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Explained: कर्नाटक की मिर्च मंडी में किसानों ने क्यों किया बवाल, दाम में गिरावट है असली वजह?

Explained: कर्नाटक की मिर्च मंडी में किसानों ने क्यों किया बवाल, दाम में गिरावट है असली वजह?

कर्नाटक के हावेरी में ब्यादगी मिर्च मंडी देश-दुनिया में प्रसिद्ध है. यहां मिर्च की ऐसी-ऐसी वैरायटी आती है, जिसके बारे में लोगों को कम ही जानकारी होती है. यहां तक कि जितनी जीआई टैग वाली मिर्च की किस्में हैं, वो सभी इस मंडी में बिकने आती हैं. लेकिन अभी यह मंडी एक बुरी खबर को लेकर चर्चा में है.

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हावेरी मिर्च मंडी में किसानों का बवाल हावेरी मिर्च मंडी में किसानों का बवाल

कर्नाटक की ब्यादगी मिर्च मंडी सोमवार को अचानक एक बुरी खबर के चलते सुर्खियों में आई. खबर ये थी कि वहां किसानों ने उग्र बवाल कर दिया. किसानों ने मिर्च के सही दाम के लिए ब्यादगी एपीएमसी मंडी में कुछ गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया. यहां तक कि मंडी के दफ्तर के शीशे और फर्नीचर तोड़ डाले. किसानों की शिकायत थी कि मंडी में मिर्च के सही दाम नहीं मिल रहे और एक ही हफ्ते में 10-15 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक भाव गिर गए. इससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. किसानों ने कीमतों में गिरावट का गुस्सा एपीएमसी मंडी और उसके शीशे-फर्नीचर पर उतारे. यहां तक कि गाड़ियों में भी आग लगा दी. बीच-बचाव करने पुलिस पहुंची तो टीम पर पथराव कर दिया.

आखिर वजह क्या रही जो किसानों को इतना उग्र होना पड़ा? इसके पीछे असली वजह मिर्च के दाम में भारी गिरावट बताई जा रही है. सोमवार को मंडी में किसानों ने बवाल किया, उस एक दिन में ही मंडी में 3.1 लाख मिर्च की बोरियां पहुंचीं. एक बोरी में 30 किलो मिर्च आती है. जानकार बताते हैं कि जनवरी-फरवरी में इस मंडी में इतनी आवक सामान्य बात है. लेकिन उस दिन अचानक भाव में गिरावट रही क्योंकि कुछ हाइब्रिड किस्म की मिर्च मंडी में आई जिसकी क्वालिटी बड़ा मुद्दा बन गई. क्वालिटी खराब थी, सो रेट भी गिर गए.

आखिर क्यों हुआ बवाल?

बवाल के पीछे दाम में गिरावट असली वजह है. कृषि मंत्रालय के तहत चलने वाले एगमार्कनेट का डेटा बताता है कि ब्यादगी मंडी में डब्बी वैरायटी या मोटी मिर्च की वैरायटी का दाम पिछले साल दिसंबर में 44,000 रुपये प्रति क्विंटल था जो 5 मार्च को गिरकर 35,000 रुपये पर आ गया. यानी एक क्विंटल पर सीधा 9,000 रुपये की गिरावट. किलो के हिसाब से यह घाटा 90 रुपये के आसपास बैठता है. इसी तरह पतली मिर्च या कड्डी वैरायटी का भाव 43,000 रुपये क्विंटल से गिरकर 31,500 रुपये पर आ गया है. यह गिरावट प्रति क्विंटल 12,000 रुपये के आसपास है जो 120 रुपये किलो तक जाता है. इससे अंदाजा लगाना आसान है कि जब किसान को एक किलो पर इतना घाटा उठाना पड़ेगा, तो वह गुस्से का इजहार कैसे कर सकता है.

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यही हाल गुंटूर मिर्च का है जिसका भाव पहले 16,000 रुपये से अधिक था, वह अब 12,000 रुपये तक आ गया है. इस मिर्च की वैरायटी पर 4,000 रुपये तक का नुकसान है. सूत्रों ने एक बिजनेस अखबार को बताया कि ब्यादगी मंडी में कड्डी और डब्बी मिर्च की सबसे अधिक मांग है क्योंकि इन दोनों वैरायटी को मिर्च कंपनियां बहुत चाव से खरीदती हैं. इन वैरायटी का रंग चटख लाल और स्वाद भी तीखा होता है. सूत्र ये भी बताते हैं कि मंडी में इन दोनों वैरायटी का भाव 25,000 रुपये से 30,000 रुपये क्विंटल तक हमेशा बना रहता है. दूसरी ओर हाइब्रिड मिर्च का भाव 12,000 रुपये से 15,000 रुपये तक रहता है. लेकिन अभी इन दोनों तरह की वैरायटी के दाम में बड़ी गिरावट है. यही वजह है कि किसान अपने गुस्से का इजहार तोड़फोड़ और हिंसा के जरिये कर रहे हैं.

आखिर क्यों गिरा भाव?

हमने ये तो जान लिया कि ब्यादगी मिर्च मंडी में किसानों ने बवाल क्यों किया. अब ये जानते हैं कि आखिर मंडी में मिर्च का भाव क्यों गिर गया. इसके लिए पिछले साल का भाव देखना होगा. यह तथ्य है कि ब्यादगी मंडी देश के सबसे उम्दा मंडी में गिनी जाती है जहां मिर्च और मसाला कंपनियां खरीदारी के लिए जाती हैं. पिछले साल यहां मिर्च का भाव 50,000 रुपये क्विंटल तक गया था. लेकिन इस बार 30,000 हजार का भाव निकालना भी मुश्किल हो रहा है. इसकी कुछ वजहें हैं. 

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इस मंडी में मिर्च का सबसे अच्छा भाव मिलता है, इसलिए कर्नाटक के अलावा आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और यहां तक कि गुजरात के किसान भी उपज बेचने आते हैं. तभी इस बार के बवाल पर ब्यादगी मंडी ने बयान दिया कि आंध्र के किसानों ने मंडी में हंगामा किया. चूंकि पिछले साल 50,000 रुपये तक मिर्च के भाव मिले थे. इसलिए इस दफे कर्नाटक के अलावा अन्य राज्यों में भी मिर्च की बंपर खेती हुई. बंपर खेती के बाद मंडी में इसकी बंपर आवक हुई. इसका नतीजा हुआ कि दाम में भारी गिरावट आई. आखिरकार किसान नाराज हो गए और मंडी में आग लगा दी.