भारत एक प्रमुख सब्जी उत्पादक देश है. यहां पहाड़ी क्षेत्रों से लेकर तटीय क्षेत्रों तक सब्जी की खेती सफलतापूर्वक की जाती है. हमारे देश की जलवायु में बहुत अधिक भिन्नता होने के कारण देश की बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए इसे और अधिक बढ़ाने की आवश्यकता है. अनुमान है कि वर्ष 2020 तक देश की जनसंख्या लगभग 135 करोड़ हो जाएगी, जिसके लिए 15 करोड़ टन सब्जियों की आवश्यकता होगी. हमारे देश में कुपोषण की समस्या से निपटा जा सकता है. एक ओर जहां अधिक सब्जियों का उत्पादन करके हम अपने भोजन में आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए अधिक सब्जियों का उपयोग कर सकेंगे, वहीं दूसरी ओर अतिरिक्त उपज को विदेशों में बेचकर पहले की तुलना में अधिक मुनाफा भी कमा सकेंगे. इसी कड़ी में आज हम बात करेंगे सब्जी की Contendor वैरायटी के बारे में और साथ जानेंगे इसकी 5 उन्नत नस्लों के बारे में.
आपको बता दें Contendor फ्रेंच बीन की वेरायटी है. फ्रेंच बीन्स या हरी बीन्स में कई पोषक तत्व होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं. फ्रेंच बीन्स पानी, प्रोटीन, कुछ मात्रा वसा की, खनिज और विटामिन जैसे कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, कैरोटीन, थायमिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, विटामिन-सी आदि से भरपूर होता है. बीन्स विटामिन बी2 का मुख्य स्रोत हैं. बीन्स घुलनशील फाइबर का अच्छा स्रोत हैं. इसका सेवन कई रोगियों के लिए काफी फायदेमंद बताया गया है. यह शरीर में बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करता है जिससे हृदय रोग का खतरा कम हो जाता है. इसके अलावा इसके सेवन से ब्लड प्रेशर नहीं बढ़ता है. इसलिए इसे हृदय रोगियों के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है. अगर फ्रेंच बीन की खेती सही तरीके से की जाए तो किसान इसकी खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
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उत्तर भारत में इसकी खेती अक्टूबर और फरवरी के महीनों में की जाती है. पहाड़ी इलाकों में इसकी खेती फरवरी, मार्च और जून के महीनों में की जाती है. बुवाई करते समय ध्यान रखें कि बुवाई हमेशा पंक्तियों में ही करें ताकि निराई-गुड़ाई आसानी से हो सके. बुवाई के समय पंक्तियों के बीच की दूरी 45-60 सेमी और बीजों के बीच की दूरी 10 सेमी होनी चाहिए.
अच्छी पैदावार और उत्पादन के लिए उन्नत किस्मों का चयन सबसे महत्वपूर्ण है. अगर आप खेती की सही विधि के साथ उन्नत किस्मों का चयन करते हैं, तो इससे न केवल पैदावार बढ़ेगी बल्कि अच्छी गुणवत्ता भी मिलेगी. फ्रेंच बीन की खेती के लिए कई किस्में उपलब्ध हैं जो अच्छी हैं. इसमें झाड़ीदार किस्में हैं, जिनमें जायंट स्ट्रिंगलेस, कंटेंडर, पेसा पार्वती, अकरा कोमल, पंत अनुपमा और प्रीमियर, वी.एल. बोनी-1 आदि मुख्य किस्में हैं. वहीं बेल वाली किस्में हैं जिनमें केंटकी वंडर, पूसा हिमलता और एक.वी.एन.-1 अच्छी किस्में हैं. तो अगर आप भी फ्रेंच बीन की खेती से अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो इन किस्मों का चयन कर सकते हैं. इन्हीं किस्मों में से एक है कोंटेंडर. किसान इस किस्म की खेती कर अन्य किस्मों की खेती के बराबर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं.
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