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नेफेड की कहानी... किसानों के बीच नए रोल में एग्री सेक्‍टर का पुराना प्‍लेयर NAFED !

नेफेड की कहानी... किसानों के बीच नए रोल में एग्री सेक्‍टर का पुराना प्‍लेयर NAFED !

नेफेड का दायरा फसल खरीद में लगातार बढ़ रहा है. जानने की कोशिश करते हैं कि एग्री सेक्‍टर के पुराने प्‍लेयर नेफेड की कहानी, जो एग्री सेक्‍टर में नए रोल पर नजर आ रहा है.

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नेफेड बन सकता है कृषि सेक्‍टर में गेम चेंजर नेफेड बन सकता है कृषि सेक्‍टर में गेम चेंजर

MSP गारंटी कानून की मांग को लेकर 13 फरवरी से किसान आंदोलन कर रहे हैं, जो अभी तक जारी है. इस बीच किसानों के मुद्दों को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार के मंत्रीस्‍तरीय प्रतिनिधिमंडल ने आंदोलनकारी किसानों से बातचीत भी की. जिसमें सरकार की तरफ से किसानों को 5 फसलों की 5 साल खरीद की गारंटी देने का प्रस्‍ताव दिया गया. इस प्रस्‍ताव के मुताबिक पांच फसलों में शामिल तीन दालों और मक्‍के की खरीद किसानों से नेफेड करेगा.

हालांकि इस प्रस्‍ताव पर सहमति नहीं बनी और किसान आंदोलन जारी है, लेकिन बीते दिनों नेफेड एक बार फिर चर्चा में आया है, जिसके तहत किसानों से सीधे गेहूं खरीद के लिए नेफेड को मंजूरी दी गई है. अभी तक FCI और राज्‍य सरकारें की एजेंसियां ही किसानों से गेहूं की खरीदारी करती रही हैं.

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आइए इसी कड़ी में आज बात करते हैं नेफेड की...जिसका दायरा फसल खरीद में लगातार बढ़ रहा है. जानने की कोशिश करते हैं कि एग्री सेक्‍टर के पुराने प्‍लेयर नेफेड की कहानी, जो एग्री सेक्‍टर में नए रोल पर नजर आ रहा है.

कब बना था नेफेड 

नेशनल एग्रीकल्‍चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंंडिया लिमिटेड यानी नेफेड की स्‍थापना 2 अक्‍टूबर 1958 की स्‍थापना गांधी जयंति के दिन की गई थी. जिसका रजिस्‍ट्रेशन मल्‍टी स्‍टेट को-ऑपरेटिव सोसायटी अधिनिय के तहत किया गया है. नेफेड की स्‍थापना के उद्देश्‍य की बात करें तो किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए कृषि उपज के सहकारी विपणन को बढ़ावा देना है. मल्‍टी स्‍टेट को-ऑपरेटिव सोसायटी का चेहरा माने जाने वाले नेफेड का कहना है कि देश का प्रत्‍येक खेतिहर किसान उसका सदस्‍य है, जिसे नेफेड के कामकाज में सदस्य के रूप में अपनी बात कहने का अधिकार है.

नेफेड के उद्देश्‍य 

नेफेड का मुख्‍य उद्देश्‍य कृषि, बागवानी और वन उपज को बेचना, भंडारण को व्‍यवस्‍थित करना, प्रोसेस करना, कृषि मशीनरी, उपकरणों का वितरण, एक्‍सपोर्ट और इंपोर्ट व्‍यापार, थोक या खुदरा व्यापार करना है. नेफेड के नियमों के अनुसार वह अपने उद्देश्‍यों की पूर्ति के लिए कई तरह की गतिविधियां शुरू कर सकता है. नेफेड ने इन गतिविधियों को 20 बिंदुओं में बांटा है. जो निम्‍मलिखित हैं...

  1. कृषि उपज, कमोडिटी समेत अन्‍य वस्‍तुओं की मार्केटिंग, ट्रेडिंंग को बढ़ावा देने और सुविधाजनक बनाने के लिए सहकारी संस्‍थानों, सहयोगियों के बीच समन्‍यवयन करना.
  2. सरकार या सरकारी संगठनों की ओर से अंतर-राज्य और अंतरराष्ट्रीय व्यापार, कृषि वस्तुओं की बिक्री, खरीद, आयात, निर्यात और वितरण करना. जहां भी आवश्यक हो, देश या विदेश में किसी भी स्थान पर शाखाएं/उप-कार्यालय खोलना और एजेंटों की नियुक्ति करना.
  3. नेफेड वेयरहाउसिंग अधिनियम के तहत वेयरहाउस के रूप में कार्य कर सकता है. इसके लिए गोदाम और कोल्‍ड स्‍टोरेज का निर्माण कर सकता है.
  4. नेफेड देश या विदेश में खुद या किसी एजेंसी के सहयोग से किसी वस्‍तु का भंडारण कर सकता है या भंडारण यूनिट तैयार कर सकता है. 
  5. नेफेड कृषि उपज के एक्‍सपोर्ट और इंपोर्ट के लिए भारत या विदेश में खुद या किसी एजेंसी के सहयोग से ट्रांसपोर्ट यूनिट तैयार कर सकता है.
  6. नेफेड कृषि, बागवानी और वन उपज के प्रोसेस के लिए इकाइयां स्थापित कर सकता है.
  7. नेफेड कृषि उपज और अन्य वस्तुओं की ग्रेडिंग, पैकिंग कर उन्‍हें बाजार में बेच सकता है.

नेफेड का कुल टर्नओवर 

नेफेड के उद्देश्‍य और उदे्श्‍य पूर्ति के लिए नेफेड के अधिकारों के बारे में आप जान गए होंगे. इस और विस्‍तार से समझने की कोशिश करें तो भारत सरकार की तरफ से बीते दिनों लांच किए गए भारत ब्रांड आटा-चावल को उदाहरण के तौर पर लिया जा सकता है. असल में भारत ब्रांड का स्‍वामित्‍व और संचालन नेफेड के पास ही है. इसी तरफ नेफेड दालों के साथ ही कई तरह के कृषि उत्‍पादों को बाजार में उपलब्‍ध कराता है. इस बात से नेफेड के व्‍यापार को भी समझा जा सकता है. नेफेड के टर्नओवर की बात करें तो साल 2020-21 में 36 लाख करोड़ से अधिक रहा था, जो 2022-23 में 23 लाख करोड़ से अधिक पर दर्ज किया गया है. 

नेफेड किसानों के लिए बन सकता है गेम चेंजर 

नेफेड की भूमिका फसल खरीद में बढ़ती हुई दिखाई दे रही है. इससे पहले भी नेफेड किसानों से फसल खरीद करता है, जिसके तहत चना और प्‍याज की खरीद में नेफेड अग्रणी रहा है. वहीं प्‍याज के बढ़ते दामों के बीच शहरी क्षेत्रों में सस्‍ते प्‍याज के लिए भी नेफेड जाना जाता है. मौजूदा वक्‍त में किसानों के बीच नेफेड की भूमिका कुछ हद तक उपभोक्‍ता को राहत देने वाली है, लेकिन नेफेड की विशेषताओं पर बात करें तो नेफेड किसानों के लिए गेम चेंजर बन सकता है, जो किसानों की दशा और दिशा बदल सकता है.

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असल में मौजूदा वक्‍त में देश के अंदर FCI और राज्‍य सरकारों की एजेंसियों की  गेहूं और चावल की खरीद MSP पर होती है. हालांकि नेफेड चना दाल की खरीद कुछ राज्‍यों में करता है. इसके अलावा कोई दूसरी एजेंसी फसल खरीद में सक्रिय नहीं है. ऐसे में अगर नेफेड की भूमिका बाकी फसलों की खरीद में बढ़ती है तो ये किसानों के लिए फायदे का सौदा हो सकता है. क्‍योंकि नेफेड की तरफ से खरीदारी से किसानों को कम से कम MSP की गांरटी मिल सकती है.

क्‍योंकि नेफेड किसानों को फसलों को MSP पर खरीदेगा. वहीं अगर नेफेड अपने उद्देश्‍यों के अनुरूप अपने अधिकारों पर ठीक से काम करता है तो वह देश में कृृषि उपज की मार्केटिंग और व्‍यापार की एक बड़ी एजेंसी बन सकती है. मौजूदा व्‍यक्‍त में ऐसी कोई एजेंसी नहीं है. एपीडा है, लेकिन उसकी भूमिका एक्‍सपोर्ट तक सीमित है. ऐसे में नेफेड देश में कृषि उपज की सबसे बड़ी मार्केंटिंंग एजेंसी बन सकता है.