आज यानि 25 मार्च को पूरे देश में होली का त्योहार मनाया जा रहा है. हर कोई इस त्योहार की तैयारी में लगा हुआ है. होली हिंदू धर्म का एक विशेष त्योहार है, जो हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. रंगों का यह त्योहार अपने साथ खुशियां और उल्लास लेकर आता है. इस त्योहार को देश-दुनिया में लोग अलग-अलग तरीके से मनाते हैं. लेकिन कई बार हमारी लापरवाही कई लोगों पर भारी पड़ जाती है. खासकर उन बेजुबान पशुओं के लिए, जिन्हें हमारी लापरवाही का खामियाजा भुगतना पड़ता है.
दरअसल, होली के दिन कई लोग अपने पालतू पशुओं या आसपास घूमने वाले पशुओं को रंग लगाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मनोरंजन के लिए की गई आपकी ये हरकत उन बेजुबान पशुओं के लिए जानलेवा भी साबित हो सकती है. अगर आप भी ऐसे लोगों में से हैं तो आज हम आपको बताएंगे कि कैसे होली के रंगों का पशुओं पर बुरा असर पड़ता है.
आपने अक्सर देखा होगा कि जानवर अपने शरीर को साफ रखने के लिए अपनी जीभ का इस्तेमाल करते हैं. वह अक्सर अपने शरीर को चाटकर साफ करता है. ऐसे में अगर आप उनके शरीर पर रंग लगाते हैं तो वे उसे साफ करने के लिए अपनी जीभ का भी इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में अगर ये केमिकल युक्त रंग शरीर में चले जाएं तो पशुओं को पेट और आंत से जुड़ी कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं.
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होली के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रंगों में आमतौर पर लेड ऑक्साइड, एल्युमीनियम ब्रोमाइड, मरकरी सल्फेट और कॉपर सल्फेट जैसे रसायन पाए जाते हैं. ऐसे में इन रंगों के शरीर पर लगने से न सिर्फ इंसानों की बल्कि पशुओं की त्वचा को भी काफी नुकसान पहुंचता है. अगर आप पशुओं को रंग लगाते हैं तो इससे त्वचा में एलर्जी, त्वचा में जलन और सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
गीला हो या सूखा, दोनों ही तरह के रंग पशुओं के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं. अगर आप पशुओं पर रंग डाल रहे हैं तो यह उनकी नाक और श्वसन नली में जा सकता है, जिससे न सिर्फ उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है, बल्कि कई बार तो वे पागल भी हो जाते हैं.
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