भारत के कृषि उत्पादक क्षेत्रों में इस साल बारिश का हाल मिलाजुला रहा. कुछ क्षेत्रों में भारी बारिश से बाढ़ आई तो वहीं अन्य क्षेत्रों में बारिश में कमी देखी जा रही है. इससे खाने-पीने के सामन (खाद्य वस्तुओं) महंगे होने का खतरा पैदा हो गया है. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है. रिपोर्ट के अनुसार, देश में कुल मिलाकर बारिश सामान्य से 7 प्रतिशत अधिक रही है, लेकिन विभिन्न क्षेत्रों में असमानता बनी हुई है. उत्तर-पश्चिम भारत के मुख्य कृषि उत्पादक राज्यों में इस वर्ष मिश्रित परिस्थितियां देखने को मिल रही हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हुई, जबकि उत्तर प्रदेश में बारिश की कमी बनी हुई है. वहीं, खासकर पंजाब में धान की बुवाई पर बाढ़ के असर का रिपोर्ट में जिक्र किया गया है. बारिश की प्रगति भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की भविष्यवाणी के अनुरूप रही है. 1 जून 2025 से 22 सितंबर 2025 तक बारिश का कुल विचलन लॉन्ग-पीरियड एवरेज से 7 प्रतिशत अधिक रहा, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में 5 प्रतिशत की अधिकता दर्ज की गई थी.
हालांकि, बारिश का असमान वितरण एक बड़ी चिंता बनकर उभरा है. उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में इस वर्ष 31 प्रतिशत की तीव्र अधिकता दर्ज की गई, जबकि पिछले वर्ष यह केवल 6 प्रतिशत थी. इस क्षेत्र के राज्यों में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान बाढ़ जैसी परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं, जिससे फसलों को गंभीर नुकसान पहुंचा है. वहीं, पूर्वी भारत में बारिश की कमी 18 प्रतिशत दर्ज की गई है. दक्षिण भारत में 9 प्रतिशत की वर्षा अधिकता रही, जो पिछले वर्ष 15 प्रतिशत थी.
मुख्य कृषि उत्पादक राज्यों को अलग-अलग चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. राजस्थान, पंजाब और हरियाणा बाढ़ से जूझ रहे हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में बारिश 4 प्रतिशत कम रही है. गुजरात, तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में वर्षा अधिक होने से फसल की संभावनाएं मजबूत हुई हैं.
वहीं, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और बिहार में वर्षा की कमी बनी हुई है. विशेषकर बिहार में वर्षा की कमी 28 प्रतिशत है, जो पिछले वर्ष के समान है. उपभोक्ता मामले विभाग के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में सब्जियों, दालों और मसालों की कीमतें नियंत्रित रहीं, जबकि अनाज, चीनी, दूध, सरसों का तेल, सोया तेल और सूरजमुखी तेल की कीमतें माह-दर-माह बढ़ीं.
वर्तमान में CPI (कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स) सब्जियों को छोड़कर 4 प्रतिशत से कम है. सब्जियों की महंगाई में नियंत्रण बनाए रखना कुल मुद्रास्फीति को स्थिर रखने के लिए आवश्यक है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर 2025 के लिए CPI लगभग 1.56 प्रतिशत पर ट्रैक कर रहा है. हालांकि, उत्तर भारत में हालिया बाढ़ के कारण पंजाब में धान की बुवाई प्रभावित हुई है, जिससे मुद्रास्फीति बढ़ने का स्पष्ट जोखिम बना हुआ है. (एएनआई)
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