Ghevar in Monsoon: बारिश में ही क्यों खाया जाता है घेवर, जानिए इसका मॉनसून से क्या है रिश्ता?

Ghevar in Monsoon: बारिश में ही क्यों खाया जाता है घेवर, जानिए इसका मॉनसून से क्या है रिश्ता?

सावन शुरू होते ही एक मिठाई है जो अपने स्वाद का मीठापन और खूशबू बिखरने लगती है. बारिश का ये खूबसूत मौसम इस मिठाई के बिना अधूरा है. जी हां, हम बात कर रहे हैं सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली मिठाई घेवर के बारे में जो खासौतर पर मॉनसून सीजन में ही खाई जाती है.

Advertisement
Ghevar in Monsoon: बारिश में ही क्यों खाया जाता है घेवर, जानिए इसका मॉनसून से क्या है रिश्ता?सावन में क्यों खाते हैं घेवर? सांकेतिक तस्वीर

घेवर मॉनसून में ही क्यों बनाया और खाया जाता है? इसके पीछे दो बड़ी वजहें हैं. इसमें पहला है तीज त्योहार से खास रिश्ता. कहते हैं इस मिठाई की शुरुआत राजस्थान से हुई जहां लड़कियों की शादी के बाद सावन में तीज के दिन उनके मायके से घेवर आता है या वो अपने मायके जाती हैं तो घेवर लेकर जाती हैं. रक्षाबंधन पर भी अपने भाई को राखी बांधते वक्त घेवर खिलाने का महत्व है. लेकिन शायद आपको पता हो या ना हो, मॉनसून में घेवर बनाने और खाने की दूसरी एक खास वजह हमारी सेहत भी है. आपको बताते हैं कैसे इस मौसम में घेवर खाना हमारे शरीर के स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है.

एक बेहद फेमस फूड चेन के मुताबिक बारिश के मौसम में वात और पित्त दोष सबसे ज्यादा होता है. इससे वायु विकार और पाचन संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं. ऐसे में अगर कुछ मीठा खाना चाहते हैं तो घेवर और फेनी जैसी मिठाई खाना सही रहता है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि घेवर में खोया, दूध, दही की बजाय घी और चीनी का इस्तेमाल किया जाता है. इससे वायु और पित्त दोष दोनों सही बने रहते हैं और इनको खाने से पेट खराब नहीं होता.

आयुर्वेद के मुताबिक घेवर के फायदे  

आयुर्वेद में हर सीजन के हिसाब से बीमारी और उनसे बचने के लिए क्या खान-पान होना चाहिए, इसके बारे में बताया गया है. माना जाता है बारिश में वात और पित्त दोष बढ़ जाता है जिससे दूध और दूध से बनी मिठाई खाने से ये समस्या और बढ़ जाती है. इसलिए इस मौसम में घेवर खाना सेहत के लिहाज से भी सही है.

हालांकि अब घेवर को स्वादिष्ट बनाने के लिए उसमें मावा या पनीर का भी खूब इस्तेमाल होता है. लेकिन शुरुआत में जब घेवर चलन में आया था तो इसे सूखा बनाया जाता था और मिठास के लिए बस चीनी का इस्तेमाल होता था. इसीलिए जब सावन में दूध, दही, पनीर, कढ़ी या कई ऐसी खाने-पीने की चीजें कम खाते हैं तो उस वक्त मिठाई में घेवर खाना स्वीट क्रेविंग को दूर करता है. यह हमारी सेहत को भी सही रखता है.

ये भी पढ़ें:Sawan 2023: सावन में क्यों होती है नॉनवेज खाने की मनाही, ये 4 वजह कर देंगी सोचने पर मजबूर

वात-पित्त दोष में घेवर से फायदा

आयुर्वेद के हिसाब से वात का मतलब होता है शरीर में वायु का सर्कुलेशन. हमारे शरीर में होने वाली गतियां इसी वात के कारण होती हैं. जैसे हमारे शरीर में जो रक्त संचार होता है वो भी वात के कारण है. शरीर में वात की जगह  पेट माना जाता है. अगर इस वात का संतुलन सही ना हो तो वायु विकार पैदा होता है जिससे शरीर में एसिडिटी होना, सही से गैस पास ना होना, ब्लॉटिंग फील होना, कब्ज रहने और शरीर में दर्द रहने जैसी समस्या हो सकती है.

पित्त दोष का मतलब है कि आपकी पाचन तंत्र में कमी आना. अगर शरीर में पित्त सही तरीके से नहीं बने तो इसका सीधा मतलब है कि आपके पाचन तंत्र में कुछ परेशानी है. ऐसे में लोगों को कब्ज़ से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं. घेवर ऐसी समस्या को दूर करने वाली मिठाई मानी जाती है. ऐसी मान्यता है कि घेवर वात और पित्त दोष में अच्छा काम करता है.

ये भी पढ़ें: Sawan 2023: सावन में क्यों होती है नॉनवेज खाने की मनाही, ये 4 वजह कर देंगी सोचने पर मजबूर

इन दो वजहों के अलावा एक और घेवर की खास बात है जो इसे सीजन के अनुकूल मिठाई बनाती है. दरअसल बारिश में मॉइश्चर होने की वजह से बाकी मिठाई चिपचिपी हो जाती है और जल्दी खराब भी हो सकती है. नमी की वजह से मिठाई में जल्दी फंगस लग सकता है, लेकिन घेवर में पहले से ही नमी होती है जिसकी वजह से मौसम के असर से इसके स्वाद में कमी नहीं आती. अगर घेवर पर खोया और पनीर न लगाया जाए तो इस मौसम में ये कई दिन तक खराब भी नहीं होता. 

 

POST A COMMENT