गाँव-गाँव तक विकास की धाराप्रवाह, पर्नोड रिकार्ड इंडिया फाउंडेशन का एक खास कार्यक्रम है. यह कार्यक्रम गांवों में रहने वाले लोगों की मदद करता है. इसका मकसद है कि लोगों को साफ पानी मिले, अच्छी खेती हो और परिवारों की आमदनी बढ़े. साल 2024-25 में इस कार्यक्रम से पूरे भारत में 5 लाख से ज़्यादा लोगों की ज़िंदगी बेहतर हुई.
प्रवाह पानी, खेती और रोज़गार-इन तीनों पर एक साथ काम करता है. इसे WAL फ्रेमवर्क कहा जाता है. इस सोच के तहत गांवों में पानी बचाने के तरीके अपनाए जाते हैं, किसानों को नई और आसान खेती सिखाई जाती है और लोगों को कमाने के नए रास्ते बताए जाते हैं. इससे किसान मजबूत बनते हैं और उनका भविष्य सुरक्षित होता है.
साल 2024-25 में प्रवाह के 14 कार्यक्रमों से 22,430 किसानों को मदद मिली. ये कार्यक्रम 8 राज्यों के 107 गांवों में चलाए गए. इस दौरान पानी बचाने के लिए 70 पानी के ढांचे बनाए गए, जिससे 63 करोड़ लीटर पानी जमा करने की क्षमता बढ़ी. इससे खेतों में पानी की कमी कम हुई.
प्रवाह स्थानीय संस्थाओं के साथ मिलकर काम करता है. हर इलाके की समस्या अलग होती है, जैसे कहीं पानी कम है तो कहीं मिट्टी कमजोर है. इसलिए प्रवाह उसी जगह के हिसाब से काम करता है, ताकि मदद सही और असरदार हो.
उत्तर प्रदेश में चलाया गया सबला कार्यक्रम खास तौर पर महिलाओं के लिए है. इसमें महिलाओं को अलग-अलग फसल उगाने और खेती से जुड़ा छोटा व्यवसाय करने में मदद दी गई. इससे महिलाओं की आमदनी बढ़ी और वे आत्मनिर्भर बनीं.
पश्चिम भारत में प्रवाह ने पानी की कमी, कम उत्पादन और बाज़ार तक पहुंच की समस्या पर काम किया. किसानों को सही जानकारी और साधन दिए गए, ताकि वे बेहतर फसल उगा सकें और अच्छा दाम पा सकें.
किसान दिवस के मौके पर प्रवाह ने फिर कहा कि वह किसानों के साथ खड़ा है. इसका लक्ष्य सिर्फ फसल बढ़ाना नहीं, बल्कि किसानों को मजबूत बनाना, उनकी आमदनी बढ़ाना और गांवों को आत्मनिर्भर बनाना है.
प्रवाह कार्यक्रम ने दिखा दिया है कि अगर सही तरीके से मदद की जाए, तो गांवों की तस्वीर बदली जा सकती है. पानी बचे, खेती सुधरे और लोगों का जीवन खुशहाल बने-यही प्रवाह की सच्ची पहचान है.
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