भारत के चावल निर्यात में 60 फीसद की गिरावट, कई साल के निचले स्तर पर कीमतें

भारत के चावल निर्यात में 60 फीसद की गिरावट, कई साल के निचले स्तर पर कीमतें

चावल के निर्यात में बड़ी गिरावट है. मांगों में कमी की वजह से निर्यात में गिरावट है. दो महीने में निर्यात में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. दूसरी ओर चावल के दाम में भी भारी कमी दर्ज की गई है.

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भारत के चावल निर्यात में 60 फीसद की गिरावट, कई साल के निचले स्तर पर कीमतेंचावल के निर्यात में गिरावट

चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में भारत के चावल निर्यात में सुस्त मांग के कारण लगभग 60 प्रतिशत की गिरावट आई है. वैश्विक चावल बाजार में, कीमतें कई वर्षों के निचले स्तर पर बनी हुई हैं, कुछ खरीदारों के पास अभी भी बहुत अधिक स्टॉक है. "पिछले दो महीनों (अप्रैल और मई) में चावल का निर्यात कम रहा है. प्रति टन कीमतें उस कीमत से नीचे गिर गई हैं जिस पर स्टॉक खरीदा गया था. 2024 की अंतिम तिमाही और 2025 की पहली तिमाही में भारी मात्रा में खरीद की गई क्योंकि सितंबर में भारत की ओर से निर्यात पर प्रतिबंध हटाने के बाद खरीद की होड़ मच गई थी," चावल निर्यातक संघ के अध्यक्ष बीवी कृष्ण राव ने 'बिजनेसलाइन' से कहा.

उन्होंने कहा कि स्थिति ऐसी थी कि जनवरी में माल उतारने के लिए जगह नहीं थी और समुद्र रास्ते से बहुत अधिक माल जा रहा था. नई दिल्ली स्थित व्यापार विश्लेषक एस चंद्रशेखरन ने कहा, "भारत के रिकॉर्ड उत्पादन और उच्च स्टॉक के कारण वैश्विक कीमतें कम हैं. मांग से अधिक आपूर्ति के कारण वैश्विक बाजार में दबाव बढ़ रहा है."

विदेशों में चावल की मांग में कमी

भारत के मामले में, विदेशों में मांग में कमी इसका सबूत है. आंकड़े बताते हैं कि उबले चावल का निर्यात सितंबर 2024 में 4.35 लाख टन से बढ़कर अक्टूबर में 11.35 लाख टन, नवंबर में 10.13 लाख टन, दिसंबर में 11.01 लाख टन और जनवरी 2025 में 12.52 लाख टन हो गया, जो अप्रैल में घटकर 7.92 लाख टन और मई में 2.07 लाख टन रह गया. इसी तरह, सफेद (कच्चे) चावल का निर्यात सितंबर के महज 30,000 टन से बढ़कर अक्टूबर 2024 में 6.91 लाख टन हो गया. यह नवंबर में बढ़कर 8.07 लाख टन हो गया, जो दिसंबर में लगभग 6 लाख टन और जनवरी 2025 में 5.22 लाख टन पर आ गया. यह अप्रैल 2025 में घटकर 3.04 लाख टन और मई में 2.92 लाख टन रह गया.

इससे पता चलता है कि कुल निर्यात 13 लाख टन प्रति माह से घटकर 5 लाख टन से थोड़ा कम रह गया है. चंद्रशेखरन ने कहा, "भारत सालाना 1617 मिलियन टन चावल का निर्यात करता है. इसका मतलब है कि हर महीने करीब 1.31 मिलियन टन चावल का निर्यात होता है. हम जो देख रहे हैं, वह बहुत बड़ी गिरावट है." नई दिल्ली स्थित निर्यातक राजेश जैन पहाड़िया ने कहा, "वैश्विक बाजार में अधिक आपूर्ति के कारण मंदी का रुख है."

भारत को नहीं मिल रहा चावल का ऑर्डर

कृषि उत्पादों का निर्यात करने वाले राजथी समूह के निदेशक एम मदन प्रकाश ने कहा, "अब शायद ही कोई ऑर्डर आ रहा है. मांग पूरी तरह से खत्म हो गई है." चंद्रशेखरन ने कहा, "मांग में कमी सब जगह लगती है. भारत निर्यात में गिरावट की रिपोर्ट कर रहा है. वहीं, दूसरे देश अपने निर्यात में किसी वृद्धि की रिपोर्ट नहीं कर रहे हैं."

भारत ने 2022 और 2023 में चावल के निर्यात पर रोक लगा दी थी क्योंकि गेहूं का उत्पादन कम हो गया और सरकार को लगा कि चावल की आपूर्ति मांग से कम हो सकती है, जो गेहूं उत्पादन की समस्या के कारण बढ़ गई. हालांकि, 2024 की दूसरी छमाही से चावल के स्टॉक में उछाल आया. इसके कारण भारत ने चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटा दिए, जिसमें 100 प्रतिशत टूटे चावल पर प्रतिबंध भी शामिल है.

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