इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल (E 20) के बारे में सोशल मीडिया पर हाल ही में फैलाए गए गलत सूचनाओं को देखते हुए कई उद्योग संगठनों ने साफ किया है कि भारत का इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम वैज्ञानिक रूप से मान्य है, विश्व स्तर पर सिद्ध है, और देश की ऊर्जा स्वतंत्रता और उसके किसानों के कल्याण के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है.
ई20 ईंधन से वाहनों के इंजनों को नुकसान पहुंचने के दावों के विपरीत, तेल मार्केटिंग कंपनियों (OMC) की ओर से बड़े स्तर पर परीक्षण और ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI) के सर्टिफिकेशन ने भारतीय वाहनों के लिए ई20 के सही होने की पुष्टि की है. ऑटोमोबाइल निर्माता पहले से ही स्पष्ट लेबलिंग और यूजर गाइडेंस के साथ ई20 के मुताबिक गाड़ियां बना रहे हैं. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने पहले ही आधिकारिक आंकड़े और तकनीकी निष्कर्ष जारी कर दिए हैं जो इथेनॉल की बेहतर ईंधन विशेषताओं की पुष्टि करते हैं, जिससे ऐसी चिंताओं का प्रभावी ढंग से समाधान होता है.
वैश्विक स्तर पर, ब्राज़ील जैसे देश दशकों से E20 से E100 तक के इथेनॉल मिश्रणों का उपयोग कर रहे हैं, और गाड़ियों में समस्याओं की कोई रिपोर्ट नहीं आई है. ब्राजील 1980 के दशक से E100 वाहन चला रहा है और मौजूदा समय में अपने पेट्रोल में 27% से अधिक इथेनॉल मिलाता है, और 2030 तक 30% बेस मिश्रण मिलाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है.
"इथेनॉल-मिश्रित ईंधन केवल एक तकनीकी विकल्प नहीं है, बल्कि यह एक राष्ट्रीय अनिवार्यता है. कठोर वैज्ञानिक प्रमाणों और दशकों के वैश्विक अनुभव के साथ यह हमारे किसानों, हमारी अर्थव्यवस्था और हमारे पर्यावरण के लिए स्पष्ट लाभ मुहैया कराता है. इस कार्यक्रम को कमजोर करने का कोई भी प्रयास ऊर्जा आत्मनिर्भरता, ग्रामीण समृद्धि और सभी के लिए स्वच्छ वायु की दिशा में भारत की प्रगति को धीमा कर सकता है," भारतीय चीनी एवं जैव-ऊर्जा निर्माता संघ (ISMA) के महानिदेशक दीपक बल्लानी ने कहा.
आर्थिक नजरिये से, इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम भारत भर के पांच करोड़ से ज़्यादा गन्ना किसानों के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव साबित हुआ है. इथेनॉल के माध्यम से किसानों को ₹1.18 लाख करोड़ से अधिक की राशि ट्रांसफर की जा चुकी है. इससे चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति में सुधार होता है, किसानों को समय पर भुगतान मिलता है, और अतिरिक्त चीनी भंडार के प्रबंधन में मदद मिलती है, जिससे अंततः गन्ने की कीमतों में स्थिरता आती है और किसानों की आय सुरक्षित रहती है. यह कार्यक्रम किसानों को ऊर्जादाता बनाने के सरकार के 'अन्नदाता से ऊर्जादाता' दृष्टिकोण के साथ पूरी तरह मेल खाता है.
इथेनॉल मिश्रण भारत की ऊर्जा सुरक्षा रणनीति का भी एक प्रमुख पिलर है. चूंकि देश अपनी 85% से अधिक कच्चे तेल की जरूरतों को आयात करता है, इथेनॉल के बढ़ते उपयोग से इस निर्भरता को कम करने में मदद मिलती है. अकेले E20 लक्ष्य से सालाना ₹35,000-₹40,000 करोड़ विदेशी मुद्रा की बचत होने की उम्मीद है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को उथल-पुथल वाली वैश्विक तेल कीमतों से सुरक्षा मिलेगी.
इथेनॉल से होने वाले पर्यावरण के लाभ भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं. इथेनॉल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 40-60% तक कम करता है. ब्राज़ील के साओ पाउलो जैसे शहरों के अनुभव, जहां इथेनॉल के उपयोग के कारण शहरी वायु प्रदूषण में 50% से अधिक की गिरावट देखी गई है, इथेनॉल मिश्रण के महत्व के बारे में बताते हैं.
इस्मा महानिदेशक ने आगे कहा, "इथेनॉल सिर्फ़ एक वैकल्पिक ईंधन नहीं है, बल्कि यह भारत के भविष्य के लिए एक स्वच्छ और स्मार्ट ऊर्जा समाधान है. इथेनॉल-मिश्रित ईंधन सुरक्षित, रणनीतिक, आत्मनिर्भरता और पर्यावरण की स्थिरता की दिशा में भारत के लिए महत्वपूर्ण है."
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