंचाई का उन्नत साधन है जिसमें पानी की बर्बादी रोकी जाती है. यूं कहें कि प्रति बूंद पानी का खयाल रखते हुए फसलों की सिंचाई की जाती है. इसमें टपक विधि के माध्यम से सिंचाई होती है. इसके कई फायदे हैं, जैसे सिंचाई का खर्च बचता है, पानी की बचत होती है, पर्यावरण की सुरक्षा होती है. और सबसे बड़ी बात की फसल को जितना पानी चाहिए, उतना ही मिलता है. अब आइए ड्रिप सिस्टम के 12 कंपोनेंट के बारे में जान लेते हैं.
यह पानी का स्टार्टिंग पॉइंट होता है जहां से पानी निकालकर पौधों तक पहुंचाते हैं. यह सोर्स कोई तालाब, कुआं या पानी का स्रोत हो सकता है. ध्यान रखें कि पानी साफ हो और उसमें कचरा न हो.
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अगर पानी का प्रेशर ठीक नहीं होगा तो पौधों तक पानी नहीं पहुंच पाएगा. इसके लिए आपको पंप लगाना होगा जो दूर खेत तक पानी भेज सकता है.
इसे बैकफ्लो प्रिवेंटर या वाल्व कहते हैं. यह ऐसा औजार है जो पानी को पीछे की तरफ नहीं जाने देता. यह वाल्व आपके पानी के असली सोर्स को गंदा होने से बचाता है.
ड्रिप की पाइप में फिल्टर लगाते हैं ताकि पाइप में कचरा न जाए. कचरा जाएगा तो पाइप खराब होगी और फसल पर भी असर होगा.
ड्रिप सिस्टम में एक प्रेशल रेगुलेटर लगाते हैं जो पानी के दबाव की मॉनिटरिंग करता है. इससे पता चल जाता है कि खेत में पानी कितने प्रेशर से जा रहा है. तेजी से या धीमी सिंचाई करनी हो तो प्रेशर रेगुलेटर लगाना जरूरी है.
ड्रिप में मेनलाइन उस पाइप या होज को बोलते हैं जिससे पौधों तक पानी जाता है. यह होज पानी के मेन सोर्स से पानी को पौधों तक पहुंचाता है.
ड्रिप के ट्यूब को ही ड्रिप लाइन कहते हैं. मेनलाइन या होज से पलती पाइप पौधों तक जाती है जिसे ड्रिप लाइन कहते हैं. होज मोटी पाइप होती है जबकि ड्रिप लाइन उसकी सेकेंडरी पाइप होती है.
एमिटर्स को ही ड्रिपर्स भी कहते हैं जो पानी को पौधों पर छिड़कते हैं. यह इस तरह से सेट किया जाता है कि पौधों की जड़ों पर पानी धीरे-धीरे छिड़का जाए.
माइक्रो ट्यूब का इस्तेमाल तब करते हैं जब एमिटर्स से अतिरिक्त लाइन को पौधों की जड़ों तक पहुंचाना हो. यह ट्यूबिंग और होज से पतली पाइप होती है.
ड्रिप सिस्टम के अलग-अलग औजारों या कंपोनेंट को जोड़ने के लिए फिटिंग और कनेक्टर लगाए जाते हैं. इसमें टी, एलबो, कपलिंग, एंड कैप्स और कपलिंग्स आते हैं.
हर ड्रिप लाइन के अंत में एक फ्लश वाल्व लगाते हैं. इसे सीजन के अंत में पानी को बाहर निकालने के लिए लगाते हैं ताकि पानी के सोर्स की धुलाई हो सके.
ये दोनों औजार ड्रिप लाइन और एमिटर्स को सही जगह पर फिक्स करने के लिए लगाए जाते हैं. इससे ड्रिप लाइन को सुरक्षा मिलती है.
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