कभी भारत ने भुला दिया था इस शाही अनाज को, अब सुपरफूड बनकर की वापसी  

कभी भारत ने भुला दिया था इस शाही अनाज को, अब सुपरफूड बनकर की वापसी  

भारत के कई हिस्सों में राजगिरा को रामदाना भी कहा जाता है. इसके पीछे धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यता जुड़ी है. मान्यता है कि यह अन्‍न भगवान राम के समय से जुड़ा है और उन्‍होंने इसे दान किया हुआ है. उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में आज भी इसे एक पवित्र अनाज मानते हैं. इन राज्‍यों में कहते हैं कि अगर संकट या व्रत के समय इसे खाया जाए तो इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है.

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कभी भारत ने भुला दिया था इस शाही अनाज को, अब सुपरफूड बनकर की वापसी  Rajgira Amaranth: बड़ा हेल्‍दी है राजगीरा

भारत में हजारों सालों से खाद्य संस्कृति सिर्फ स्वाद और संतुष्टि का माध्यम नहीं रही, बल्कि यह स्वास्थ्य और परंपरा से भी गहराई से जुड़ी रही है. ऐसे ही पारंपरिक अनाजों में से एक है राजगिरा या जिसे अमरंथ के तौर पर भी जानते हैं. इसे भारत में कभी 'शाही अनाज' का दर्जा मिला हुआ था. लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, यह भी लोगों की थाली से गायब होता गया. लेकिन मॉर्डन साइंस और डाइट को लेकर बढ़ती अवेयरनेस की वजह से इसने 'सुपरफूड' के तौर पर कमबैक किया है. 

प्राचीन भारत में राजगिरा का इतिहास

राजगिरा का जिक्र प्राचीन भारतीय ग्रंथों और परंपराओं में मिलता है. आयुर्वेद में इसे ‘राजगिरा’ यानी राजाओं का अन्‍न कहा गया है. यह अनाज राजाओं और अमीर घरानों की थाली तक सीमित नहीं था बल्कि भारत के गांवों में भी उपवास और धार्मिक अवसरों पर विशेष तौर पर खाया जाता था. नवरात्र जैसे व्रत-त्योहारों में आज भी राजगिरा के लड्डू, चिवड़ा और आटे की रोटियां बनाई जाती हैं. इतिहासकारों के अनुसार इस अनाज का इतिहास भारतीय उपमहाद्वीप में 5000 साल से भी ज्‍यादा पुराना है. माया और इंका सभ्यता में भी अमरंथ को ‘पवित्र अन्‍न’ माना गया. भारत में इसे विशेष रूप से गुजरात, महाराष्‍ट्र, उत्तर प्रदेश और बिहार में व्यापक रूप से उगाया और खाया जाता था. 

राजगिरा को ‘रामदाना’ क्यों कहते हैं 

भारत के कई हिस्सों में राजगिरा को रामदाना भी कहा जाता है. इसके पीछे धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यता जुड़ी है. मान्यता है कि यह अन्‍न भगवान राम के समय से जुड़ा है और उन्‍होंने इसे दान किया हुआ है. उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में आज भी इसे एक पवित्र अनाज मानते हैं. इन राज्‍यों में कहते हैं कि अगर संकट या व्रत के समय इसे खाया जाए तो इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है. 'रामदाना' का एक अर्थ है 'राम का अन्‍न' भी है यानी भगवान को अर्पित किया गया पवित्र भोजन. यही कारण है कि नवरात्र, एकादशी और अन्य व्रतों में इसका विशेष महत्व है. 

हरित क्रांति के बाद भारत में गेहूं और चावल को मुख्य खाद्यान्न के तौर पर बढ़ावा मिला. धीरे-धीरे राजगिरा जैसे पौष्टिक अनाज किनारे हो गए. बाजारों में भी इसकी मांग कम हो गई और किसानों ने इसका उत्पादन घटा दिया. शहरी जीवनशैली और त्वरित भोजन की आदतों ने भी पारंपरिक अनाजों को पीछे धकेल दिया. 

सुपरफूड के रूप में वापसी

साल 2000 की शुरुआत से यानी जबसे डाइट और स्‍वास्‍थ्य के लिए जागरुकता बढ़ी है, राजगिरा ने जोरदार वापसी की है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह ग्लूटेन-फ्री है और शाकाहारियों के लिए प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत है. इसमें आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम और फाइबर की मात्रा चावल और गेहूं से कहीं अधिक होती है. बारिश आधारित क्षेत्र के किसानों के लिए राजगिरे की खेती को गेमचेंजर कहा गया है. इसकी देखभाल में बहुत कम संसाधनों की जरूरत पड़ती है. वहीं कीमतें बहुत प्रीमियम स्‍तर की होती हैं. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि यह फसल कम पानी में भी अच्छी उपज देती है और पोषण सुरक्षा में अहम भूमिका निभा सकती है। सरकार भी ‘मिलेट्स और न्यूट्री-सिरियल्स’ को बढ़ावा देने के तहत राजगिरा जैसे पारंपरिक अनाजों पर ध्यान केंद्रित कर रही है. 

पोषण संबंधी फायदे:

  • इसमें लगभग 13 से 15 फीसदी तक प्रोटीन होता है. 
  • आयरन की मात्रा गेहूं और चावल की तुलना में कई गुना अधिक है. 
  • राजगिरा की पत्तियां हरी सब्जियों का विकल्प मानी जाती हैं, जिनमें विटामिन A और C प्रचुर मात्रा में मिलते हैं. 
  • यह हड्डियों की मजबूती और खून की कमी को दूर करने में मदद करता है. 
  • ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में सहायक. 

भारत में मांग और संभावनाएं

बदलते समय के साथ अब राजगिरा बेस्‍ड प्रॉडक्‍ट्स जैसे राजगिरा लड्डू, एनर्जी बार, कुकीज, पास्ता और यहां तक कि पिज्‍जा बेस तक बाजार में मौजूद हैं. फिटनेस ट्रेनर और पोषण विशेषज्ञ इसे डायबिटीज-फ्रेंडली और हार्ट-हेल्दी अनाज के तौर पर सजेस्‍ट करते हैं. 

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