भारत की अधिकांश आबादी खेती पर निर्भर है. वही पैदावार को बढ़ावा देने के लिए कई किसान फसल में अंधाधुंध उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं इससे उन्हें पैदावार तो अच्छी मिल जाती है, लेकिन मृदा स्वास्थ्य और पर्यावरण पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है. इसलिए सरकार पिछले कई सालों से जैविक खेती को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है जिसका काफी असर भी देखने को मिला है.
भारत के किसान जैविक खेती करने के मामले में दुनियाभर के किसानों से बहुत आगे हैं, लेकिन बहुत से किसानों को अभी भी जैविक खेती के बारे में अधिक जानकारी नहीं है. जैविक खेती एक ऐसी पद्धति है जिसमें रसायनों का प्रयोग नहीं कर, गोबर की खाद, केंचुआ खाद और हरी जैविक खाद का प्रयोग किया जाता है. इससे भूमि की उर्वरा शक्ति लम्बे समय के लिए बनी रहती है.
भारत आबादी और क्षेत्रफल दोनों ही मामले में बहुत बड़ा देश है. यहां बड़े पैमाने पर खेती की जाती है, जिसमें खूब रसायनों का प्रयोग होता है, लेकिन पिछले कुछ सालों के प्रयास से लोग स्वास्थ्यवर्धक एवं सुरक्षित भोजन की ओर बढ़ रहे हैं. इसके लिए वे जैविक कृषि को बढ़ावा दे रहे हैं. जैविक खेती के कुल रकबे में भारत का 9वां स्थान है, लेकिन जैविक खेती करने वाले किसानों की संख्या की बात करें तो भारत सबसे आगे है.
भारत में लगातार रसायन मुक्त खेती को बढ़ावा देने का प्रयास जारी है, बात करें भारत में जैविक खेती की तो प्राकृतिक विविधता वाला सिक्किम राज्य देश में सबसे अधिक जैविक खेती करने वाला राज्य है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सिक्किम में जैविक खेती लगभग 100 फीसदी है. इसके अलावा, त्रिपुरा और उत्तराखंड भी इस मामले में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.
जैविक खेती के लाभ अनेक हैं. इस पद्धति को अपनाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति लम्बे समय तक बनी रहती है, साथ ही सिंचाई अंतराल में वृद्धि होती है. इस पद्धति की खेती में लागत भी कम आती है. वहीं पर्यावरण पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है. भूजल को बढ़ावा मिलता है और स्वास्थ्यवर्धकऔर रसायन से मुक्त अनाज प्राप्त होता है.
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