सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों केंद्र सरकार से उस जनहित याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें पीली मटर के आयात को मंजूरी देने के फैसले को चुनौती दी गई है. याचिकाकर्ता का कहना है कि यह निर्णय भारत के उन किसानों के हितों के खिलाफ है जो दालें उगाते हैं. जस्टिस सूर्यकांत, उज्ज्वल भुइयां और एनके सिंह की बेंच ने नोटिस जारी करते हुए यह सवाल उठाया कि क्या देश में दालों का उत्पादन घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है.
किसान संगठन किसान महापंचायत की ओर से दायर इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट से केंद्र की 31 मई को आई उस अधिसूचना को रद्द करने की मांग की गई है, जिनके जरिए पीली मटर के निर्बाध और मुक्त आयात की अनुमति दी गई है और समय-समय पर आयात अवधि को बढ़ाया गया है. किसान संगठन, किसान महापंचायत की ओर से सुप्रीम कोर्ट में इससे जुड़ी एक याचिका दाखिल की गई थी. इसमें सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया कि केंद्र सरकार की तरफ से जारी उन अधिसूचनाओं को रद्द किया जाए, जिनमें पीली मटर के निरंतर और मुक्त आयात की अनुमति दी गई है और समय-समय पर आयात अवधि को बढ़ाया गया है.
याचिका में यह भी मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र को ऐसे प्रावधान करने का निर्देश दे, जिससे भारत में आयातित दाल की बिक्री मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम न हो. इसके साथ ही याचिका में कमीशन फॉर एग्रीकल्चरल कॉस्ट्स एंड प्राइसिज (सीएसीपी) की सिफारिश के अनुसार पीली मटर के आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की भी मांग की गई है.
किसान महापंचायत की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कोर्ट को बताया कि सीएससीपी ने सिफारिश की है कि देश को लंबे समय तक खाद्य सुरक्षा और मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए घरेलू उत्पादन को प्राथमिकता देनी चाहिए. उन्होंने कहा, 'खेती का रकबा बढ़ाकर और उपज में सुधार लाकर भारत आयात पर निर्भरता घटा सकता है और घरेलू दामों को स्थिर कर सकता है.'
इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा, 'लेकिन क्या आपने यह जांचा कि भारत में दालों का उत्पादन वर्तमान में मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है?' भूषण ने तर्क दिया कि इस समय पीली मटर का आयात करीब 3,500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हो रहा है, जबकि दाल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) करीब 8,500 रुपये प्रति क्विंटल तय है. सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की, 'हम नोटिस जारी करने के इच्छुक हैं, लेकिन इसका नतीजा यह नहीं होना चाहिए कि अंततः उपभोक्ताओं को परेशानी उठानी पड़े.'
पीली मटर एक ऐसी दलहनी फसल है जिसे उत्पादन पारंपरिक तौर पर भारत में उत्पादन नहीं होता है. इसे आयात करके लाया जाता है और हाल के वर्षों में इसे अरहर (तूर) दाल, चना, मूंग और उड़द जैसी दालों के विकल्प के रूप में तेजी से इस्तेमाल किया जाने लगा है. याचिका के अनुसार, कनाडा, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में पीली मटर का मुख्य उपयोग मवेशियों के चारे के रूप में किया जाता है. बेंच ने आशंका जताई कि इससे बाजार में कमी और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं क्योंकि कुछ देशों में पीली मटर का प्रयोग मवेशियों के चारे के रूप में किया जाता है. इस पर भूषण ने कहा कि पीली मटर का मानव उपभोग स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है. साथ ही इसकी स्थिति ने किसानों की बदहाली और आत्महत्याओं को बढ़ावा दिया है.
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