
अमेरिका ने अगर भारत को टैरिफ पर झटका दिया है तो भारत ने भी दूसरे देशों के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट यानी FTA के जरिये उसे करारा जवाब दिया है. पहले यूके और अब ओमान के बाद भारत ने न्यूजीलैंड के साथ FTA वाली डील को सील कर लिया है. सोमवार को न्यूजीलैंड और भारत ने आर्थिक संबंधों को मजबूत करने और एक्सपोर्टर्स के लिए मार्केट एक्सेस बढ़ाने के मकसद से एक एफटीए को फाइनल किया है. करीब एक दशक के बाद इस साल मार्च में दोनों देशों के बीच एफटीए पर एतिहासिक बातचीत फिर से शुरू हुई थी और अब यह मुकाम पर पहुंच गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कीवी समकक्ष क्रिस्टोफर लक्सन के साथ फोन पर बात की. इसके बाद दोनों नेताओं ने मिलकर एक ऐतिहासिक और आपसी फायदे वाले भारत-न्यूजीलैंड फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के सफल होने की घोषणा की.
न्यूजीलैंड के पीएम लक्सन ने कहा कि समझौते के तहत, न्यूजीलैंड से भारत को होने वाले लगभग 95 फीसदी एक्सपोर्ट पर टैरिफ कम या खत्म कर दिए जाएंगे. साथ ही आधे से ज्यादा प्रोडक्ट पहले दिन से ही ड्यूटी-फ्री हो जाएंगे यानी जिस दिन से यह समझौता लागू होगा. उम्मीद है कि एफटीए से न्यूजीलैंड की कंपनियों के लिए भारत में सामान और सर्विस बेचना आसान हो जाएगा. भारत जो दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है और जिसकी अर्थव्यवस्था के बारे में अनुमान लगाया जा रहा है कि यह साल 2030 तक करीब 7 ट्रिलियन डॉलर तक की हो जाएगी.
पिछले कुछ सालों में दोनों देशों के बीच व्यापार लगातार बढ़ा है. वित्त वर्ष 2020-21 भारत से न्यूजीलैंड को एक्सपोर्ट 486.2 मिलियन डॉलर का था, जबकि आयात 381.5 मिलियन डॉलर का था. माना जा रहा है कि वित्त वर्ष 2026 तक निर्यात करीब 343.5 मिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है जबकि आयात बढ़कर 356.9 मिलियन डॉलर होने की उम्मीद है. पीएमओ की तरफ से कहा गया है कि दोनों नेताओं को इस बात का पूरा भरोसा है कि अगले पांच सालों में दोनों देशों के बीच व्यापार दोगुना हो सकता है. साथ ही न्यूजीलैंड अगले 15 सालों में भारत में 20 अरब डॉलर का निवेश कर सकता है.
न्यूजीलैंड भारत को डेयरी, ताजे फल जैसे कि सेब और कीवी के अलावा ऊन और वाइन जैसे प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट बढ़ाना चाहता है. साथ ही वह मार्केट एक्सेस और रेगुलेटरी रुकावटों पर भी क्लैरिटी चाहता है. इसके अलावा न्यूजीलैंड से लकड़ी के सामानों का आयात भी सस्ता हो सकेगा. जिस क्षेत्र को सबसे ज्यादा फायदा होगा वह है वाइन इंडस्ट्री और फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से भारत से वाइन और स्पिरिट्स का ड्यूटी-फ्री एक्सपोर्ट हो सकेगा. जबकि न्यूजीलैंड की वाइन घरेलू बाजार में रियायती ड्यूटी पर आएंगी जिसे 10 साल की अवधि में कम किया जाएगा.
भारत में वाइन पर मौजूदा टैरिफ 150 प्रतिशत है, और समझौते के अनुसार, भारत 10 सालों में न्यूज़ीलैंड की वाइन पर इंपोर्ट ड्यूटी कम करेगा. ये रियायतें वैसी ही हैं जैसी भारत ने दूसरे ओशिनिया देश - ऑस्ट्रेलिया - को एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते में दी हैं, जिसे दिसंबर 2022 में लागू किया गया था. न्यूजीलैंड के व्यापार मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, न्यूजीलैंड की वाइन पर टैरिफ लागू होने के दस सालों में 66-83 प्रतिशत तक कम हो जाएंगे. साथ ही आने वाले समय में एफटीए पार्टनर्स के लिए कोई भी और सुधार न्यूजीलैंड को भी दिए जाएंगे.
भारत ने 750 एमएल बॉटल के लिए 5 डॉलर से कम कीमत वाली वाइन पर कोई ड्यूटी रियायत नहीं दी है. इस कीमत से ऊपर, टैरिफ लागू होने के दिन मौजूदा 150 प्रतिशत से घटाकर 100 प्रतिशत कर दिया जाएगा, और फिर 10वें साल में इसे और घटाकर 50 प्रतिशत कर दिया जाएगा. इसके अलावा 15 डॉलर से ज्यादा कीमत वाली बॉटल के लिए, 10वें साल में ड्यूटी घटाकर 25 प्रतिशत कर दी जाएगी.
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