
जब हम सेहत की बात करते हैं तो आमतौर पर हमारे दिमाग में खाने-पीने की चीजें आती हैं, लेकिन अगर हम कहें कि कुछ खास कपड़े पहनने से आप बीमारियों से दूर रह सकते हैं तो आपको थोड़ी हैरानी होगी. लेकिन ये बिल्कुल सच है. जबलपुर में एक संस्थान ऐसे कपड़े बना रहा है जो आपको कई तरह की त्वचा संबंधी बीमारियों से दूर रख सकते हैं और इसीलिए इन्हें औषधीय कपड़े कहा जाता है. क्या है इसके पीछे की पूरी कहानी आइए जानते हैं.
खादी या आप कह सकते हैं कि हथकरघे से तैयार कपड़े पूरी तरह स्वदेशी होते हैं. इन तस्वीरों को देखकर आप समझ गए होंगे कि हम कपड़ों की बात कर रहे हैं, लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती है. बल्कि इन तस्वीरों के पीछे जो हम आपको बताने जा रहे हैं वो आपकी सेहत से जुड़ी है. संस्कारधानी जबलपुर में आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ते हुए ऐसे कपड़े तैयार किए जाते हैं जो आपको कई तरह की बीमारियों से दूर रख सकते हैं. ये कपड़े औषधीय तत्वों से भरपूर होते हैं. यहां खादी के कपड़ों को औषधीय पदार्थों के मिश्रण से तैयार किया जाता है, जिसे पहनने के बाद कई तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है. आचार्य विद्यासागर महाराज की प्रेरणा से दयोदय आश्रम, जबलपुर में प्रतिभास्थल की चल चरखा महिला ट्रेनिंग और रोजगार केंद्र की बहनें ये औषधीय कपड़े तैयार करती हैं. जिनकी अब पूरे देश में मांग है. हम आपको बताते हैं कि कैसे तैयार होते हैं औषधीय कपड़े.
प्रतिभास्थल पर सामान्य खादी के कपड़ों को हल्दी, मेंहदी, अनार, टेसू के फूल, नीम की कमिटी और अन्य प्राकृतिक फलों और फूलों जैसे औषधीय रंगों से रंगा जाता है जिससे प्राकृतिक रूप से बने रंग इतने मजबूत होते हैं कि वे आसानी से खराब नहीं होते. खादी के कपड़ों को मजबूती देने के लिए चावल के पानी और इमली के पानी का इस्तेमाल किया जाता है. इन कपड़ों को पहनकर आप हमेशा तरोताजा महसूस करेंगे और प्राकृतिक रंगों से रंगे होने के कारण ये पसीने और प्रदूषण से होने वाली त्वचा संबंधी बीमारियों से भी आपकी रक्षा करते हैं क्योंकि ये कपड़े शरीर में जाने वाले विषाक्त पदार्थों को सोख लेते हैं.
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प्रतिभास्थल के सदस्यों का कहना है कि देश को न केवल आत्मनिर्भर बनाना है बल्कि लोगों को स्वदेशी के लिए प्रेरित भी करना है, इसलिए प्रतिभास्थल पर हथकरघा के माध्यम से कपड़े तैयार किए जाते हैं. इस फैक्ट्री में सैकड़ों महिलाओं को रोजगार भी दिया गया है. महिलाओं को यहां ट्रेनिंग भी दिया जाता है ताकि वे आसानी से बाहर जाकर काम कर सकें. प्रतिभास्थल पर तैयार औषधीय कपड़ों की पूरे देश में मांग है. सबसे खास बात यह है कि इन कपड़ों को इस्तेमाल करने वाले लोगों ने भी फर्क महसूस किया है. उनके पास ऐसे कई मामले आए हैं जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे लोगों को त्वचा रोगों से राहत मिली.
सबसे खास बात यह है कि इस प्रतिभास्थल में पढ़ने वाली लड़कियों को आठवीं क्लास से ही ट्रेनिंग भी दिया जाता है. प्रतिभास्थल के हाटकारखा में लड़कियों को आठवीं क्लास से ही हथकरघा से जुड़ी शिक्षा दी जाती है और उन्हें हथकरघा का प्रशिक्षण दिया जाता है. 12वीं क्लास में पहुंचते-पहुंचते लड़कियां साड़ी बनाना भी सीख जाती हैं. लड़कियों का कहना है कि अगर शिक्षा के साथ-साथ उन्हें श्रम की भी शिक्षा मिले तो आत्मनिर्भर बनना बहुत आसान हो जाता है. यह प्रशिक्षण निश्चित रूप से उनके जीवन में काम आएगा. (धीरज शाह की रिपोर्ट)
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