फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए जिन किसानों के द्वारा यूरिया का इस्तेमाल खूब किया जाता है. उनकी भूमि की उर्वरा शक्ति भी कम होने लगती है. इस समस्या को दूर करने के लिए दुनिया की सबसे बड़ी प्रसंस्कृत उर्वरक सहकारी संस्था इफको ने नैनो यूरिया लॉन्च किया है. इफको के पहले नैनो यूरिया यूनिट की स्थापना गुजरात के कलोल में इसी साल मई माह में हुई थी.
अब इफको ने देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में नैनो यूरिया के दो यूनिट इफको अनोला यूनिट, बरेली और इफको फूलपुर, प्रयागराज शुरू किया है. इन दोनों यूनिट में इफको नैनो यूरिया का उत्पादन शुरू हो गया है. इन 2 नए नैनो यूरिया प्लांट्स की क्षमता प्रति दिन दो लाख बोतल होगी. जोकि देश के किसान के लाभ के लिए भारतीय उर्वरक क्षेत्र के इतिहास में एक और उपलब्धि है.
इफको के अनुसार, किसानों के हित में इफको अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में लगातार काम कर रहा है. इफको द्वारा ईजाद किया गया विश्व का पहला नैनो उर्वरक, नैनो यूरिया, निश्चित रूप से रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करेगा और फसल उत्पादकता को बढ़ाएगा. यह टिकाऊ कृषि की दिशा में एक बड़ा कदम है.
इफको के अनुसार, नैनो यूरिया को प्रधानमंत्री मोदी की 'आत्मनिर्भर भारत' और 'आत्मनिर्भर कृषि' की पहल को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया था, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी. इसी तर्ज पर हम जल्द ही देश के किसानों के लाभ और बेहतरी के लिए इफको नैनो डीएपी पेश करेंगे.
इफको के अनुसार, नैनो यूरिया सदी का आविष्कार है और यह पोषक तत्व प्रबंधन में आमूलचूल बदलाव लाएगा, उर्वरकों को बनाने के लिए नए पैरामीटर स्थापित करेगा. नैनोटेक्नोलॉजी में इफको के अनुसंधान एवं विकास जरूरी रासायनिक संरचना के साथ विश्व स्तर पर उर्वरक उत्पादन को बेहतर बनाने की क्षमता प्रदान करता है, पोषक तत्वों के उपयोग की दक्षता में सुधार करता है जो पर्यावरणीय प्रभाव को कम करता है और पौधों की उत्पादकता को बढ़ाता है.
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