अगर खाने में टेस्ट के साथ खुशबू भी हो तो क्या कहने. देश में चावल खाने के एक से बढ़कर एक शौकीन लोग हैं. उनके लिए जीराफूल चावल की बात ही कुछ और है. इस खुशबूदार चावल की मांग अब कई प्रदेशों में बढ़ती जा रही है. इस सुगंधित धान की पैदावार ने किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है. साथ ही लोगों का स्वाद भी बढ़ाया है. जीराफूल धान की एक देशी और सुगंधित किस्म है जिसको भारत के कई राज्यों में उगाया जाता है. इस धान की किस्म को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती और नमी वाले खेतों में इसे कम समय में ही उगाया जा सकता है.
इस धान से निकलने वाले चावल जीरे के फूलों के समान आकार में बहुत छोटे और खाने में बहुत स्वादिष्ट होते हैं. इसी कारण इसको जीराफूल नाम दिया गया है. संयोजित तरीके से इसकी खेती की जाती है जिसके कारण इस धान की कीमत में तीन गुना से भी अधिक की वृद्धि हो गई है. इसका उत्पादन प्रति एकड़ 8 क्विंटल है. इस धान को हाल में ही भौगोलिक संकेतक ज्योग्राफिक इंडेक्स टैग यानी GI टैग दिया गया है. इससे पूरे विश्व में इस धान को इसी नाम से जाना जाएगा.
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जीराफूल चावल धान के कटोरे नाम से मशहूर छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक उगाया जाता है. छत्तीसगढ़ के अलावा इस धान को राजस्थान और झारखंड में भी उगाया जाता है. छत्तीसगढ़ के सरगुजा इलाके में जीराफूल की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. जीराफूल चावल एक प्राचीन किस्म है, जिसका अपना एक पारंपरिक महत्व भी है. छत्तीसगढ़ में करीब धान की 20,000 से अधिक किस्में उगाई जाती हैं, जिनमें से जीराफूल चावल भी एक खास किस्म है, जिसे सरकार ने जीआई टैग भी दिया है.
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