
किसानों की उपज और आमदनी बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार तेजी से काम कर रही है. इसी क्रम में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान ने देहरादून में एग्री प्रॉसेसिंग और थ्रेसिंग यूनिट शुरू कर दी है. इसके साथ ही कस्टम हायरिंग सेंटर भी शुरू किया गया. कृषि वैज्ञानिकों ने स्थानीय किसानों कों कृषि कार्यों के लिए प्रूनिंग कटर समेत कई उपकरण भी दिए.
आईसीएआर-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (IISWC) देहरादून ने कालसी ब्लॉक के खतर ग्राम पंचायत में एक एग्रीकल्चर प्रॉसेसिंग यूनिट और कस्टम हायरिंग सेंटर का शुभारंभ किया है. यह पहल एससी-एसपी योजना के तहत किसानों को उनके कृषि उत्पादों को स्थानीय स्तर पर प्रॉसेस करने में सक्षम बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई है. इसके जरिए किसानों का समय, लागत और श्रम की बचत होगी और उपज की क्वालिटी में सुधार भी होगा.
भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (IISWC) में पीएमई और केएम यूनिट के प्रमुख और एससी-एसपी और टीएसपी कार्यक्रमों के समन्वयक डॉ. एम. मुरुगानंदम ने परियोजना टीम के सदस्य वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. इंदु रावत, वैज्ञानिक डॉ. सादिकुल इस्लाम के साथ मिलकर किसानों को 6 एचपी डीजल इंजन से चलने वाली फसल मड़ाई के लिए थ्रेशिंग यूनिट सौंपी. यह सुविधा किसानों को अपने उत्पादों को विकासनगर ले जाने की जरूरत को समाप्त कर स्थानीय स्तर पर ही प्रॉसेसिंग करने में सक्षम बनाएगी, जिससे कार्यक्षमता में सुधार होगा.
यूनिट संचालन के लिए आसपास के सभी घरों से एक फोकस समूह का गठन किया गया. इसके अलावा दो महिला स्व-सहायता समूहों (SHGs) को स्टोरेज बिन, स्पैचुला, थर्मल फ्लास्क और फ्राइंग पैन जैसे आवश्यक घरेलू और सामुदायिक वस्तुएं दी गईं. प्रत्येक घर को व्यक्तिगत उपयोग के लिए एक इलेक्ट्रिक केतली और मैनुअल प्रूनिंग कटर भी दिया गया.
महिलाओं के लिए आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए डॉ. इंदु रावत ने साबुन बनाने की सामग्री वितरित की. टीम ने पिछले दो वर्षों में छह बस्तियों में सिंचाई पाइप, जल टैंक, उन्नत बीज, पौध सामग्री और मुर्गीपालन के लिए चूजों को देने की योजना की समीक्षा की. किसानों को उन्नत खेती, पोल्ट्री फार्मिंग और स्वास्थ्य देखभाल पर ट्रेनिंग कार्यक्रमों का भी आकलन किया गया.
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